देवी ने तुरन्त
प्रहरी को आदेश दिया कि गाय के मालिक को दरबार में हाजिर किया जाये। कुछ
देर बाद गाय का मालिक हाथ जोड़ कर दरबार में खड़ा था। देवी अहिल्याबाई ने
उससे कहा कि '' आज तुम्हारी गाय ने स्वंय आकर न्याय की गुहार की है । जरूर
तुम गो माता को समय पर चारा पानी नही देते होगें। '' उस व्यक्ति ने हाथ
जोड़कर कहा कि माते श्री ऐसी कोई बात नही है । गोमाता अन्याय की शिकार तो
हुई है ,परन्तु उसका कारण में नही कोई ओर है, उनका नाम बताने में मुझे
प्राणो का भय है ।'' देवी अहिल्या ने कहा कि अपराधी जो कोई भी है उसका नाम
निडर होकर बताओं ,तुम्हे हम अभय -दान देते है।
'' तब उस व्यक्ति
ने पूरी वस्तु:स्थित कह सुनायी । अपने पुत्र को अपराधी जानकर देवी
अहिल्याबाई तनिक भी विचलीत नही हुई। और फिर गोमाता स्वयं उनके दरबार में
न्याय की गुहार लगाने आयी थी। उन्होने तुरन्त मालोजी की पत्नी मेनावाई को
दरबार में बुलाया यदि कोई व्यक्ति किसी माता के पुत्र की हत्या कर दें ,तो
उसे क्या दण्ड मिलना चाहिए ? मालो जी की पत्नी ने कहा कि ÷ जिस प्रकार से
हत्या हुई, उसी प्रकार उसे भी प्राण-दण्ड मिलना चाहिए। देवी अहिल्याने
तुरन्त मालोजी राव का प्राण-दण्ड सुनाते हुए उन्हें उसी स्थान पर हाथ -पैर
बाँधकर उसी अवस्था में मार्ग पर डाल दिया गया। रथ के सारथी को देवी ने आदेश
दिया ,पर सारथी ने हाथ जोड़कर कहा '' मातेश्री ,मालोजी राजकुल के एकमात्र
कुल दीपक है। आप चाहें तो मुझे प्राण -दण्ड दे दे,किन्तु मे उनके प्राण नही
ले सकता ।'' तब देवी अहिल्याबाई स्वंय रथ पर सवार हुई और मालोजी की ओर रथ
को तेजी से दोड़ाया, तभी अचानक एक अप्रत्याशित घटना हुई।रथ निकट आते ही
फरियादी गोमाता रथ निकट आ कर खड़ी हो गयी । गोमाता को हटाकर देवी ने फिर एक
बार रथ दौड़ाया , फिर गोमाता रथ के सामने आ खड़ी हो गयी। सारा जन समुदाय
गोमाता और उनके ममत्व की जय जयकार कर उठा। देवी अहिल्या की आँखो से भी
अश्रुधारा बह निकलीं । गोमाता ने स्वंय का पुत्र खोकर भी उसके हत्यारे के
प्राण ममता के वशीभूत होकर बचाये।
जिस स्थान पर गोमाता आड़ी खड़ी हुई थी, वही स्थान आज इन्दौर में ( राजबाड़ा के पास) '' आड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है।''
आपका लेख सत्यता से परिपूर्ण है हाँ कुछ आशा की किरण गौशालाओं की और से जरुर दिखाई दे रही है जिनकी संख्या और उनमे रहने वाले गौधन में लगातार बढोत्तरी हो रही है और ये सच्चाई है कि गौमाता की इस दुर्दशा के लिए हिंदू ही जिम्मेदार है जो अपने घरों में तीन चार भेंसे तो पाल सकते हैं लेकिन एक भी गौमाता को नहीं !!!
ReplyDelete