Friday, November 23, 2012

सूनी सी हो गई डाली वो ,
जब टूट डाली से फूल गया ,
माँ को आज़ाद कराने को,
बेटा फांसी पर झूल गया ,

होठों से खामोश रही ,
आँखों से आँसू छूट गया,
बाप का सीना फूला तो ,
पर कंधा मानो टूट गया ,

तू फिर धरती पर आजा भगत.
देश की खातिर कैसे मरते हैं ,
तेरी उस कुर्बानी को ,हर युवा देश का भूल गया ...
---मोनू वशिष्ठ
---जय हिंद
Monu Vashist July 20

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