Friday, December 28, 2012

ये कांग्रेसी साँसद है कुछ भी कह सकते है और उस पर भारत के राष्ट्रपति पुत्र भी

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पुत्र और सांसद अभिजीत मुखर्जी ने दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना का विरोध करने वाली महिला प्रदर्शनकारियों को बेहद रंगी पुती कहकर विवाद में फंसने के बाद माफी मांगी। उनकी इस टिप्पणी की बेहद तीखी प्रतिक्रिया हुई है और इस टिप्पणी को लोगों ने सैक्सी करार दिया है। जांगीपुर से सांसद अभिजीत ने एक स्थानीय न्यूज चैनल से बातचीत में कहा था कि रैलियों में जो छात्रों के नाम पर आ रही हैं, सुंदर सुंदर महिलाएं बेहद रंगी पुती। प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद जांगीपुर सीट खाली हुई थी और उसी सीट पर हुए उपचुनाव में अभिजीत जीते हैं । अभिजीत ने कहा कि टीवी में साक्षात्कार दे रही हैं और अपने बच्चों को दिखा रही हैं। मुझे हैरानी है कि क्या वे कहीं से भी छात्राएं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वास्तव में दिल्ली में जो कुछ हो रहा है, वह गुलाबी क्रांति है जिसका जमीनी सच्चाइयों से बहुत अधिक वास्ता नहीं है। उनकी इस असंवेदनशील टिप्पणी को लेकर तुरंत हंगामा खड़ा हो गया और उनकी बहन शर्मिष्ठा तक ने इस पर गहरा आघात और आक्रोश जताया तथा अपने भाई की ओर से माफी मांगी। अभिजीत ने बाद में खुद कहा कि वह इस टिप्पणी को लेकर बिना शर्त  माफी मांगते हैं और यदि पार्टी और जनता कहेगी तो वह लोकसभा सीट से इस्तीफा देने को भी तैयार हैं । महिला कार्यकर्ताओं की ओर से उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है ।

Thursday, December 27, 2012

मोदी ने लगातार चौथी बार संभाली गुजरात की कमान


द सी एक्सप्रेस से साभार । गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रभावशाली जीत दिलाने वाले नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली। उनके शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी कांग्रेस और सहयोगी जदयू की ओर से कोई शामिल नहीं हुआ। राज्यपाल कमला बेनीवाल ने मोदी को सरदार पटेल स्टेडियम में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जिसमें भाजपा और सहयोगी दलों के अनेक वरिष्ठ नेता ने भाग लिया।
हालांकि राजग में प्रमुख सहयोगी दल जदयू तथा विपक्षी कांग्रेस की ओर से समारोह में कोई प्रतिनिधि नहीं आया। पहली बार 2001 में राज्य के मुख्यमंत्री बने मोदी ने 2002 तथा 2007 में भी प्रदेश की कमान संभाली। बुधवार को उनके साथ सात कैबिनेट मंत्रियों और नौ राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की। नितिन पटेल, आनंदी पटेल, रमन वोरा, भूपेंद्रसिंह चूडासामा, सौरभ पटेल, गणपत वसावा और बाभभाई बोखियारिया ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, वहीं पुरुषोत्तम सोलंकी, प्रभात पटेल, वासुबेन त्रिवेदी, प्रदीपसिंह जडेजा, लीलाधर वाघेला, रजनीकांत पटेल, गोविन्द पटेल, नानूभाई वनानी और जयंती कावडिया ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद ट्वीट किया, चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। एक यादगार दिन। मैं आश्वस्त करता हूं कि जनता ने हम पर जो विश्वास जताया है, हम उस पर खरे उतरेंगे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, समारोह में शामिल होने वाले लोगों, वरिष्ठ नेताओं और आध्यात्मिक नेताओं को तथा इसका सीधा प्रसारण देखने वालों को मेरा धन्यवाद।
भाजपा में अभी तक प्रधानमंत्री पद के दावेदार को लेकर रुख साफ नहीं हुआ है लेकिन इसी बीच एकजुटता प्रदर्शित करते हुए पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता समारोह में जुटे।
इनमें लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष क्रमश: सुषमा स्वराज और अरुण जेटली, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार शामिल हुए।
गुजरात में शपथ ग्रहण से पहले विजयी मुद्रा में लोगों का अभिवादन करते नरेंद्र मोदी।
. जदयू और कांग्रेस ने किया समारोह का बहिष्कार . अमित शाह को मंत्री पद से रखा महरूम

क्रिसमस पर पाँच हजार ईसाई पुनः हिन्दु बने

आजादी के पहले या कहैं कि अग्रेंजों के आगमन के बाद से ही भारत पर ईसाई धर्मप्रचारकों की कुटिल निगाह लगी हूयी है वास्तव में इनका उद्देश्य लोगों की सेवा करना न होकर भारत को किसी भी प्रकार ईसाई राष्ट्र बनाना है।जिससे यूरोप बासियों का भारत हमेशा गुलाम बना रहै सभी जानते हैं कि जैसे ही कोई व्यक्ति ईसाई धर्म या इस्लाम धर्म ग्रहण करता है तुरंत ही उसकी आस्था ईटली,रोम या यूरोप के राष्ट्रों की तरफ हो जाती है।या अगर इस्लाम ग्रहण करता है तो उसकी आस्था अरव देश के पक्ष में हो जाती है।यह बात अब लगभग भारत के ईसाई बने लोगों को समझ आने लगी है भारत की जड़ो को खोखला करने का प्रयास करने बाले अनेको ईसाई राजनेता भारत के शिखर नेतृत्व में विराजमान है जो लगातार भारतीय आस्थाओं पर प्रहार करके अपने आपको महिमामंडित कर रहै है यह कहना भी अतिश्योक्ति नही होगी कि भारत की एक राजनेता जिन्है भारत का बच्चा बच्चा सोनिया गांधी के नाम से जानता है उन्होने तो भारत के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा प्रभाव बनाया हुआ है जिसके कारण भारत नामक धर्मनिरपेक्ष कहै जाने बाले राष्ट्र की मुद्रा पर ईसाई चिन्ह क्रास तक बन गया और तो औऱ भारत के वास्तविक नागरिक को दोयम दर्जे का बनाने का एक प्रयास लक्ष्यित हिंसा विधेयक बनाकर करने का किया गया किन्तु वो तो इन बाकी नेताऔ को अक्ल आ गयी नही तो हिन्दु का सत्यानाश करने का ही यह प्रयास था।
         आगरा।क्रिसमस पर कोठी मीना बाजार में सोमबार को उन पाँच हजार हिन्दुओं ने दोबारा हिन्दु धर्म अपना लिया जिन्हौने पहले हिन्दु धर्म छोड़कर ईसाइयत अपना ली थी लैकिन कुछ ही दिनों में मोह भंग हो गया और अपने पुराने घर बापस आने को वेकरार होने लगे ।कारण रहा इसाईयत की अमानवीयता जिसमें औरत को केवल भोग की बस्तु मानकर उस पर तमाम प्रकार के अत्याचार किये जाते हैं।जिससे मानवता भी शर्मशार हो जाती है।सैकड़ो की मात्रा में नन बनाकर उनका यौन शोषण किया जाता है।
25दिसम्वर की सुबह से ही एसे लोगों का कोठी मीनाबाजार पहुँचना शु्रू हो गया था धर्मजागरण समिति,ब्रजप्रान्त द्वारा आयोजित किये गये वाल्मीकि सम्मेलन में यज्ञ की वेदी को साक्षी मानकर इन लोगों ने शपथ भी ली कि अब कभी अपने पावन हिन्दु धर्म को छोड़कर कभी किसी दूसरे धर्म को ग्रहण नही करेंगें।कार्यक्रम में धर्म जागरण समिति के अखिल भारतीय सह प्रमुख राजेन्द्र प्रसाद जी ने लोगों को संबोधित करते हुये बताया कि देश में जहाँ जहाँ हिन्दुओं की संख्या कम होती जा रही है वह हिस्सा देश से कटने के कगार पर पहुँच चुका है।इसलिये हमे गंभीरता से विचार करते हुय़े हिन्दुओं की संख्या विस्तार के बारे में सोचना होगा।कई प्रदेशों में हिन्दु अल्पमत में आ चुका है। धर्म जागरण समन्वय विभाग के क्षेत्र प्रमुख राजेश्वर सिंह ने बताया कि इस साल आगरा, अलीगढ़ और बरेली के उन बारह हजार से अधिक हिन्दुओ की घर बापसी हुयी है जिन्हौने पहले किसी कारण से हिन्दु धर्म छोड़ कर ईसाइयत को अपना लिया था।

Saturday, December 15, 2012

लव जिहाद के रास्ते यदि तुम एड्स से मर गये तो भी तुम शहीद हो

 इस्लाम वह धर्म जिसने अपने पैदा होने के साथ ही हमेशा से दुनिया को दो हिस्सों में बाँट दिया एक दारुल हरब व दूसरा दारुल इस्लाम और मुसलमानो में बाकी अन्य के लिए जहर भर दिया। यह प्रेरणा प्रदान करने बाली किताब है कुरान जिसकी आयते मुस्लिम लड़को को या कहै कि कुल मुसलमानों को एसी प्रेरणा देती हैं कि अच्छा से अच्छा व सामान्य रुप में रहने बाला मुसलमान भी विश्वसनीय नही रहता लो मेरे मित्र मनोज झा की दी यह जानकारी जो उन्हौने अपनी फेसवुक आई डी पर दी है।
अय्याशी से मरे जिहादी शहीद हैं !!

आजकल मुस्लिम नौजवान जिहादियों का अंजाम देखकर भी लव जिहाद कर रहे हैं .और इसे एक धार्मिक कार्य मान रहे हैं .और सोच रहे हैं कि ऐसा करने से उनको मरने के बाद शहीद का दर्जा मिल जायेगा .और वे जन्नत में अय्याशी कर सकेंगे .
आपने यह प्रसिद्ध कहावत जरुर सुनी होगी "हर्र लगे न फिटकरी ,रंग पक्का हो जाये "यह कहावत इस्लाम में जिहाद सम्बन्धी मान्यताओं पर सटीक उतरती है .इस बात को स्पष्ट करने के लिए हमें कुरान और कुछ प्रमुख हदीसों का हवाला होगा ,जिसे बिन्दुवार दिया गया है .
1-जिहाद अल्लाह को प्रिय है
इस्लाम में जिहाद को अनिवार्य ,और अल्लाह की नजर में सबसे प्रिय कार्य बताया गया है .कुरान में कहा है कि,
"अल्लाह उन लोगों लो प्यार करता है ,जो पंक्ति बनाकर जिहाद करते है "सूरा-अस सफ्फ 61 :4
"जिहाद करना अल्लाह कि नजर में सबसे प्रिय कार्य है "सूरा -तौबा 9 :24
आजकल जकारिया नायक जैसे इस्लामी प्रचारक यह कहते हुए नहीं थकते कि ,जिहाद असल में एक संघर्ष (struggle ) है जो धर्म की रक्षा करने ,अपना बचाव करने ,पीड़ितों को उनका अधिकार दिलवाने और शांति स्थापना के लिए किया जाता है .लेकिन जिहाद का असली मकसद कुछ और ही है ,जो यहाँ दिया जा रहा है .
2-जिहादियों के लिए प्रलोभन
लोग देश ,धर्म और न्याय की रक्षा के लिए बिना किसी प्रतिफल की इच्छा के अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते है ,यहाँतक अपने प्राणों का बलिदान कर देते है .अगर जिहाद का यही मकसद है तो ,अल्लाह जिहादियों को लालच क्यों देता है .जैसा कुरान और इन हदीसों में है -
"जितने भी लोग अपनी जान लगाकर जिहाद करेंगे उनके लिए फायदा ही फायदा होगा "सूरा -तौबा 9 :88
"हे रसूल कहो जो व्यक्ति जिहाद के लिए हथियार खरीदने के लिए एक दिरहम देगा ,तो जीत के बाद उसे एक दिरहम के बदले 70 हजार दीनार दिए जायेंगे "
इब्न माजा -किताब 4 हदीस 2761
"रसूल ने कहा कि जो व्यक्ति जिहाद के लिए बाहर जायेगा तो ,अल्लाह उसके घर कि रक्षा करेगा .और जब वह वापस आयेगा तो उसे लूट का माल और साथ में औरतें भी मिलेंगीं "मुस्लिम -किताब 3 हदीस 4626
"रसूल ने कहा मैं तुम्हें एक खुशखबरी देता हूँ ,जब मुजाहिद वापिस आएंगे तो उनके लिए बगीचे तैयार मिलेंगे "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 52 हदीस 48
"इसी प्रकार ''सर्वोत्तम जिहाद वह है जिसमें घोड़ा और सवार दोनों ही घायल हो जायें।'' इब्न माजाह, खं. 4 हदीस 2794,
3-अय्याशी के लिए जिहाद
इस्लाम में औरतों को माल (property -booty ) माना जाता है .जिहादी सबसे पहले औरतें ही पकड़ते हैं .ऐसी पकड़ी गयी औरतों को लौंडी कहा जाता है ,या रखैल कहते हैं .इन से सहवास करना कुरान में जायज कहा है .और जब औरत से मन भर जाता था तो उनको बेच देते है ,कुरान की तरह, हदीसों में भी विजित गैर-मुसलमानों के धन, सम्पत्ति व स्त्रियों पर विजेता मुसलमानों का अधिकार होगा.चूंकि जिहादियों को असीमित अय्याशी करने की सुविधा शहीद हो जाने पर जन्नत में ही मिल सकती थी .इसलिए मुसलमानों ने यहीं पर भोग विलास की तरकीब निकाल ली .और पकड़ी गयी औरतों से सहवास जो जायज बना दिया ,यह बार मिर्जा ग़ालिब ने फारसी में लिखा है ,
"सुखने सादा दिलम रा न फरेबदअय ग़ालिब ,बोसये चंद नकद गंज दिहाने बिमन आर "यानि मेरा दिल उधार बातों से नहीं फिसलता ,मुझे तो किसी सुंदरी का नकद चुम्बन चाहिए "कुरान ने जिहादियों को यही देनेका वादा किया है .इसीलिए जिहाद हो रहा है .सबूत देखिये ,
"हमने तुम्हें युद्ध में पकड़ी हुई औरतें (लौंडियाँ ) हलाल कर दी हैं ,और अगर ( इस्तेमाल के बाद ) तुम्हें वह पसंद नहीं आयें ,तो तुम दूसरी औरतें बदल सकते हो "
सूरा -अहजाब 33 :52
"अपनी पत्नियों के साथ जो औरतें तुम्हारे कब्जे में हों ,उनके साथ सहवास करने में कोई निंदनीय काम नहीं है "सूरा -मआरिज 70 :30
इस तरह सिर्फ जिहादी ही अय्याशी नहीं करते हैं ,उनके नाबालिग लडके भी यही करते हैं ,जो इन हदीसों से पता चलता है ,
"रसूल ने कहा कि क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह ने पकड़ी गयी औरतें काफिरों को अपमानित करने के लिए ही तुम्हारी सेवा में दी है "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 3 हदीस 803
"रसूल ने कहा कि तुम्हारा अवयस्क लड़का भी बिस्तर (Bed ) का मालिक है .और वह भी पकड़ी गयी औरतों से अवैध सहवास कर सकता है "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 808
The Prophet said, "The boy is for the owner of the bed and the for the person who commits illegal sexual intercourse."Hadith-vol bk8. hadith no808 Al-Bukhari
इसी शिक्षा के कारण छोटे बड़े सभी अय्याशी करने में व्यस्त हो गए .और जन्नत को भूल गए .
4-जिहाद से अरुचि
कहावत है कि "जहाँ भोग वहां रोग " जब जिहादी असीमित अय्याशी करने लगे तो भिभिन्न रोगों में ग्रस्त हो गए .और उचित इलाज न मिलाने से बीमार होगर जिहाद से विमुख हो गए .उसी समय एक सहाबी "अबू उबैदा अम्मार बिन इब्नल जर्राह (583-638)" यौन रोग से ग्रस्त हो गया .जो बाद में मर भी गया था .तो जिहादियों में भय व्याप्त हो गया ,वह अगले जन्म कि इच्छा करने लगे .तब मुहम्मद ने उन लोगों से यह कहा कि ,
"जो इस दुनिया में मर कर दूसरी दुनिया में फिर से आने कि कमाना रखता है ,उसे अल्लाह रह में जिहाद करते हुए कम से कम दस बार मरना पड़ेगा "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 72
"रसूल ने कहा कोई व्यक्ति मर कर दोबारा इस दुनिया में फिर से तब तक नहीं असकता ,जब तक वह अल्लाह कि रह में मर कर जिहादियों में वरीयता प्राप्त नहीं कर लेता "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 53
5 -जिहादियों की पाठ्यपुस्तक
मुहम्मद हर हालत में जिहाद चालू रखना चाहता था .और जब लोग काफी अशक्त हो गए तो मुहमद ने उन लोगों से कहा कि ,
"जो जिहादी पेट के रोग ,प्लेग ,या यौन रोगों के कारण मर जायेगा ,उसे भी शहीद माना जायेगा और वह भी जन्नत का अधिकारी होगा ,जहाँ उसे सारी सुविधाएँ मिलेंगी "बुखारी -जिल्द 1 किताब 7 हदीस 629
उस समय मुहम्मद ने जिहादियों का हौसला बढ़ने के लिए कई ऐसी ही हदीसें कही थीं .जिसे बाद में "(ابو زكريا يحي بن يوسف انووي ادّمشقي )इमाम अबू जकारिया याहया बिन यूसुफ अन नववी दमिश्की (1234 -1278 ) ने हिजरी 676 में सीरिया में संकलित किया था .इस हदीस के संकलन का नाम " रियाज उस्सालिहीनRiyadh as-Saaliheen رياض الصالحين" है .इसीको जिहादियों की पाठ्य पुस्तक (The Gardens of the Righteous ) कहा जाता है .इसमे कुल 19 अध्याय है .और 11 अध्याय के भाग 235 में हदीस संख्या 1353 से लेकर 1357 तक अनेकों रोग से मरने वाले जिहादियोंको शहीद बताया गया है .विषय संख्या 235 की 5 हदीसों का शीर्षक है "martyrdom without fight " उसी का सारांश हिंदी में दिया जा रहा है (अंगरेजी में पूरी किताब की लिंक दी गयी है )देखिये कुकर्म करके मरने वाले भी शहीद कैसे बन जाते हैं ,और जानत में कैसे घुस जाते हैं
"अबू हुरैरा नेकहा किरसूल ने कहा कि शहीद पांच कारणों से हो सकते है ,प्लेग से , पेट के रोगों के कारण,अति सहवास के कारण ,मकान बनाते समय मलबे से दब कर और अल्लाह के लिए लड़ते हुए मरने वाले "हदीस -1353
"अबू हुरैरा ने रसूल से पूछा कि आप हम लोगों में किसको शहीद गिनोगे ,तो रसूल ने कहा ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जो अल्लाह की राह में लड़ कर मर कर शहीद होंगे .कुछ बीमारियों के कारण भी शहीद हो जाते हैं ,जैसे प्लेग से ,तपेदिक से ,यौन रोगों के कारण और पानी में डूब कर मरने वाले भी शहीद माने जायेंगे "
हदीस -1354
बाकी तीन हदीसों ,1355 ,1356 और 1357 में अपनी सम्पति ,अपने परिवार कि रक्षा में मरने वाले को और दुश्मन से लड़ते हुए मर जाने वालों को भी शहीद का दर्जा देकर जन्नत का अधिकारी बताया गया है .इसलिए यह हदीसें अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं .इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि यह बात झूठ है कि जिहादी अल्लाह की राह में बिना किसी लोभ और स्वार्थ के जिहाद करते हैं .और मर जाने पर शहीद कहलाते हैं .जबकि अधिकांश जिहादी अय्याशी करके अनेकों रोग होने से भी मर जाते थे .चूँकि उस समय एड (AIDS ) के बारे में पता नहीं था ,इसलिए यौन रोगों को तपेदिक ,प्लेग या गुर्दे का रोग कहा दिया होगा .आज भी मुस्लिम देशों में ऐसे रोगियों से अस्पताल भरे पड़े हैं .फिर भी इन्हीं हदीसों के कारण मुसलमान अय्याशी को ही जिहाद का रूप समझते हैं .इसका परिणाम सद्दाम हुसैन ,कर्नल गदाफी ,ओसामा बिन लादेन के रूप में दुनिया जानती है .औरतबाजी का बुरा नतीजा होता है .और इसमे शक नहीं कि लवजिहाद कभी यही अंजाम होगा !
जो व्यक्ति अय्याशी को जिहाद और एड्स से मरने वालों को शहीद मानता है उसका दिमाग ख़राब होगा .

भिखारी हैं सब यहाँ (इण्डिया की हकीकत)

 
भिखारी हैं सब यहाँ

लोकल ट्रेन से उतरते ही हमने सिगरेट जलाने के लिए एक साहब से माचिस माँगी, तभी किसी भिखारी ने हमारी तरफ हाथ बढ़ाया,
हमने कहा- "भीख माँगते शर्म न हीं आती....?"

ओके, वो बोला- "माचिस माँगते आपको आयी थी क्या....?"

बाबू जी! माँगना देश का करेक्टर है,
जो जितनी सफ़ाई से माँगे उतना ही बड़ा एक्टर है,

ये भिखारियों का देश है लीजिए!

भिखारियों की लिस्ट पेश है,

धंधा माँगने वाला भिखारी
चंदा माँगने वाला
दाद माँगने वाला
औलाद माँगने वाला
दहेज माँगने वाला
नोट माँगने वाला
और तो और वोट माँगने वाला

हमने काम माँगा तो लोग कहते हैं चोर है,

भीख माँगी तो कहते हैं, कामचोर है,

उन्हें कुछ नहीं कहते, जो एक वोट के लिए,
दर-दर नाक रगड़ते हैं,

घिस जाने पर रबर की खरीद लाते हैं,
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर, महंत बन जाते हैं।

लोग तो एक बिल्ले से परेशान हैं, यहाँ सैकड़ों बिल्ले खरगोश की खाल में देश के हर कोने में विराजमान हैं।

हम भिखारी ही सही, मगर राजनीति समझते हैं,

रही अख़बार पढ़ने की बात तो अच्छे-अच्छे लोग, माँग कर पढ़ते हैं,

समाचार तो समाचार, लोग बाग पड़ोसी से, अचार तक माँग लाते हैं, रहा विचार!
तो वह बेचारा, महँगाई के मरघट में,
मुद्दे की तरह दफ़न हो गया है।

समाजवाद का झंडा, हमारे लिए कफ़न हो गया है,

कूड़ा खा रहे हैं और बदबू पी रहे हैं, उनका फोटो खींचकर फिल्म वाले लाखों कमाते हैं
झोपड़ी की बात करते हैं मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।

हमने कहा "फिल्म वालों से तुम्हारा क्या झगड़ा है ?"

वो बोला- "आपके सामने भिखारी नहीं भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ा है बाप का बीस लाख फूँक कर हाथ में कटोरा पकड़ा....!"

हमने पाँच रुपए उसके हाथ में रखते हुए कहा- "हम भी फिल्मों में ट्राई कर रहे हैं !"

वह बोला, "आपकी रक्षा करें दुर्गा माई से आपके लिए दुआ करूँगा लग गई तो ठीक वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर दस आपके हाथ पर धर दूँगा....!"

Tuesday, December 11, 2012

यह कैसी शासन व्यवस्था है।जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नही -योगेश गर्ग



* यदि सरकारी टीचर स्कूल में पढ़ाने न आए तो आप क्या कर सकते हैं?
*यदि डॉक्टर मरीज का इलाज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि राशन दुकानदार सरेआम आपके राशन की चोरी करे तो आप क्या
कर सकते हैं?
* यदि पुलिस वाला हमारी शिकायत पर कार्रवाई न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि सरकारी इंजीनियर ठेकेदार से रिश्वत खाकर घटिया सड़क पास कर
दे जो चंद दिनों में टूट जाए तो आप क्या कर सकते हैं?
* आप क्या कर सकते हैं यदि सफाईकर्मी अपना काम ठीक से नहीं करते और आपका इलाका बदबू मारता है?

ज्यादा से ज्यादा हम बड़े अफसरों को शिकायत करते हैं लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। कुल मिलाकर, सरकारी स्कूलों में न आने वाले शिक्षकों या सफाई न करने वाले सफाईकर्मी, राशन दुकानदार, सरकारी ठेकेदार, नेताओं, पुलिसवालों या अफसरों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।
और यही कारण है कि आजादी के 65 साल बाद भी देश में इतनी अशिक्षा और गरीबी है। लोग टीबी जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं। लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। सड़कें टूटी हुई हैं और शहर गंदगी का ढेर बन गए हैं।
कहने को तो लोकतंत्र में हम मालिक हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि इसमें हमारी भूमिका सिर्फ 5 साल में एक बार वोट देने तक ही सीमित है और अगले 5 साल हम नेताओं और असफरों के सामने गिड़गिड़ाते रहते हैं जो हमारी एक नहीं सुनते।
तो फिर क्या आपको नही लगता कि देश मे व्यवस्था में परिवर्तन होना चाहिये …
जनता का शासन जनता के हाथ में दिया जाना चाहिये … जो अभी जनता के नाम पर कुछ चुनिंदा लोगो के हाथ में सीमित है …
आइये पहल करे 'स्वराज' की, समाज में जागरुकता बढाये … लोकतंत्र और नागरिक अधिकारो और कर्तव्य की समझ बढाये … लोगो मे राजनीति की समझ बढाये ताकि वो अपने शासन को श्रेष्ठतम रीति से चला सके …

योगेश गर्ग
‎* यदि सरकारी टीचर स्कूल में पढ़ाने न आए तो आप क्या कर सकते हैं?
*यदि डॉक्टर मरीज का इलाज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि राशन दुकानदार सरेआम आपके राशन की च
ोरी करे तो आप क्या
कर सकते हैं?
* यदि पुलिस वाला हमारी शिकायत पर कार्रवाई न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि सरकारी इंजीनियर ठेकेदार से रिश्वत खाकर घटिया सड़क पास कर
दे जो चंद दिनों में टूट जाए तो आप क्या कर सकते हैं?
* आप क्या कर सकते हैं यदि सफाईकर्मी अपना काम ठीक से नहीं करते और आपका इलाका बदबू मारता है?

ज्यादा से ज्यादा हम बड़े अफसरों को शिकायत करते हैं लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। कुल मिलाकर, सरकारी स्कूलों में न आने वाले शिक्षकों या सफाई न करने वाले सफाईकर्मी, राशन दुकानदार, सरकारी ठेकेदार, नेताओं, पुलिसवालों या अफसरों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।
और यही कारण है कि आजादी के 65 साल बाद भी देश में इतनी अशिक्षा और गरीबी है। लोग टीबी जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं। लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। सड़कें टूटी हुई हैं और शहर गंदगी का ढेर बन गए हैं।
कहने को तो लोकतंत्र में हम मालिक हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि इसमें हमारी भूमिका सिर्फ 5 साल में एक बार वोट देने तक ही सीमित है और अगले 5 साल हम नेताओं और असफरों के सामने गिड़गिड़ाते रहते हैं जो हमारी एक नहीं सुनते।
तो फिर क्या आपको नही लगता कि देश मे व्यवस्था में परिवर्तन होना चाहिये …
जनता का शासन जनता के हाथ में दिया जाना चाहिये … जो अभी जनता के नाम पर कुछ चुनिंदा लोगो के हाथ में सीमित है …
आइये पहल करे 'स्वराज' की, समाज में जागरुकता बढाये … लोकतंत्र और नागरिक अधिकारो और कर्तव्य की समझ बढाये … लोगो मे राजनीति की समझ बढाये ताकि वो अपने शासन को श्रेष्ठतम रीति से चला सके …

                                                                योगेश गर्ग

Monday, December 10, 2012

वास्तु शास्त्र के आसान से उपाय


vastu ke aasan upay ya tips.....
कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी बेरोजगार रह जाता है। वह नौकरी के लिए जितना अधिक प्रयास करता है, उसकी कोशिश विफल होती जाती है। इसके लिए व्यक्ति भाग्य को जिम्मेदार ठहराता है। लेकिन अपने भाग्य को कोसने के बजाय एक उपाय करें- नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं, तो जेब में लाल रूमाल या कोई लाल कपड़ा रखें। सम्भव हो, तो शर्ट भी लाल हनें। आप जितना अधिक लाल रंग का प्रयोग कर सकते हैं, करें।

लेकिन यह याद रखें कि लाल रंग भड़कीला ना लगे सौम्य लगे। रात में सोते समय शयन कक्ष में पीले रंग का प्रयोग करें। याद रखें, लाल, पीला व सुनहरा रंग आपके भाग्य में वृद्धि लाता है। अतः हमेशा अपने साथ रखें व इन रंगों का व्यवहार ज्यादा से ज्यादा करें, सफलता मिलेगी।
जीवन में पीले रंग को सफलता का सूचक कहा जाता है। पीला रंग भाग्य में वृद्धि लाता है। कन्या की शादी में पीले रंग का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कन्या ससुराल में सुखी रहेगी।

विवाह निर्विघ्न होने की शुभ सूचना वस्तुतः हल्दी से सम्पन्न होती है, क्योंकि हल्दी को गणेशजी की उपस्थिति माना जाता है। और जिस कार्य में गणेश जी स्वयं उपस्थित हों, उस कार्य को पूरा करने में विघ्न कैसे आ सकता है।

हल्दी की गांठों में कभी-कभी गणेश जी की मूर्ति का चित्र मिलता है। लक्ष्मी अन्नपूर्णा भी हरिद्रा कहलाती हैं। श्री सूक्त में वर्णन किया गया है कि लक्ष्मी जी पीत वस्त्र धारण किए है। अतः आप समझ सकते हैं कि हल्दी का कितना महत्व है। इतना ही नहीं, बृहस्पति का रंग भी पीत वर्ण का है, तभी तो पीत रंग का पुखराज पहनकर बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है।
                                              Dinesh Kumar Sahu

फिर याद करे क्रान्तिवीर प्रफुल्ल चन्द्र चाकी को - 10 दिसम्बर पर विशेष

 आज है 10 दिसम्बर आज के ही दिन सन 1888 में एक वीर भारत माँ की कोख  से निकल कर पैदा हुआ जिसका नाम था प्रफुल्ल चन्द्र चाकी लैकिन आज उस वीर की माटी अपने देश की माटी नही हैआज वो हो गयी है विदेशी धरती। देश के चिर परिचित छदम देशभक्तों ने वह धरती हमारी भारत माँ के आँचल से अलग कर दी है।स्थान था बंगाल का उत्तरी भाग में स्थित बोगरा गाँव जहा यह बीर पैदा हुआ आज यह स्थान है बांग्लादेश में। यह बीर भारत माँ की बगिया में खिला वह पुष्प था जो स्वंय एक कली के रुप में ही माँ की सेवा में काम आ गया।मैं इस भारत के अमर सपूत को कोटि बार नमन करता हूँ मेरे पास उन्है चढाने के लिए केवल श्रद्धा सुमन ही हैं क्योकि इन्है भारत की स्वाधीनता की ख्वाहिस ही तो थी जिसके लिए वे वेदी पर स्वाहा हो गये।है अमर वलिदानी आ जा हमारे बीच जिससे हम पुनः देश से इन गद्दारों का सफाया कर सकें तुम नौजवानों को प्रेरणा देते रहो जिससे भारत से गुलामी जो दिलों में है का विनाश हो जाए 
                          ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय 
आज यह पोस्ट मैने ली है एक और इंकलाव नाम के फेसबुक पेज से धन्यबाद लिखने बाले भाई को भी 
॥ एक और इंकलाब ॥॥ shared हिन्दुस्तान - मेरा इश्क ,मेरा जुनून,मेरी जान **'s photo.
Photo: सन १८८८ में आज १० दिसम्बर के दिन जन्मे क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का ज...न्म उत्तरी बंगाल के बोगरा गाँव (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था। जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानंद द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ और उनके अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की भावना बलवती हो गई। इतिहासकार भास्कर मजुमदार के अनुसार प्रफुल्ल चाकी राष्ट्रवादियों के दमन के लिए बंगाल सरकार के कार्लाइस सर्कुलर के विरोध में चलाए गए छात्र आंदोलन की उपज थे। पूर्वी बंगाल में छात्र आंदोलन में उनके योगदान को देखते हुए क्रांतिकारी बारीद्र घोष उन्हें कोलकाता ले आए जहाँ उनका सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगांतर पार्टी से हुआ। उन्हें पहला महत्वपूर्ण काम अंग्रेज सेना अधिकारी सर जोसेफ बैंफलाइड फुलर को मारने का दिया गया पर यह योजना कुछ कारणों से सफल नहीं हु
ई।
क्रांतिकारियों को अपमानित करने और उन्हें दण्ड देने के लिए कुख्यात कोलकाता के चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को जब क्रांतिकारियों ने जान से मार डालने का निर्णय लिया तो यह कार्य प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को सौंपा गया। दोनों क्रांतिकारी इस उद्देश्य से मुजफ्फरपुर पहुंचे जहाँ ब्रिटिश सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति जनता के आक्रोश को भाँप कर उसकी सरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर भेज दिया था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया एवं ३० अप्रैल १९०८ ई० को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं।
दोनों क्रन्तिकारी घटनास्थल से भाग निकले परन्तु मोकामा स्टेशन पर चाकी को पुलिस ने घेर लिया| उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई, १९०८ की है। बिहार के मोकामा स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है। चाकी का बलिदान जाने कितने ही युवकों का प्रेरणाश्रोत बना और उसी राह पर चलकर अनगिनत युवाओं ने मातृभूमि की बलिवेदी पर खुद को होम कर दिया| महान हुतात्मा को आज उनके जन्मदिवस पर कोटिशः नमन|
सन १८८८ में आज १० दिसम्बर के दिन जन्मे क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का ज...न्म उत्तरी बंगाल के बोगरा गाँव (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था। जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानंद द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ और उनके अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की भावना बलवती हो गई। इतिहासकार भास्कर मजुमदार के अनुसार प्रफुल्ल चाकी राष्ट्रवादियों के दमन के लिए बंगाल सरकार के कार्लाइस सर्कुलर के विरोध में चलाए गए छात्र आंदोलन की उपज थे। पूर्वी बंगाल में छात्र आंदोलन में उनके योगदान को देखते हुए क्रांतिकारी बारीद्र घोष उन्हें कोलकाता ले आए जहाँ उनका सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगांतर पार्टी से हुआ। उन्हें पहला महत्वपूर्ण काम अंग्रेज सेना अधिकारी सर जोसेफ बैंफलाइड फुलर को मारने का दिया गया पर यह योजना कुछ कारणों से सफल नहीं हुई। क्रांतिकारियों को अपमानित करने और उन्हें दण्ड देने के लिए कुख्यात कोलकाता के चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को जब क्रांतिकारियों ने जान से मार डालने का निर्णय लिया तो यह कार्य प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को सौंपा गया। दोनों क्रांतिकारी इस उद्देश्य से मुजफ्फरपुर पहुंचे जहाँ ब्रिटिश सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति जनता के आक्रोश को भाँप कर उसकी सरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर भेज दिया था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया एवं ३० अप्रैल १९०८ ई० को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं। दोनों क्रन्तिकारी घटनास्थल से भाग निकले परन्तु मोकामा स्टेशन पर चाकी को पुलिस ने घेर लिया| उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई, १९०८ की है। बिहार के मोकामा स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है। चाकी का बलिदान जाने कितने ही युवकों का प्रेरणाश्रोत बना और उसी राह पर चलकर अनगिनत युवाओं ने मातृभूमि की बलिवेदी पर खुद को होम कर दिया| महान हुतात्मा को आज उनके जन्मदिवस पर कोटिशः नमन|सन १८८८ में आज १० दिसम्बर के दिन जन्मे क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का ज...न्म उत्तरी बंगाल के बोगरा गाँव (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था। जब प्रफु
ल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानंद द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ और उनके अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की भावना बलवती हो गई। इतिहासकार भास्कर मजुमदार के अनुसार प्रफुल्ल चाकी राष्ट्रवादियों के दमन के लिए बंगाल सरकार के कार्लाइस सर्कुलर के विरोध में चलाए गए छात्र आंदोलन की उपज थे। पूर्वी बंगाल में छात्र आंदोलन में उनके योगदान को देखते हुए क्रांतिकारी बारीद्र घोष उन्हें कोलकाता ले आए जहाँ उनका सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगांतर पार्टी से हुआ। उन्हें पहला महत्वपूर्ण काम अंग्रेज सेना अधिकारी सर जोसेफ बैंफलाइड फुलर को मारने का दिया गया पर यह योजना कुछ कारणों से सफल नहीं हुई।
क्रांतिकारियों को अपमानित करने और उन्हें दण्ड देने के लिए कुख्यात कोलकाता के चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को जब क्रांतिकारियों ने जान से मार डालने का निर्णय लिया तो यह कार्य प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को सौंपा गया। दोनों क्रांतिकारी इस उद्देश्य से मुजफ्फरपुर पहुंचे जहाँ ब्रिटिश सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति जनता के आक्रोश को भाँप कर उसकी सरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर भेज दिया था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया एवं ३० अप्रैल १९०८ ई० को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं।
दोनों क्रन्तिकारी घटनास्थल से भाग निकले परन्तु मोकामा स्टेशन पर चाकी को पुलिस ने घेर लिया| उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई, १९०८ की है। बिहार के मोकामा स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है। चाकी का बलिदान जाने कितने ही युवकों का प्रेरणाश्रोत बना और उसी राह पर चलकर अनगिनत युवाओं ने मातृभूमि की बलिवेदी पर खुद को होम कर दिया| महान हुतात्मा को आज उनके जन्मदिवस पर कोटिशः नमन|
सन १८८८ में आज १० दिसम्बर के दिन जन्मे क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का ज...न्म उत्तरी बंगाल के बोगरा गाँव (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था। जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानंद द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ और उनके अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की भावना बलवती हो गई। इतिहासकार भास्कर मजुमदार के अनुसार प्रफुल्ल चाकी राष्ट्रवादियों के दमन के लिए बंगाल सरकार के कार्लाइस सर्कुलर के विरोध में चलाए गए छात्र आंदोलन की उपज थे। पूर्वी बंगाल में छात्र आंदोलन में उनके योगदान को देखते हुए क्रांतिकारी बारीद्र घोष उन्हें कोलकाता ले आए जहाँ उनका सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगांतर पार्टी से हुआ। उन्हें पहला महत्वपूर्ण काम अंग्रेज सेना अधिकारी सर जोसेफ बैंफलाइड फुलर को मारने का दिया गया पर यह योजना कुछ कारणों से सफल नहीं हुई। क्रांतिकारियों को अपमानित करने और उन्हें दण्ड देने के लिए कुख्यात कोलकाता के चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को जब क्रांतिकारियों ने जान से मार डालने का निर्णय लिया तो यह कार्य प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को सौंपा गया। दोनों क्रांतिकारी इस उद्देश्य से मुजफ्फरपुर पहुंचे जहाँ ब्रिटिश सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति जनता के आक्रोश को भाँप कर उसकी सरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर भेज दिया था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया एवं ३० अप्रैल १९०८ ई० को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं। दोनों क्रन्तिकारी घटनास्थल से भाग निकले परन्तु मोकामा स्टेशन पर चाकी को पुलिस ने घेर लिया| उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई, १९०८ की है। बिहार के मोकामा स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है। चाकी का बलिदान जाने कितने ही युवकों का प्रेरणाश्रोत बना और उसी राह पर चलकर अनगिनत युवाओं ने मातृभूमि की बलिवेदी पर खुद को होम कर दिया| महान हुतात्मा को आज उनके जन्मदिवस पर कोटिशः नमन|

ये इंडिया है भाई यहाँ सब कुछ बिकता है

घोडा रेस में बिक रहा है, वकील केस में बिक रहा है, ,
अदालत में जज बिक रहा है, वर्दी में फर्ज बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......!!
मज़बूरी में इंसान बिक रहा है, जुल्म का हैवान बिक रहा है,,
पैसों कि खातिर ईमान बिक रहा है, गरीबों का प्राण बिक रहा है !!

यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
फिल्मों में गाना बिक रहा है, गरीब बच्चों का दाना बिक रहा है,,
स्कूल का मास्टर बिक रहा है, अस्पताल का डाक्टर बिक रहा है !!
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सड़कों पर मन बिक रहा है, ब्यूटी पार्लरों में तन बिक रहा है,,
गरीबों का गुर्दा बिक रहा है, शर्म-हया का पर्दा बिक रहा है !!
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सर्कस का जोकर बिक रहा है, बैंक का लाकर बिक रहा है,,
अखबार का हाकर बिक रहा है, कोठी का नोकर बिक रहा है !!
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
गेट का संत्री बिक रहा है, पार्टी का मंत्री बिक रहा है,,
खिलाडी खेल में बिक रहा है, कानून जेल में बिक रहा है !!
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
दोस्ती में दोस्त बिक रहा है, बच्चों का गोश्त बिक रहा है,,
पत्थर मिला दाल बिक रहा है, हर मोड़ पर दलाल बिक रहा है !!
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
                                            शोभित अग्रवाल                                     

तीन युवा क्रांतिकारी दिनेश चन्द्र गुप्त, विनय बसु और बादल गुप्ता -जरा याद करो कुर्वानी

आजादी जिसे कहते हैं वह अपार दुःख छेलकर हमारे क्रान्तिवीरों ने हमें उपलव्ध कराय़ी किन्तु हाय हमारा भाग्य हमारे भाग्य की आजादी का छीका तो पाकिस्तान व भारत के मुसलमानो को नहेरु व गाँधी की कृपा से मिल गयी किन्तु हिन्दु तो आज भी गुलाम ही रहा मेरे प्यारे भाइयो इन क्रान्तिवीरों को याद करते रहो जिससे अगर जरुरत पड़ी तो फिर से क्रान्ति मार्ग पर चलना पड़ सकता है तो ये वीर हैं तीन युवा क्रांतिकारी दिनेश चन्द्र गुप्त, विनय बसु और बादल गुप्ता
भारत न तो पहले ही खाली था वीरों से न आज ही खाली है केवल याद रखने की जरुरत है औऱ याद कराने की जरुरत है हनुमान तो रहते ही हैं भारत में केवल जामवन्तों को याददिलाना पड़ता है।                     ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय 

भारत के सच्चे क्रांतिकारियों को तो भूल गए.......याद करें इन शेरों के लिए आज आप सुकून से हैं.........लाइक अवश्य करें 

आज 8 दिसम्बर का दिन भारतमाता को दासता की बेड़ियों से मुक्त कराने के अपने प्रयासों के तहत क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजी सरकार के मन में दहशत उत्पन्न करने के लिए कलकत्ता के डलहौजी स्क्यूयर में स्थित सेकेट्रीएट बिल्डिंग राइटर्स बिल्डिंग पर कि
ये गए हमले को याद करने का दिन है| ८ दिसंबर १९३० को यूरोपियन लिबास में तीन युवा क्रांतिकारी दिनेश चन्द्र गुप्त, विनय बसु और बादल गुप्ता कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश कर गए और जेलों में भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले इन्स्पेक्टर जनरल ऑफ़ प्रिजन एन.एस. सिप्सन को मार गिराया| फिर क्या था, ब्रिटिश पुलिस और तीन युवा क्रांतिकारियों में गोलीबारी शुरू हो गयी जिसमें कई अन्य अधिकारी भी गंभीर रूप से घायल हुए| लम्बे संघर्ष के बाद पुलिस उन पर हावी होने लगी| गिरफ्तार ना होने की इच्छा के चलते बादल गुप्ता ने पोटेशियम साइनाइड खा लिया और मृत्यु का वरण किया जबकि विनय और दिनेश ने अपनी ही रिवाल्वार्स से खुद को गोली मार ली| दोनों को अस्पताल ले जाया गया जहाँ विनय की १३ दिसंबर १९३० को मृत्यु हो गयी पर दिनेश को बचा लिया गया| उन पर मुकदमा चला कर उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी और ७ जुलाई १९३१ को १९ वर्ष की आयु में उन्हें अलीपुर जेल में फांसी दे दी गयी| इन तीनों की शहादत ने कितने ही दिलों को झझकोरा और क्रांति का ये कारवां आगे बढ़ता गया| स्वतंत्रता के बाद दिनेश, विनय और बादल की स्मृति को अक्षुण रखने के लिए डलहौजी स्क्यूयर का नाम बदल कर इनके नाम पार कर दिया गया और आज इसे बी.बी.डी.बाग़ कहा जाता है। इन हुतात्माओं को शत शत नमन।

वन्दे मातरम जय आजाद.......!!
भारत के सच्चे क्रांतिकारियों को तो भूल गए.......याद करें इन शेरों के लिए जिनके प्रयासों से ही आज हम व आप सुकून से हैं.........

आज 8 दिसम्बर का दिन भारतमाता को दासता की बेड़ियों से मुक्त कराने के अपने प्रयासों के तहत क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजी सरकार के मन में दहशत उत्पन्न करने के लिए कलकत्ता के डलहौजी स्क्यूयर में स्थित सेकेट्रीएट बिल्डिंग राइटर्स बिल्डिंग पर किये गए हमले को याद करने का दिन है| ८ दिसंबर १९३० को यूरोपियन लिबास में तीन युवा क्रांतिकारी दिनेश चन्द्र गुप्त, विनय बसु और बादल गुप्ता कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश कर गए और जेलों में भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले इन्स्पेक्टर जनरल ऑफ़ प्रिजन एन.एस. सिप्सन को मार गिराया| फिर क्या था, ब्रिटिश पुलिस और तीन युवा क्रांतिकारियों में गोलीबारी शुरू हो गयी जिसमें कई अन्य अधिकारी भी गंभीर रूप से घायल हुए| लम्बे संघर्ष के बाद पुलिस उन पर हावी होने लगी| गिरफ्तार ना होने की इच्छा के चलते बादल गुप्ता ने पोटेशियम साइनाइड खा लिया और मृत्यु का वरण किया जबकि विनय और दिनेश ने अपनी ही रिवाल्वार्स से खुद को गोली मार ली| दोनों को अस्पताल ले जाया गया जहाँ विनय की १३ दिसंबर १९३० को मृत्यु हो गयी पर दिनेश को बचा लिया गया| उन पर मुकदमा चला कर उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी और ७ जुलाई १९३१ को १९ वर्ष की आयु में उन्हें अलीपुर जेल में फांसी दे दी गयी| इन तीनों की शहादत ने कितने ही दिलों को झझकोरा और क्रांति का ये कारवां आगे बढ़ता गया| स्वतंत्रता के बाद दिनेश, विनय और बादल की स्मृति को अक्षुण रखने के लिए डलहौजी स्क्यूयर का नाम बदल कर इनके नाम पार कर दिया गया और आज इसे बी.बी.डी.बाग़ कहा जाता है। इन हुतात्माओं को शत शत नमन।

वन्दे मातरम जय आजाद.......!!    
Deepa Sharma was tagged in Sarfaroshi ki tamanna's photo.

Sunday, December 9, 2012

मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ.- हिन्दु की व्यथा कथा

 यह हिन्दु होने की व्यथा है जो हिन्दु होने पर सरकार देती है जागो हिन्दुओं जागो तुम्हारे क्रांतिकारियों ने वलिदान दिया वो मरे शहीद हुए,अण्डमान की जेल में कुछ तो वैलों की तरह जुते समुद्रों में कूद गये फिर पकड़े गये फिर काला पानी मिला वेलों की तरह जुतना मिला ,कुछ फांसी पर चड़ गये कुछ की वहिन वेटियाँ पत्निया उनका इन्तजार आज भी कर रही होगी किन्तु इन सत्ता प्राप्त करने वाली शान्ति का दिखावा करने वाले राक्षसो ने तब तो उन्है लूटा और आज सब कुछ ही लूट रहै है हमारे देश पर हमला करने बाले आतंकी हमारी ही जेलों में आराम से विरियानी मटन खाते हैं और दूसरी तरफ हमारा अपना खून जिस पर अभी तक आरोप भी सिद्ध नही हो पाये विना किये की सजा पा रही है।प्रज्ञा ठाकुर हम ये नही कह रहै कि उसकी जाँच न करवायी जाए और अगर उसने कुछ किया है तो सजा दो और नही तो रिहा करो।ये कौन सा कायदा है कि केवल जाँच के नाम पर ही अभियुक्त को आप जेल में डाल कर सड़ा रहै है जवकि अभी तक की सभी जाँचो में वो वेगुनाह ही सावित हुयी है फिर क्यों आज तक उसे परेशान किया जा रहा है।एक तरफ पाकिस्तानी आतंकियों को फाइव स्टार स्तर की सुविधाए दे रहै हो दूसरी तरफ केवल अभियुक्त को ही घोर कारावास देकर उसे सजा से भी वड़ी सजा दी जा रही है।
EK Krantiveer was tagged in धर्मनायक हिंदुत्ववादी's photo. — with San Vito and 48 others.
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ
मैं सर्व धर्म समभाव सिखाता ..
मानवता की बात बताता,
हर धर्मस्थल पर शीश नवाता,आतंकी हूँ...
मैं हि
न्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ...
वो धरा गोधरा की हो या,
वो जनमभूमि हो राम की.
हो मथुरा काशी की धरती,
या सोमनाथ के धाम की..
हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ.....


मैं सत्य अहिंसा के दर्शन को ,
जीने का आधार बनता
बाबर अब्दाली के वंशज को भी,
मैं अपने गले लगाता
नित नए नए अत्याचारों पर,
धैर्य दिखता,सहता जाता आतंकी हूँ..
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ


पर बहुत हो चुकी धैर्य परीक्षा,
अब चन्दन अनल दिखायेगा.
भाई भाई के नारे को,
अब फिर से परखा जायेगा.
गर भाई हो कौरव जैसा,
तो अर्जुन शस्त्र उठाएगा..


गाँधी का ये गाँधी दर्शन,
अब चक्र सुदर्शन लायेगा.
डंडे वाला बूढ़ा गाँधी ,
अब सावरकर बन जायेगा.
शत वर्षों से सहते आये,
अब और नहीं सहा जायेगा.
अब हिन्दुस्थान का हर हिन्दू,
राणा प्रताप बन जायेगा.


तब बाबर की जेहादी सेना में,
उथल पुथल हो जाएगी.
गुजरात की कुछ बीती यादें,
फिर से दोहराई जाएँगी.
जौहर की बाते बीत गयी,
अब चंडी शस्त्र उठाएगी
गर हुआ जरुरी तो बहने,
प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी.....


पर पांडव ने भी कौरव को,
अंतिम सन्देश सुनाया था.
खुद योगेश्वर ने जाकर भी,
दुर्योधन को समझाया था.
तुम हिंसक आतातायी हो,
तुम कौरव हो पर भाई हो.
यदि जीना है तो जीने दो,
या मरने को तैयार रहो..
ये बात सभी को समझाता मैं आतंकी हूँ
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ.....

कारगिल युद्ध के बाद भी सेन्य आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज नही हुयी

नई दिल्ली: सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि कारगिल में भारतीय क्षेत्र में घुस आये पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने के 13 साल बीत जाने के बाद भी भारतीय सेना हथियारों की भारी कमी का सामना कर रही है और मंथर गति से चल रही सैन्य आधुनिकरण की प्रक्रिया को तेज नहीं किया गया तो आने वाले
JAI BHARTIYA SENA
नई दिल्ली: सैन्य विशेषज्ञों का मानना है
कि कारगिल में भारतीय क्षेत्र में घुस आये
पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने के 13 साल
बीत जाने के बाद भी भारतीय
सेना हथियारों की भारी कमी का सामना कर रही है
और मंथर गति से चल रही सैन्य आधुनिकरण
की प्रक्रिया को तेज नहीं किया गया तो आने वाले
समय में स्थिति विकट हो सकती है।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल
दीपांकर बनर्जी ने कहा कि कारगिल युद्ध के जीत के
बाद बनाई कारगिल समीक्षा रिपोर्ट ने
इन्फैंट्री को आधुनिक बनाये जाने की सिफारिश
की थी, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतने साल बीत
जाने के बाद भी यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल
रही है।
इन्फैंट्री के जवानों को एक लड़ाकू मशीन के रूप में
बदलने की योजना ढीली पड़ गई है। बनर्जी ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय पहाड़ों में लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जिसके
लिये समिति ने मध्यम दूरी तक मार करने वाली नयी तोपों को खरीदने की सिफारिश की थी जिस पर अभी तक कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है।
भारत ने बोफोर्स के बाद कोई तोप नहीं खरीदी है। रक्षा मामलों की पत्रिका इंडियन डिफेंस रिव्यू के संपादक भारत वर्मा का मानना है
कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी की वजह से भारत की सेनाओं के आधुनिकीकरण में बाधा आ रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सत्ता में आने के बाद कारगिल समीक्षा रिपोर्ट के लागू नहीं होने के कारणों की पड़ताल के लिये जिस
कार्यबल का गठन किया था उसके अब इतने समय बाद अगले महीने तक रिपोर्ट देने की संभावना है।
वर्मा ने कहा कि आज तीनों सेनाओं को आधुनिक बनाये जाने की सख्त जरूरत है। हमें सबसे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाना होगा जिसकी सख्त
कमी हमें कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनने से तीनों सेनायें संयुक्त रूप से कार्रवाई कर सकेंगी।
वर्मा ने कहा कि थल सेना की एक स्ट्राइक कोर बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है। सेना को लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की सख्त जरूरत है जो वायु
सेना के साथ खींचतान में फंस गई है।
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने अद्भुत वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करते हुये कारगिल युद्ध में पाक
घुसपैठियों को मार भगाया था। तभी से यह दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस जंग में भारतीय सेना के 500 से अधिक जवान और अधिकारी शहीद हो गये थे जबकि पाकिस्तान के हजारों जवान और आतंकवादी मारे गये थे।
समय में स्थिति विकट हो सकती है। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दीपांकर बनर्जी ने कहा कि कारगिल युद्ध के जीत के बाद बनाई कारगिल समीक्षा रिपोर्ट ने इन्फैंट्री को आधुनिक बनाये जाने की सिफारिश की थी, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है। इन्फैंट्री के जवानों को एक लड़ाकू मशीन के रूप में बदलने की योजना ढीली पड़ गई है। बनर्जी ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय पहाड़ों में लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जिसके लिये समिति ने मध्यम दूरी तक मार करने वाली नयी तोपों को खरीदने की सिफारिश की थी जिस पर अभी तक कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है। भारत ने बोफोर्स के बाद कोई तोप नहीं खरीदी है। रक्षा मामलों की पत्रिका इंडियन डिफेंस रिव्यू के संपादक भारत वर्मा का मानना है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी की वजह से भारत की सेनाओं के आधुनिकीकरण में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सत्ता में आने के बाद कारगिल समीक्षा रिपोर्ट के लागू नहीं होने के कारणों की पड़ताल के लिये जिस कार्यबल का गठन किया था उसके अब इतने समय बाद अगले महीने तक रिपोर्ट देने की संभावना है।
वर्मा ने कहा कि आज तीनों सेनाओं को आधुनिक बनाये जाने की सख्त जरूरत है। हमें सबसे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाना होगा जिसकी सख्त कमी हमें कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनने से तीनों सेनायें संयुक्त रूप से कार्रवाई कर सकेंगी। वर्मा ने कहा कि थल सेना की एक स्ट्राइक कोर बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है। सेना को लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की सख्त जरूरत है जो वायुसेना के साथ खींचतान में फंस गई है।
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने अद्भुत वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करते हुये कारगिल युद्ध में पाक घुसपैठियों को मार भगाया था। तभी से यह दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस जंग में भारतीय सेना के 500 से अधिक जवान और अधिकारी शहीद हो गये थे जबकि पाकिस्तान के हजारों जवान और आतंकवादी मारे गये थे।
                                   
                 JAI BHARTIYA SENA

यह है देश की सरकारी मशीनरी की हकीकत

 यह हमारे देश की एसी हकीकत है जिससे हर व्यक्ति दो चार होता है।और शायद परेशानी हर भारतीय के भाग्य में लिखी है।सरकारी कोई काम कराना आसान नही है।नयी नयी माँग की जाती हैं।और सब कुछ हो तो मामूल की माँग की जाती है।जागो भाईयो क्या अभी भी एसी ही सरकारे ही बनवानी है जागो जागो जागो इन अंधी वहरी गूंगी सरकारों को उखाड़ फैंको जिसने हमें तुम्हैं भी भ्रष्ट कर दिया हैं। 
ट्रेफिक हवलदार - लायसेंस बताओ!
चालक - नहीं है साब!
ट्रेफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रेफिक हवलदार - क्यों ?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
ट्रेफिक हवलदार - तो तुम मतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक - मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रेफिक हवलदार - तो पहले राशन कार्ड बनवा लो।
चालक - मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रेफिक हवलदार - तो मेरे बाप बैंक खाता खुलवा ले।
चालक - मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्रायविंग लायसेंस माँगते हैं।

Saturday, December 8, 2012

जानो इन पत्रकारों को क्या आप इन पर भरोसा कर सकते हैं

 देखिये भारतीय मीडिया की हकीकत जिस पर सारा देश भरोसा करता है जिस पर भरोसा करके न्यायालयों में भी सबूत दिये जाते हैं।लैकिन आज यही मीडिया किसी से छुपा नही है कि क्या पेश करता है।कोई मरता है तो ये मीडिया वाले सूचना लेने तो आ जाते हैं फिर अपराधी से सौदा होता है अगर सौदा पटा तो आपके यहाँ से लाई हुयी खबर सीधे उस अपराधी के हवाले कर दी जाती है।सैकड़ो हजारो महिलाओं के रेप की खबर दहेज हत्याओं की खबर मिलाबट करने बालों की खबर मर्डरों की खबर छपने से पहले ही सौदा होकर या तो विल्कुल ही समाप्त कर दी जाती हैं या फिर अपराधियों के हिसाब से फेरबदल कर दिया जाता हैं।प्रिंट मीडिया में हालत इतने बदतर है कि पत्रकार कई बार पुलिस या  अन्य महेकमों वालो से मिलकर  खूब चौथ बसूल रहैं हैं और सामान्य आदमी इनके पंजो में फसता जा रहा है य़ह जमीनी स्तर की हकीकत है।जब आप ऊपर की स्थितियाँ देखेगें तो हैरत में रह जाएगें।अब भाई सुभाष जी द्वारा फेसबुक एकाउण्ट पर शेयर की गई यह जानकारी पढ़िये आपको पता चल जाऐगी मीडिया की हकीकत। 
                                                 ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
Saurabh Goyal shared India Forum ( भारत की बात भारतीयों के साथ )'s photo.
दोस्तों कहा जाता है हमारे लोकतंत्र में मीडिया को चौथे आधार स्तंभ का दर्जा दिया गया है पर मै आज के हालात में येह नहीं मानता  आप जैसे हर एक को मीडिया से रोज कोई न कोई शिकायत रहती है और मीडिया को आप  किसी न किसी बात के लिए कौसते है क्युकीआप उसे शायद अभी भी इमानदार और सच्चा समझते है  पर मै नहीं मानता क्युकी मेरी नजर में भारतीय मीडिया सिर्फ एक व्यावसायिक संस्था है जो अपने फायदे के लिए ही व्यापार करती है 

पेश है भारतीय मीडिया की असलियत और रिश्ते जरुर पढ़े समय निकाल कर और फिर खुद अपने विवेक से फैसला खुद करे आपको भारतीय मीडिया से क्या उम्मीद रखनी चाहिए  जरुर शेयर करे और मित्रो को येह जानकारी दे 

हसमुख रामिना 

भारतीय मीडिया का सबसे बड़ा गैंग : भारतीय मीडिया की हकीकत
punarnavbharat.wordpress.com
अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय (नेहरु डायनेस्टी टीवी- NDTV) की भांजी हैं। -प्रणव रॉय “काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशन्स” के इंटरनेशनल सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं।
-इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी। -प्रणव रॉय की पत्नी हैं राधिका रॉय। -राधिका रॉय, बृन्दा करात की बहन हैं।
-बृन्दा करात, प्रकाश करात (CPI) की पत्नी हैं। -प्रकाश करात चेन्नै के “डिबेटिंग क्लब” के सदस्य थे।
-एन राम, पी चिदम्बरम और मैथिली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे। -इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरु की थी “रैडिकल रीव्यू”। 
-CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती। -सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की “रेजिडेण्ट एडीटर” हैं। 
-बरखा दत्त NDTV में काम करती हैं। -बरखा दत्त की माँ हैं श्रीमती प्रभा दत्त। -प्रभा दत्त हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य रिपोर्टर थीं।
-राजदीप सरदेसाई पहले NDTV में थे, अब CNN-IBN के हैं (??)। -राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष।
-सागरिका घोष के पिता हैं दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष। -सागरिका घोष की आंटी रूमा पॉल हैं।
-रूमा पॉल उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं।
-सागरिका घोष की दूसरी आंटी अरुंधती घोष हैं -अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं-
CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क” (GBN) से व्यावसायिक समझौता है।
-GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है। -NDTV भारत का एकमात्र चैनल है को “अधिकृत रूप से” पाकिस्तान में दिखाया जाता है
-दिलीप डिसूज़ा PIPFD (Pakistan-India Peoples’ Forum for Peace and Democracy) के सदस्य हैं। 
-दिलीप डिसूज़ा के पिता हैं जोसेफ़ बेन डिसूज़ा। -जोसेफ़ बेन डिसूज़ा महाराष्ट्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके हैं। 
-तीस्ता सीतलवाड भी PIPFD की सदस्य हैं। -तीस्ता सीतलवाड के पति हैं जावेद आनन्द। 
-जावेद आनन्द एक कम्पनी सबरंग कम्युनिकेशन और एक संस्था “मुस्लिम फ़ॉर सेकुलर डेमोक्रेसी” चलाते हैं।
-इस संस्था के प्रवक्ता हैं जावेद अख्तर। -जावेद अख्तर की पत्नी हैं शबाना आज़मी। -करण थापर ITV के मालिक हैं। 
-ITV बीबीसी के लिये कार्यक्रमों का भी निर्माण करती है। -करण थापर के पिता थे जनरल प्राणनाथ थापर (1962 का चीन युद्ध इन्हीं के नेतृत्व में हारा गया था)। 
-करण थापर बेनज़ीर भुट्टो और ज़रदारी के बहुत अच्छे मित्रों में शुमार हैं। -करण थापर के मामा की शादी नयनतारा सहगल से हुई है। 
-नयनतारा सहगल, विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं। -विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहरलाल नेहरू की बहन हैं।
-मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मुख्य प्रवक्ता और कार्यकर्ता हैं।-नबाआं को मदद मिलती है पैट्रिक मेकुल्ली से जो कि “इंटरनेशनल रिवर्स नेटवर्क (IRN)” संगठन में हैं। 
-अंगना चटर्जी IRN की बोर्ड सदस्या हैं। -अंगना चटर्जी PROXSA (Progressive South Asian Exchange Network) की भी सदस्या हैं। 
-PROXSA संस्था, FOIL (Friends of Indian Leftist) से पैसा पाती है।
-अंगना चटर्जी के पति हैं रिचर्ड शेपायरो। -FOIL के सह-संस्थापक हैं अमेरिकी वामपंथी बिजू मैथ्यू। -राहुल बोस (अभिनेता) खालिद अंसारी के रिश्ते में हैं।
-खालिद अंसारी “मिड-डे” पब्लिकेशन के अध्यक्ष हैं। -खालिद अंसारी एमसी मीडिया लिमिटेड के भी अध्यक्ष हैं। -खालिद अंसारी, अब्दुल हमीद अंसारी के पिता हैं। 
-अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेसी हैं। -एवेंजेलिस्ट ईसाई और हिन्दुओं के खास आलोचक जॉन दयाल मिड-डे के दिल्ली संस्करण के प्रभारी हैं। 
-नरसिम्हन राम (यानी एन राम) दक्षिण के प्रसिद्ध अखबार “द हिन्दू” के मुख्य सम्पादक हैं। -एन राम की पहली पत्नी का नाम है सूसन।
-सूसन एक आयरिश हैं जो भारत में ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन की इंचार्ज हैं। -विद्या राम, एन राम की पुत्री हैं, वे भी एक पत्रकार हैं। 
-एन राम की हालिया पत्नी मरियम हैं। -त्रिचूर में आयोजित कैथोलिक बिशपों की एक मीटिंग में एन राम, जेनिफ़र अरुल और केएम रॉय ने भाग लिया है।
-जेनिफ़र अरुल, NDTV की दक्षिण भारत की प्रभारी हैं। -जबकि केएम रॉय “द हिन्दू” के संवाददाता हैं। -केएम रॉय “मंगलम” पब्लिकेशन के सम्पादक मंडल सदस्य भी हैं।
-मंगलम ग्रुप पब्लिकेशन एमसी वर्गीज़ ने शुरु किया है। -केएम रॉय को “ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ़टाइम अवार्ड” से सम्मानित किया गया है।
-“ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन” के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जॉन दयाल। -जॉन दयाल “ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल”(AICC) के सचिव भी हैं।
-AICC के अध्यक्ष हैं डॉ जोसेफ़ डिसूज़ा। -जोसेफ़ डिसूज़ा ने “दलित फ़्रीडम नेटवर्क” की स्थापना की है। 
-दलित फ़्रीडम नेटवर्क की सहयोगी संस्था है “ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन इंडिया” (OM India)।
-OM India के दक्षिण भारत प्रभारी हैं कुमार स्वामी। -कुमार स्वामी कर्नाटक राज्य के मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।
-OM India के उत्तर भारत प्रभारी हैं मोजेस परमार। -OM India का लक्ष्य दुनिया के उन हिस्सों में चर्च को मजबूत करना है, जहाँ वे अब तक नहीं पहुँचे हैं।
-OMCC दलित फ़्रीडम नेटवर्क (DFN) के साथ काम करती है। -DFN के सलाहकार मण्डल में विलियम आर्मस्ट्रांग शामिल हैं।
-विलियम आर्मस्ट्रांग, कोलोरेडो (अमेरिका) के पूर्व सीनेटर हैं और वर्तमान में कोलोरेडो क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेण्ट हैं।
यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में ईसा के प्रचार हेतु मुख्य रणनीतिकारों में शुमार की जाती है। -DFN के सलाहकार मंडल में उदित राज भी शामिल हैं। 
-उदित राज के जोसेफ़ पिट्स के अच्छे मित्र भी हैं। -जोसेफ़ पिट्स ने ही नरेन्द्र मोदी को वीज़ा न देने के लिये कोंडोलीज़ा राइस से कहा था।
-जोसेफ़ पिट्स “कश्मीर फ़ोरम” के संस्थापक भी हैं। -उदित राज भारत सरकार के नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (राष्ट्रीय एकता परिषद) के सदस्य भी हैं।
-उदित राज कश्मीर पर बनी एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं। -सुहासिनी हैदर, सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुत्री हैं। -सुहासिनी हैदर, सलमान हैदर की पुत्रवधू हैं।
-सलमान हैदर, भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं, चीन में राजदूत भी रह चुके हैं। -रामोजी ग्रुप के मुखिया हैं रामोजी राव।
-रामोजी राव “ईनाडु” (सर्वाधिक खपत वाला तेलुगू अखबार) के संस्थापक हैं। -रामोजी राव ईटीवी के भी मालिक हैं।
-रामोजी राव चन्द्रबाबू नायडू के परम मित्रों में से हैं। -डेक्कन क्रॉनिकल के चेयरमैन हैं टी वेंकटरमन रेड्डी। 
-रेड्डी साहब कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं। -एमजे अकबर डेक्कन क्रॉनिकल और एशियन एज के सम्पादक हैं।
-एमजे अकबर कांग्रेस विधायक भी रह चुके हैं। -एमजे अकबर की पत्नी हैं मल्लिका जोसेफ़। -मल्लिका जोसेफ़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।
-वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। 
-सेमुअल रेड्डी के पिता राजा रेड्डी ने पुलिवेन्दुला में एक डिग्री कालेज व एक पोलीटेक्नीक कालेज की स्थापना की।
सेमुअल रेड्डी ने कहा है कि आंध्रा लोयोला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उक्त दोनों कॉलेज लोयोला समूह को दान में दे दिये।
-सेमुअल रेड्डी की बेटी हैं शर्मिला। -शर्मिला की शादी हुई है “अनिल कुमार” से। 
अनिल कुमार भी एक धर्म-परिवर्तित ईसाई हैं जिन्होंने “अनिल वर्ल्ड एवेंजेलिज़्म” नामक संस्था शुरु की और वे एक सक्रिय एवेंजेलिस्ट (कट्टर ईसाई धर्म प्रचारक) हैं। 
-सेमुअल रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी युवा कांग्रेस नेता हैं। -जगन रेड्डी “जगति पब्लिकेशन प्रा. लि.” के चेयरमैन हैं। -भूमना करुणाकरा रेड्डी, सेमुअल रेड्डी की करीबी हैं।
-करुणाकरा रेड्डी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चेयरमैन हैं।
-चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि “लैंको समूह” को जगति पब्लिकेशन्स में निवेश करने हेतु दबाव डाला गया था। 
-लैंको कम्पनी समूह, एल श्रीधर का है। -एल श्रीधर, एल राजगोपाल के भाई हैं। -एल राजगोपाल, पी उपेन्द्र के दामाद हैं। 
-पी उपेन्द्र केन्द्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके हैं। -सन टीवी चैनल समूह के मालिक हैं कलानिधि मारन -कलानिधि मारन एक तमिल दैनिक “दिनाकरन” के भी मालिक हैं।
-कलानिधि के भाई हैं दयानिधि मारन। -दयानिधि मारन केन्द्र में संचार मंत्री थे। -कलानिधि मारन के पिता थे मुरासोली मारन।
-मुरासोली मारन के चाचा हैं एम करुणानिधि (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)। -करुणानिधि ने ‘कैलाग्नार टीवी” का उदघाटन किया।
-कैलाग्नार टीवी के मालिक हैं एम के अझागिरी। -एम के अझागिरी, करुणानिधि के पुत्र हैं। -करुणानिधि के एक और पुत्र हैं एम के स्टालिन। 
-स्टालिन का नामकरण रूस के नेता के नाम पर किया गया। -कनिमोझि, करुणानिधि की पुत्री हैं, और केन्द्र में राज्यमंत्री हैं। -कनिमोझी, “द हिन्दू” अखबार में सह-सम्पादक भी हैं। 
-कनिमोझी के दूसरे पति जी अरविन्दन सिंगापुर के एक जाने-माने व्यक्ति हैं। -स्टार विजय एक तमिल चैनल है। -विजय टीवी को स्टार टीवी ने खरीद लिया है।
-स्टार टीवी के मालिक हैं रूपर्ट मर्डोक। -Act Now for Harmony and Democracy (अनहद) की संस्थापक और ट्रस्टी हैं शबनम हाशमी। 
-शबनम हाशमी, गौहर रज़ा की पत्नी हैं। -“अनहद” के एक और संस्थापक हैं के एम पणिक्कर। -के एम पणिक्कर एक मार्क्सवादी इतिहासकार हैं,
जो कई साल तक ICHR में काबिज रहे। -पणिक्कर को पद्मभूषण भी मिला। -हर्ष मन्दर भी “अनहद” के संस्थापक हैं। -हर्ष मन्दर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।
-हर्ष मन्दर, अजीत जोगी के खास मित्र हैं।
-अजीत जोगी, सोनिया गाँधी के खास हैं क्योंकि वे ईसाई हैं और इन्हीं की अगुआई में छत्तीसगढ़ में जोरशोर से धर्म-परिवर्तन करवाया गया
और बाद में दिलीपसिंह जूदेव ने परिवर्तित आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करवाई। -कमला भसीन भी “अनहद” की संस्थापक सदस्य हैं। 
-फ़िल्मकार सईद अख्तर मिर्ज़ा “अनहद” के ट्रस्टी हैं। -मलयालम दैनिक “मातृभूमि” के मालिक हैं एमपी वीरेन्द्रकुमार -वीरेन्द्रकुमार जद(से) के सांसद हैं (केरल से)
-केरल में देवेगौड़ा की पार्टी लेफ़्ट फ़्रण्ट की साझीदार है। -शशि थरूर पूर्व राजनैयिक हैं। -चन्द्रन थरूर, शशि थरूर के पिता हैं, जो कोलकाता की आनन्दबाज़ार पत्रिका में संवाददाता थे।
-चन्द्रन थरूर ने 1959 में द स्टेट्समैन” की अध्यक्षता की। -शशि थरूर के दो जुड़वाँ लड़के ईशान और कनिष्क हैं, ईशान हांगकांग में “टाइम्स” पत्रिका के लिये काम करते हैं।
-कनिष्क लन्दन में “ओपन डेमोक्रेसी” नामक संस्था के लिये काम करते हैं। -शशि थरूर की बहन शोभा थरूर की बेटी रागिनी (अमेरिकी पत्रिका) “इंडिया करंट्स” की सम्पादक हैं। 
-परमेश्वर थरूर, शशि थरूर के चाचा हैं और वे “रीडर्स डाइजेस्ट” के भारत संस्करण के संस्थापक सदस्य हैं। -शोभना भरतिया हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्षा हैं।
-शोभना भरतिया केके बिरला की पुत्री और जीड़ी बिरला की पोती हैं -शोभना राज्यसभा की सदस्या भी हैं जिन्हें सोनिया ने नामांकित किया था।
-शोभना को 2005 में पद्मश्री भी मिल चुकी है। -शोभना भरतिया सिंधिया परिवार की भी नज़दीकी मित्र हैं। -करण थापर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में कालम लिखते हैं।
-पत्रकार एन राम की भतीजी की शादी दयानिधि मारन से हुई है।
Courtesy: Mukesh Bhartiya

अपने मित्र अनुराग बख्शी के साभार से
दोस्तों कहा जाता है हमारे लोकतंत्र में मीडिया को चौथे आधार स्तंभ का दर्जा दिया गया है पर मै आज के हालात में यह नहीं मानता आप जैसे हर एक को मीडिया से रोज कोई न कोई शिकायत रहती है और मीडिया को आप किसी न किसी बात के लिए कौसते है क्योंकि आप उसे शायद अभी भी ईमानदार और सच्चा समझते है पर मैं नहीं मानता क्योंकि मेरी नजर में भारतीय मीडिया सिर्फ एक व्यावसायिक संस्था है जो अपने फायदे के लिए ही व्यापार करती है

पेश है भारतीय मीडिया की असलियत और रिश्ते जरुर पढ़े समय निकाल कर और फिर खुद अपने विवेक से फैसला खुद करे आपको भारतीय मीडिया से क्या उम्मीद रखनी चाहिए जरुर शेयर करे और मित्रो को येह जानकारी दे

हसमुख रामिना

भारतीय मीडिया का सबसे बड़ा गैंग : भारतीय मीडिया की हकीकत
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अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय (नेहरु डायनेस्टी टीवी- NDTV) की भांजी हैं। -प्रणव रॉय “काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशन्स” के इंटरनेशनल सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं।
-इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी। -प्रणव रॉय की पत्नी हैं राधिका रॉय। -राधिका रॉय, बृन्दा करात की बहन हैं।
-बृन्दा करात, प्रकाश करात (CPI) की पत्नी हैं। -प्रकाश करात चेन्नै के “डिबेटिंग क्लब” के सदस्य थे।
-एन राम, पी चिदम्बरम और मैथिली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे। -इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरु की थी “रैडिकल रीव्यू”।
-CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती। -सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की “रेजिडेण्ट एडीटर” हैं।
-बरखा दत्त NDTV में काम करती हैं। -बरखा दत्त की माँ हैं श्रीमती प्रभा दत्त। -प्रभा दत्त हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य रिपोर्टर थीं।
-राजदीप सरदेसाई पहले NDTV में थे, अब CNN-IBN के हैं (??)। -राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष।
-सागरिका घोष के पिता हैं दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष। -सागरिका घोष की आंटी रूमा पॉल हैं।
-रूमा पॉल उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं।
-सागरिका घोष की दूसरी आंटी अरुंधती घोष हैं -अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं-
CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क” (GBN) से व्यावसायिक समझौता है।
-GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है। -NDTV भारत का एकमात्र चैनल है को “अधिकृत रूप से” पाकिस्तान में दिखाया जाता है
-दिलीप डिसूज़ा PIPFD (Pakistan-India Peoples’ Forum for Peace and Democracy) के सदस्य हैं।
-दिलीप डिसूज़ा के पिता हैं जोसेफ़ बेन डिसूज़ा। -जोसेफ़ बेन डिसूज़ा महाराष्ट्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके हैं।
-तीस्ता सीतलवाड भी PIPFD की सदस्य हैं। -तीस्ता सीतलवाड के पति हैं जावेद आनन्द।
-जावेद आनन्द एक कम्पनी सबरंग कम्युनिकेशन और एक संस्था “मुस्लिम फ़ॉर सेकुलर डेमोक्रेसी” चलाते हैं।
-इस संस्था के प्रवक्ता हैं जावेद अख्तर। -जावेद अख्तर की पत्नी हैं शबाना आज़मी। -करण थापर ITV के मालिक हैं।
-ITV बीबीसी के लिये कार्यक्रमों का भी निर्माण करती है। -करण थापर के पिता थे जनरल प्राणनाथ थापर (1962 का चीन युद्ध इन्हीं के नेतृत्व में हारा गया था)।
-करण थापर बेनज़ीर भुट्टो और ज़रदारी के बहुत अच्छे मित्रों में शुमार हैं। -करण थापर के मामा की शादी नयनतारा सहगल से हुई है।
-नयनतारा सहगल, विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं। -विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहरलाल नेहरू की बहन हैं।
-मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मुख्य प्रवक्ता और कार्यकर्ता हैं।-नबाआं को मदद मिलती है पैट्रिक मेकुल्ली से जो कि “इंटरनेशनल रिवर्स नेटवर्क (IRN)” संगठन में हैं।
-अंगना चटर्जी IRN की बोर्ड सदस्या हैं। -अंगना चटर्जी PROXSA (Progressive South Asian Exchange Network) की भी सदस्या हैं।
-PROXSA संस्था, FOIL (Friends of Indian Leftist) से पैसा पाती है।
-अंगना चटर्जी के पति हैं रिचर्ड शेपायरो। -FOIL के सह-संस्थापक हैं अमेरिकी वामपंथी बिजू मैथ्यू। -राहुल बोस (अभिनेता) खालिद अंसारी के रिश्ते में हैं।
-खालिद अंसारी “मिड-डे” पब्लिकेशन के अध्यक्ष हैं। -खालिद अंसारी एमसी मीडिया लिमिटेड के भी अध्यक्ष हैं। -खालिद अंसारी, अब्दुल हमीद अंसारी के पिता हैं।
-अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेसी हैं। -एवेंजेलिस्ट ईसाई और हिन्दुओं के खास आलोचक जॉन दयाल मिड-डे के दिल्ली संस्करण के प्रभारी हैं।
-नरसिम्हन राम (यानी एन राम) दक्षिण के प्रसिद्ध अखबार “द हिन्दू” के मुख्य सम्पादक हैं। -एन राम की पहली पत्नी का नाम है सूसन।
-सूसन एक आयरिश हैं जो भारत में ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन की इंचार्ज हैं। -विद्या राम, एन राम की पुत्री हैं, वे भी एक पत्रकार हैं।
-एन राम की हालिया पत्नी मरियम हैं। -त्रिचूर में आयोजित कैथोलिक बिशपों की एक मीटिंग में एन राम, जेनिफ़र अरुल और केएम रॉय ने भाग लिया है।
-जेनिफ़र अरुल, NDTV की दक्षिण भारत की प्रभारी हैं। -जबकि केएम रॉय “द हिन्दू” के संवाददाता हैं। -केएम रॉय “मंगलम” पब्लिकेशन के सम्पादक मंडल सदस्य भी हैं।
-मंगलम ग्रुप पब्लिकेशन एमसी वर्गीज़ ने शुरु किया है। -केएम रॉय को “ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ़टाइम अवार्ड” से सम्मानित किया गया है।
-“ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन” के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जॉन दयाल। -जॉन दयाल “ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल”(AICC) के सचिव भी हैं।
-AICC के अध्यक्ष हैं डॉ जोसेफ़ डिसूज़ा। -जोसेफ़ डिसूज़ा ने “दलित फ़्रीडम नेटवर्क” की स्थापना की है।
-दलित फ़्रीडम नेटवर्क की सहयोगी संस्था है “ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन इंडिया” (OM India)।
-OM India के दक्षिण भारत प्रभारी हैं कुमार स्वामी। -कुमार स्वामी कर्नाटक राज्य के मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।
-OM India के उत्तर भारत प्रभारी हैं मोजेस परमार। -OM India का लक्ष्य दुनिया के उन हिस्सों में चर्च को मजबूत करना है, जहाँ वे अब तक नहीं पहुँचे हैं।
-OMCC दलित फ़्रीडम नेटवर्क (DFN) के साथ काम करती है। -DFN के सलाहकार मण्डल में विलियम आर्मस्ट्रांग शामिल हैं।
-विलियम आर्मस्ट्रांग, कोलोरेडो (अमेरिका) के पूर्व सीनेटर हैं और वर्तमान में कोलोरेडो क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेण्ट हैं।
यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में ईसा के प्रचार हेतु मुख्य रणनीतिकारों में शुमार की जाती है। -DFN के सलाहकार मंडल में उदित राज भी शामिल हैं।
-उदित राज के जोसेफ़ पिट्स के अच्छे मित्र भी हैं। -जोसेफ़ पिट्स ने ही नरेन्द्र मोदी को वीज़ा न देने के लिये कोंडोलीज़ा राइस से कहा था।
-जोसेफ़ पिट्स “कश्मीर फ़ोरम” के संस्थापक भी हैं। -उदित राज भारत सरकार के नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (राष्ट्रीय एकता परिषद) के सदस्य भी हैं।
-उदित राज कश्मीर पर बनी एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं। -सुहासिनी हैदर, सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुत्री हैं। -सुहासिनी हैदर, सलमान हैदर की पुत्रवधू हैं।
-सलमान हैदर, भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं, चीन में राजदूत भी रह चुके हैं। -रामोजी ग्रुप के मुखिया हैं रामोजी राव।
-रामोजी राव “ईनाडु” (सर्वाधिक खपत वाला तेलुगू अखबार) के संस्थापक हैं। -रामोजी राव ईटीवी के भी मालिक हैं।
-रामोजी राव चन्द्रबाबू नायडू के परम मित्रों में से हैं। -डेक्कन क्रॉनिकल के चेयरमैन हैं टी वेंकटरमन रेड्डी।
-रेड्डी साहब कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं। -एमजे अकबर डेक्कन क्रॉनिकल और एशियन एज के सम्पादक हैं।
-एमजे अकबर कांग्रेस विधायक भी रह चुके हैं। -एमजे अकबर की पत्नी हैं मल्लिका जोसेफ़। -मल्लिका जोसेफ़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।
-वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पिता राजा रेड्डी ने पुलिवेन्दुला में एक डिग्री कालेज व एक पोलीटेक्नीक कालेज की स्थापना की।
सेमुअल रेड्डी ने कहा है कि आंध्रा लोयोला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उक्त दोनों कॉलेज लोयोला समूह को दान में दे दिये।
-सेमुअल रेड्डी की बेटी हैं शर्मिला। -शर्मिला की शादी हुई है “अनिल कुमार” से।
अनिल कुमार भी एक धर्म-परिवर्तित ईसाई हैं जिन्होंने “अनिल वर्ल्ड एवेंजेलिज़्म” नामक संस्था शुरु की और वे एक सक्रिय एवेंजेलिस्ट (कट्टर ईसाई धर्म प्रचारक) हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी युवा कांग्रेस नेता हैं। -जगन रेड्डी “जगति पब्लिकेशन प्रा. लि.” के चेयरमैन हैं। -भूमना करुणाकरा रेड्डी, सेमुअल रेड्डी की करीबी हैं।
-करुणाकरा रेड्डी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चेयरमैन हैं।
-चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि “लैंको समूह” को जगति पब्लिकेशन्स में निवेश करने हेतु दबाव डाला गया था।
-लैंको कम्पनी समूह, एल श्रीधर का है। -एल श्रीधर, एल राजगोपाल के भाई हैं। -एल राजगोपाल, पी उपेन्द्र के दामाद हैं।
-पी उपेन्द्र केन्द्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके हैं। -सन टीवी चैनल समूह के मालिक हैं कलानिधि मारन -कलानिधि मारन एक तमिल दैनिक “दिनाकरन” के भी मालिक हैं।
-कलानिधि के भाई हैं दयानिधि मारन। -दयानिधि मारन केन्द्र में संचार मंत्री थे। -कलानिधि मारन के पिता थे मुरासोली मारन।
-मुरासोली मारन के चाचा हैं एम करुणानिधि (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)। -करुणानिधि ने ‘कैलाग्नार टीवी” का उदघाटन किया।
-कैलाग्नार टीवी के मालिक हैं एम के अझागिरी। -एम के अझागिरी, करुणानिधि के पुत्र हैं। -करुणानिधि के एक और पुत्र हैं एम के स्टालिन।
-स्टालिन का नामकरण रूस के नेता के नाम पर किया गया। -कनिमोझि, करुणानिधि की पुत्री हैं, और केन्द्र में राज्यमंत्री हैं। -कनिमोझी, “द हिन्दू” अखबार में सह-सम्पादक भी हैं।
-कनिमोझी के दूसरे पति जी अरविन्दन सिंगापुर के एक जाने-माने व्यक्ति हैं। -स्टार विजय एक तमिल चैनल है। -विजय टीवी को स्टार टीवी ने खरीद लिया है।
-स्टार टीवी के मालिक हैं रूपर्ट मर्डोक। -Act Now for Harmony and Democracy (अनहद) की संस्थापक और ट्रस्टी हैं शबनम हाशमी।
-शबनम हाशमी, गौहर रज़ा की पत्नी हैं। -“अनहद” के एक और संस्थापक हैं के एम पणिक्कर। -के एम पणिक्कर एक मार्क्सवादी इतिहासकार हैं,
जो कई साल तक ICHR में काबिज रहे। -पणिक्कर को पद्मभूषण भी मिला। -हर्ष मन्दर भी “अनहद” के संस्थापक हैं। -हर्ष मन्दर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।
-हर्ष मन्दर, अजीत जोगी के खास मित्र हैं।
-अजीत जोगी, सोनिया गाँधी के खास हैं क्योंकि वे ईसाई हैं और इन्हीं की अगुआई में छत्तीसगढ़ में जोरशोर से धर्म-परिवर्तन करवाया गया
और बाद में दिलीपसिंह जूदेव ने परिवर्तित आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करवाई। -कमला भसीन भी “अनहद” की संस्थापक सदस्य हैं।
-फ़िल्मकार सईद अख्तर मिर्ज़ा “अनहद” के ट्रस्टी हैं। -मलयालम दैनिक “मातृभूमि” के मालिक हैं एमपी वीरेन्द्रकुमार -वीरेन्द्रकुमार जद(से) के सांसद हैं (केरल से)
-केरल में देवेगौड़ा की पार्टी लेफ़्ट फ़्रण्ट की साझीदार है। -शशि थरूर पूर्व राजनैयिक हैं। -चन्द्रन थरूर, शशि थरूर के पिता हैं, जो कोलकाता की आनन्दबाज़ार पत्रिका में संवाददाता थे।
-चन्द्रन थरूर ने 1959 में द स्टेट्समैन” की अध्यक्षता की। -शशि थरूर के दो जुड़वाँ लड़के ईशान और कनिष्क हैं, ईशान हांगकांग में “टाइम्स” पत्रिका के लिये काम करते हैं।
-कनिष्क लन्दन में “ओपन डेमोक्रेसी” नामक संस्था के लिये काम करते हैं। -शशि थरूर की बहन शोभा थरूर की बेटी रागिनी (अमेरिकी पत्रिका) “इंडिया करंट्स” की सम्पादक हैं।
-परमेश्वर थरूर, शशि थरूर के चाचा हैं और वे “रीडर्स डाइजेस्ट” के भारत संस्करण के संस्थापक सदस्य हैं। -शोभना भरतिया हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्षा हैं।
-शोभना भरतिया केके बिरला की पुत्री और जीड़ी बिरला की पोती हैं -शोभना राज्यसभा की सदस्या भी हैं जिन्हें सोनिया ने नामांकित किया था।
-शोभना को 2005 में पद्मश्री भी मिल चुकी है। -शोभना भरतिया सिंधिया परिवार की भी नज़दीकी मित्र हैं। -करण थापर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में कालम लिखते हैं।
-पत्रकार एन राम की भतीजी की शादी दयानिधि मारन से हुई है।

Wednesday, December 5, 2012

महाभारत काल में विमान होने का प्रमाणित सबूत मिला...

हिन्दु दुनिया का एकमात्र धर्म जिसका इतिहास वास्तव में विज्ञान के चमत्कारों से भरा है आज कल का विज्ञान भी जिस हिन्दु इतिहास से अथबा वेदों से ही ज्ञान पाता है नमन है उस राष्ट्र को और नमने है उन वैज्ञानिक जिन्हैं हम महर्षि या ऋषि कहते हैं ।अभी मेरे मित्र जिनका फेसबुक पर आर्यावृत के नाम से खाता है ने एक सूचना शेयर की है जो मुझे लगी कि सभी पाठकों को भी पता होनी चाहिये इसलिए मैने इसे यहाँ आपके पढ़ने के लिए डाल दिया है आप पाठको से आशा है कि आप लोग इसे अधिक तम प्रचारित करोगे जिससे दुनिया को पता चले कि हिन्दु क्या चीज थी
रोमानिया में एक छोटा सा शहर है Aiud, यहाँ से कुछ मील की दुरी पर Mures नदी के पास खुदाई के दौरान लगभग चतुर्भुज आकृति तथा मिश्र धातु की एक कील मिली।

शोधकर्ता Boczor Iosif जांच

की और बताया कि कील रेत में 35 फीट नीचे से निकली गयी है ।

Lars Fischinger और उनके एक सहयोगी, डा. Niederkorn, ने इस पर रिपोर्ट पेश की तथा Institute for Research and Design संस्थान में कील का विश्लेषण किया।


उन्होंने बताया की ये कील मिश्र धातु अर्थात 12 अलग-अलग धातुओं से बनी है।


उनकी रिपोर्ट के अनुसार उस कील में एल्यूमीनियम 89% "6.2% तांबा / सिलिकॉन 2.84% / 1.81% / जस्ता 0.41% का नेतृत्व / टिन 0.33% / zirconium 0.2% / 0.11% / कैडमियम 0.००२४% निकल / / 0, 0023% कोबाल्ट / विस्मुट ०.०,००३% / 0.0002% चांदी और Galium के निशान." हैं।


परीक्षण के परिणामस्वरुप शोधकर्ताओं हैरान थे की रोमानिया में एल्यूमीनियम को बनाना 1800 के बाद सिखा और इसे बनाने की लिए 1000 डिग्री फेरनहाइट तापमान की जरूरत भी पड़ती है फिर ये चीज है कहाँ से....


और जब ये कील मिली तो इसकी उम्र लगभग 400 वर्ष पुरानी आकी जा रही थी लेकिन जब इसका कार्बन 14 परिक्षण किया गया तो पता चला की ये कील तो 11,000 B.C.E. तक साल पुरानी है। जो विमान युग समय से मेल खाता है। तथा इसकी पहचान विमान के गियर के रूप में हुई जब विमान नीचे उतरता था तो ये कील उसे सपोर्ट देती थी।


1995 रोमानिया के एक और शोधकर्ता Florian Gheorghita, दो अलग प्रयोगशालाओं the Archaeological Institute of Cluj-Napoca and an independent Swiss lab में द्वारा दुबारा फिर इस कील की जांच की गयी और वही परिणाम सामने आये।


Gheorghita अपनी पुस्तक Ancient Skies में लिखा है की कि यह एक विमान लैंडिंग गियर का हिस्सा था। Aiud की रहस्यमय कील एक विमान लैंडिंग गियर का एक टुकड़ा है जो कि कुछ 11,000 साल पहले एक विमान गिर गया था।
महाभारत काल में विमान होने का प्रमाणित सबूत मिला... अवश्य पड़ें

रोमानिया में एक छोटा सा शहर है Aiud, यहाँ से कुछ मील की दुरी पर Mures नदी के पास खुदाई के दौरान लगभग चतुर्भुज आकृति तथा मिश्र धातु की एक कील मिली।

शोधकर्ता Boczor Iosif जांच
की और बताया कि कील रेत में 35 फीट नीचे से निकली गयी है ।

Lars Fischinger और उनके एक सहयोगी, डा. Niederkorn, ने इस पर रिपोर्ट पेश की तथा Institute for Research and Design संस्थान में कील का विश्लेषण किया।

उन्होंने बताया की ये कील मिश्र धातु अर्थात 12 अलग-अलग धातुओं से बनी है।

उनकी रिपोर्ट के अनुसार उस कील में एल्यूमीनियम 89% "6.2% तांबा / सिलिकॉन 2.84% / 1.81% / जस्ता 0.41% का नेतृत्व / टिन 0.33% / zirconium 0.2% / 0.11% / कैडमियम 0.००२४% निकल / / 0, 0023% कोबाल्ट / विस्मुट ०.०,००३% / 0.0002% चांदी और Galium के निशान." हैं।

परीक्षण के परिणामस्वरुप शोधकर्ताओं हैरान थे की रोमानिया में एल्यूमीनियम को बनाना 1800 के बाद सिखा और इसे बनाने की लिए 1000 डिग्री फेरनहाइट तापमान की जरूरत भी पड़ती है फिर ये चीज है कहाँ से....

और जब ये कील मिली तो इसकी उम्र लगभग 400 वर्ष पुरानी आकी जा रही थी लेकिन जब इसका कार्बन 14 परिक्षण किया गया तो पता चला की ये कील तो 11,000 B.C.E. तक साल पुरानी है। जो विमान युग समय से मेल खाता है। तथा इसकी पहचान विमान के गियर के रूप में हुई जब विमान नीचे उतरता था तो ये कील उसे सपोर्ट देती थी।

1995 रोमानिया के एक और शोधकर्ता Florian Gheorghita, दो अलग प्रयोगशालाओं the Archaeological Institute of Cluj-Napoca and an independent Swiss lab में द्वारा दुबारा फिर इस कील की जांच की गयी और वही परिणाम सामने आये।

Gheorghita अपनी पुस्तक Ancient Skies में लिखा है की कि यह एक विमान लैंडिंग गियर का हिस्सा था। Aiud की रहस्यमय कील एक विमान लैंडिंग गियर का एक टुकड़ा है जो कि कुछ 11,000 साल पहले एक विमान गिर गया था।

Sunday, December 2, 2012

गऊ माता का ममत्व-गायों का वर्तमान दुःख

आज गाय नामक प्राणी जो आपको व मुझे सबको अपना दूध आपकी अपनी माँ से ज्यादा ममत्व से पिलाती है कि बच्चे की मां के बीमार हो जाने पर डाक्टर लोग मां का दूध पीने की मनाही कर देते हैं किंतु गाय के दूध पर ये शर्ते लागू नही होती मतलब यह कि गाय की बीमारी का उसके दूध पर कोई असर नही होता है सो उसका दूध बीमार होने पर भी निरापद ही है एसी गाय पर आजकलआफत ही आ गई है।पहले तो भारत जब इस्लामिक आक्रान्ताओं का गुलाम था तब तो मुसलमान गायों की ह्त्या सरेराह करते रहते थे और जब अग्रेज हुकूमत आयी तो फिर ईसाई व मुसलमान दो दुस्मन हो गये।अब जब भारत आजाद हो गया है तब भी गाय माँ की त्रासदी आज भी कम नही हुयी है अपितु और भी बढ़ गयी है।पहले हिन्दु कम से कम घर में रखकर पालता तो था वो भी मृत्युपर्यन् किन्तु आज तो गायों का सबसे बडा़ दुस्मन अगर कोई है तो वह है हिन्दु पहले दो दुस्मन थे अब तीन हो गये हैं।आज हिन्दु अपनी गाय को जब तक पालता है जब तक कि वो दूध देती है और जैसे ही गाय ने दूध देना बन्द कर दिया तुरन्त उसे छोड़ आऐंगे।वह कहीं भी जाए चाहैं उसे कसाई ही ले जाऐं कोई चिन्ता नही है दूध पिलाने की सजा मिलती है गऊ माता को।इससे समाज में एक नयी समस्या पैदा हो गयी है कि आज आवारा गायों हाँ समाज उसे आवारा ही तो कहता है लैकिन बास्तव में वें वैचारी गौपाल के देश में भी अनाथ ही तो हैं।नारे बाजी खूब की जाती है बहुत सी गऊ शालाऐं खुली हैं उनके रक्षक या कहैं कि मेनेजमेंट केवल उनकी आय से अपना फायदा कर रहा है।वे गायों को नही लेते या फिर गाय को गऊशाला लाने पर दान की लम्बी लिस्ट पकड़ा दी जाती है और आदमी चुपचाप कहीं भी गायों को छोड़ जाता है।जिससे खेती करने बाले किसान भी परेशान है गाय एक जगह वैठकर जितना खाती है उससे कहीं ज्यादा तो वह खेतों में घूमकर नुकसान कर देती हैं।सो किसान भी उनके दुश्मन हो गये हैं।मैंने ऐसे ऐसे हिन्दु किसान अपने आसपास देखे हैं जो गायों पर तिजाव ,भाले ,वल्लम,और कई बार जहर तक का प्रयोग करके भी अपने आप को हिन्दु कहने में शर्म महसूस नही करते।चलों कहीं तक बाढ़ लगा देना तो में ठीक भी मानता हूँ लैकिन यह भी इस समस्या का समाधान नही है।मैने कुछ किसानो को गायों की जासूसी करते और कसाईयों को बताते पकड़ा है तथा पुलिस को भी पकड़वाया है किन्तु हमारी कहीं नेता लोग भी सहायता नही करते।हमने कसाईयों को जो बैल ले जाते हैं से  वैल लेकर पशुपालकों को दिये हैं।कई बार तो हम पर हमला भई हो चुका है किन्तु हम हैं कि मानते ही नही हैं।तो भाई गायों की जो तस्करी हो रही है ज्यादा तर उनमें हिन्दू पुलिसबाले हिन्दु किसान हिन्दु नेता ही सहयोग करते हैं वे सपा,बसपा कांग्रेस आदि दलों में उच्च स्तर पर रहते हैं तथा अपनी पहुँच का फायदा उठाकर खूब नोट कमा रहै हैं जबकि कई बार तो हम लोग भी गौपालकों को ही कसाई का एजैन्ट समझने की भूल कर देते हैं जिससे कई बार अनर्थ भी हो जाता है।तो भाईयो जब तक प्रत्येक हिन्दु गाय के मह्त्व को नही समझेगा तब तक बात नही बनने वाली।गायों की समस्या को मुक्त करने के लिए पहले तो गायों की नस्ल की भी चिन्ता करनी पढ़ेगी।पहले भारत की लोमड़ी प्रधान मंत्री जिसे कुछ लोग विना मतलब ही शैरनी या दुर्गा कहकर संबोधित करते हैं ने आपरेशन फ्लड चलाकर भारत की गायों को विदेशी साड़ो से क्रास कराकर हमारे गौधन की रेड़ मार दी है यह भी हिन्दु धर्म के सत्या नाश का ही एक नया कांग्रेसी प्रयोग था जिसमें वे सफल हुये ये लोग छदम हिन्दु थे जो केवल दिखावे के लिए हिन्दु थे बाकी वास्तब में तो यह गयासुद्दीन गाजी जो बहादुर शाह जफर के यहाँ नगर कोतबाल था की पड़पोती ही थी जिसे भारतवासियों को वेबकूफ बनाने के लिए गंगाधर व नहेरु नाम रख लिया था जरा कोई काश्मीरी बताए कि वहाँ कितने ब्राह्मण नहेरु गोत्र लगाते हैं यदि लगाते हैं तो बताए जिससे हम अपनी गलती सुधारें नही तो हमारी बात को सहयोग करें जिससे इन कालनेमियों की पोल खुल जाए तथा जनता इनके इन रिस्ते दारों की जुतियाय़ी करे।और भारत अगले षडयंत्रो से बच जाए।आगे मेरे मित्र श्री रनधीर सिंह पानीपतिया जी ने एक कहानी शेयर की है जो गाय की ममत्व पूर्ण न्याय की कहानी है। कृपया इसे पढ़े

एक बार की बात है इन्दौर नगर के किसी मार्ग के किनारे एक गाय अपने बछड़े के साथ खड़ी थी, तभी देवी अहिल्याबाई के पुत्र मालोजीराव अपने रथ पर सवार होकर गुजरे । मालोजीरा व बचपन से ही बेहद द्यारारती व उच्छृंखल प्रवृत्ति के थे । राह चलते लोगों को परेशान करने में उन्हें विशेष आंनद आता था । गाय का बछड़ा अकस्मात उछलकर उनके रथ के सामने आ गया । गाय भी उसके पीछे दौड़ी पर तब तक मालोजी का रथ बछड़े के ऊपर से निकाल चुका था । रथ अपने पहिये से बछड़े को कुचलता हुआ आगे निकल गया था ।  गाय बहुत देर तक अपने ...
एक बार की बात है इन्दौर नगर के किसी मार्ग के किनारे एक गाय अपने बछड़े के साथ खड़ी थी, तभी देवी अहिल्याबाई के पुत्र मालोजीराव अपने रथ पर सवार होकर गुजरे । मालोजीरा व बचपन से ही बेहद द्यारारती व उच्छृंखल प्रवृत्ति के थे । राह चलते लोगों को परेशान करने में उन्हें विशेष आंनद आता था । गाय का बछड़ा अकस्मात उछलकर उनके रथ के सामने आ गया । गाय भी उसके पीछे दौड़ी पर तब तक मालोजी का रथ बछड़े के ऊपर से निकाल चुका था । रथ अपने पहिये से बछड़े को कुचलता हुआ आगे निकल गया था ।

गाय बहुत देर तक अपने पुत्र की मृत्यु पर शोक मनाती रही । तत्पष्चात उठकर देवी अहिल्याबाई के दरबार के बाहर टंगे उस घण्टे के पास जा पहुँची, जिसे अहिल्याबाई ने प्राचीन राज परम्परा के अनुसार त्वरित न्याय हेतु विशेष रूप से लगवाया था।

अर्थात्‌ जिसे भी न्याय की जरूरत होती,वह जाकर उस घन्टें को बजा देता था। जसके बाद तुरन्त दरबार लगता तुरन्त न्याय मिलता । घन्टें की आवाज सुनकर देवी अहिल्याबाई ने ऊपर से एक विचित्र दृश्य देखा कि एक गाय न्याय का घन्टा बजा रही है ।

देवी ने तुरन्त प्रहरी को आदेश दिया कि गाय के मालिक को दरबार में हाजिर किया जाये। कुछ देर बाद गाय का मालिक हाथ जोड़ कर दरबार में खड़ा था। देवी अहिल्याबाई ने उससे कहा कि '' आज तुम्हारी गाय ने स्वंय आकर न्याय की गुहार की है । जरूर तुम गो माता को समय पर चारा पानी नही देते होगें। '' उस व्यक्ति ने हाथ जोड़कर कहा कि माते श्री ऐसी कोई बात नही है । गोमाता अन्याय की शिकार तो हुई है ,परन्तु उसका कारण में नही कोई ओर है, उनका नाम बताने में मुझे प्राणो का भय है ।'' देवी अहिल्या ने कहा कि अपराधी जो कोई भी है उसका नाम निडर होकर बताओं ,तुम्हे हम अभय -दान देते है।

'' तब उस व्यक्ति ने पूरी वस्तु:स्थित कह सुनायी । अपने पुत्र को अपराधी जानकर देवी अहिल्याबाई तनिक भी विचलीत नही हुई। और फिर गोमाता स्वयं उनके दरबार में न्याय की गुहार लगाने आयी थी। उन्होने तुरन्त मालोजी की पत्नी मेनावाई को दरबार में बुलाया यदि कोई व्यक्ति किसी माता के पुत्र की हत्या कर दें ,तो उसे क्या दण्ड मिलना चाहिए ? मालो जी की पत्नी ने कहा कि ÷ जिस प्रकार से हत्या हुई, उसी प्रकार उसे भी प्राण-दण्ड मिलना चाहिए। देवी अहिल्याने तुरन्त मालोजी राव का प्राण-दण्ड सुनाते हुए उन्हें उसी स्थान पर हाथ -पैर बाँधकर उसी अवस्था में मार्ग पर डाल दिया गया। रथ के सारथी को देवी ने आदेश दिया ,पर सारथी ने हाथ जोड़कर कहा '' मातेश्री ,मालोजी राजकुल के एकमात्र कुल दीपक है। आप चाहें तो मुझे प्राण -दण्ड दे दे,किन्तु मे उनके प्राण नही ले सकता ।'' तब देवी अहिल्याबाई स्वंय रथ पर सवार हुई और मालोजी की ओर रथ को तेजी से दोड़ाया, तभी अचानक एक अप्रत्याशित घटना हुई।रथ निकट आते ही फरियादी गोमाता रथ निकट आ कर खड़ी हो गयी । गोमाता को हटाकर देवी ने फिर एक बार रथ दौड़ाया , फिर गोमाता रथ के सामने आ खड़ी हो गयी। सारा जन समुदाय गोमाता और उनके ममत्व की जय जयकार कर उठा। देवी अहिल्या की आँखो से भी अश्रुधारा बह निकलीं । गोमाता ने स्वंय का पुत्र खोकर भी उसके हत्यारे के प्राण ममता के वशीभूत होकर बचाये।

जिस स्थान पर गोमाता आड़ी खड़ी हुई थी, वही स्थान आज इन्दौर में ( राजबाड़ा के पास) '' आड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है।''