Tuesday, November 27, 2012

अरविन्द जी की आम आदमी पार्टी या अदृष्य अवाम पार्टी आम पार्टी


आज 26 तारीख को भारत के समाज सेवी से राज नेता बने श्री केजरीबाल जी ने एक राजनैतिक  पार्टी की घोषणा कर  दी  जिसका लोग बहुत समय से इन्तजार कर रहै थे।इस पार्टी को नाम दिया गया है आम आदमी पार्टी लैकिन आम आदमी की इस पार्टी के खास नेता हैं श्री अरविन्द केजरीबाल,प्रसांत भूषण,योगेन्द्र यादव,संजय सिंह,कुमार विश्वास,गोपाल राय व अन्य 23 लोग ।सुबह को 320 लोगों की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुयी पार्टी का नाम तय हुआ,साथ ही साथ लगे हाथों पार्टी का संविधान भी तुरत फुरत में बना लिय़ा गया।और देश को करिश्मा करके देने बाली पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारणी भी आज ही घोषित कर दी।शाम को कार्यकारणी अपने संयोजक का चुनाव करेगी और इस पद पर शायद केजरीबाल ही बैठे इसकी उम्मीद ही अधिक है।
तो कुल मिलाकर भारत में एक नयी पार्टी का उदय आज 26-11 की चौथी वर्सी पर हो ही गया।
अपने जन्म से पहले ही सुर्खियों में रही यह पार्टी व इसके सर्वे सर्वा केजरी वाल जी अभी जल्दी ही प्रतिष्ठा की ऊचाईयाँ एक दम अचानक कुछ ही दिनों में पाये हुये ही नही परम कीर्ति पर पहुचे हुये अपने गुरु जी श्री अन्ना जी महाराज से विद्रोह करके अपना अलग रास्ता अख्तियार करके सत्ता में पहुँचने की ख्वाहिस लिए हुये एक नयी पार्टी का गठन कर आगे बढ़ रहे हैं।पार्टी की विचारधारा भी सबसे अलग वताई जा रही है।और खासकर यह पार्टी अपनी विचार धारा जन लोकपाल विल के ऊपर बनाए चलने का एलान कर रही है।पार्टी के विशेष नेता श्री केजरी वाल जी के बारे में वैसे इनके पुराने साथियों व खुद अन्ना ने भी कई आरोप व अन्ना व उनकी टीम पर कई बार केजरी वाल जी भी आरोप लगा चुके हैं।
देश में सुधार की बात करने बाली यह पार्टी अपने एक छोटे से आन्दोलन का ही हिसाव किताब नही रख पायी और खुद इनके अपने बीच से ही  किरण वेदी जी ने इनके एन जी औ पब्लिक काउन रिसर्च फाउंडेशन में फंड की अनीयमितता या हैरा फैरी का आरोप लगाया था । और अगर किसी नई पार्टी पर इस तरह के जन्म से पहले ही आरोप लगे हैं वो भी उनकी खुद की टीम के मेंम्वरो द्वारा तो यह कहीं न कहीं गंभीर बात है।और जो व्यक्ति अपने गुरु को ही संतुष्ट नही कर पाया हो वह किसी देश को किसी समस्या से मुक्त कर सकेगा इसमें संदेह ही है।
वैसे समझने के लिए यह देश के लिए भी कठिन परीक्षा की घड़ी ही है।कि जबकि एक पार्टी पूरी तरह भ्रष्टाचार में घिरी हुयी है। और जब एक सामूहिक आन्दोलन बाबा रामदेव के नेत्रत्व में चल रहा था। तो उस आन्दोलन को सहयोग देने की अपेक्षा अचानक एक नया आन्दोलन खड़ा करके उस आन्दोलन की हवा निकालने का उपक्रम किया गया और आन्दोलन एक की जगह दो जगह केन्द्रित हो गया।हो सकता है कि यह कांग्रेस की कोई साजिश हो लैकिन यह बात खुलना अभी तक तो भविष्य के गर्त में ही है।तत्काल उसी आन्दोलन में सहयोग देने की वजाय एक नया आन्दोलन खड़ा किया गया लेकिन उस बाबा ने वड़ी ही महेनत से जो भूमि तैयार की थी सो उसके कार्यक्रम में लगातार संख्या बढ़ रही थी इससे घवड़ा कर सरकार कुछ भी करके बाबा के आन्दो लन को समाप्त करने के हथकंडे अपनाना चाह रही थी किन्तु बाबा का कार्यक्रम था कि आगे बढ़ता ही जाता था ।बाबा ने कई बार अपने आप को गिरफ्तार करने को बोला कि�����्तु सरकार उसकी भीड़ को देखकर गिरफ्तार करने को तैयार न थी क्योंकि इससे तो आन्दोलन और बढ़ जाता सो रणनीतियों पर रणनीति चली गयी ।एक तो आन्दोलन को एक जगह केन्द्रित न करके अन्ना जी के द्वारा नया व इसी प्रकार का आन्दोलन खड़ा करके इसे दो जगह केन्द्रित कर दिया गया ।दूसरे रात को आतंकियों की तरह दिल्ली पुलिस के द्वारा बाबा पर अमानवीय अत्याचार ही नही किये गये अपितु उन्हैं मार डालने की योजना भी बनाई गयी कुछ लोग बाबा के एक स्त्री के रुप में भाग जाने को गलत कह रहे थे जबकि एक राक्षसी सरकार के हाथो मारे जाना कहाँ का बढ़िया कृत्य होता फिर आन्दोलन तो समाप्त ही हो जाता और सरकार यही चाहती थी।फिर अन्ना का आन्दोलन चला सभी जानते है बताने की कोई जरुरत नही कि एक आन्दो लन हमेशा तभी सफल होता है जबकि समाज के सभी अंग सहयोग करे तो अन्ना के आन्दोलन में बाबा ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति ही झोंक दी क्योंकि उस व्यक्ति का उद्देश्य शायद समाज सेवा करना ही था और उसने सहयोग लेने में कभी किसी भी समाज को लांक्षित नही किया जबकि अन्ना के आन्दोलन में कोई ही एसा व्यक्ति रहा हो जिसे यह न पता हो कि संघ ने अपनी सम्पूर्ण ताकत लगाकर सहयोग किया था जवकि अन्य वर्ग के लोगों का कितना सहयोग मिला यह दुनिया जानती है किन्तु बार बार अन्ना यह ही कहते रहै कि मुझे हिन्दु बादियों का कोई सहयोग नही चाहिये लैकिन क्योकि संघ ने तो समाज सेबा करना ही सीखा है राष्ट्र परेशानी में है तब माता की सेबा के लिए चल देना चाहिये चाहै कोई नाम दे या न दे।संघ काम करता रहता है।श्यामाप्रसाद मुखर्जी का नाम दुनिया जानती है वह बंगाल का रहने बाला क्या मतलब था उसका कश्मीर से लैकिन यह मेरा देश है एसी भावना ने उसे बलिदान होने पर मजबूर कर दिया ।
तो जैसे क्रान्तिकारियों का किया धरा वरवाद करके अपने नाम लिखा लिय़ा कांग्रेस ने वैसे ही रामदेव बाबा का किया धरा अन्ना ने लिखा कर उस आन्दोलन को समाप्त कर दिया है।आज न जन लोकपाल बचा है और न जन बचा है। जनता महगाई की मार से त्राहि त्राहि कर रही है जो चीजें पिछली साल 10 रुपये की थी वही चीज आज 20 की है ।मूंगफली के रेट ,आटा के रेट दाल के रेट सभी के सभी दोगुने हो चुके हैं।बाबा का आन्दोलन था भारत का पैसा भारत में आये इन्हौने आन्दोलन की दिशा बदल कर कर दी जन लोकपाल की तरफ जैसे जन लोकपाल प्रभु के यहाँ से भेजा गया कोई दूत होगा जो सोना खाता होगा जो न तो कभी झूठ बोलेगा और कभी भ्रष्ट भी नही होगा।कांग्रेस यही चाहती थी कि दिशा बदल जाए सो हो गया आज न रामदेव रहा न अन्ना न पैसा बापस आने की बात न ही जन और जब जन ही नही तो जन लोकपाल कैसा ।सोचो जब कभी चुनी हुयी सरकार की परिकल्पना करते समय यह बात क्या किसी ने सोची होगी कि जनता द्वारा चुने लोग भी इतने भ्रष्ट होंगे तो जन लोकपाल हो या लोकपाल कोई भी भ्रष्ट हो सकता है क्योकि व्यक्ति का चरित्र पतन शील है ।यह एसी सच्चाई है जो हमेशा सच थी है व सच ही रहेगी।
अब बात करते है कि आम आदमी की पार्टी तो जो पार्टी अपने जन्म समय से ही अनेकों एसी बाते कर रही है जो खोखले दावे करके किसी भी भ्रष्टाचारी को जेल तक न पहुँचा सकी वो एक दिन कोई सिगूफा छोड़ती है दूसरे दिन उसे छोड़ तीसरे को भी लपेट लेती है ।तीसरे दिन चौथे को लैकिन किसी के भी खिलाफ दृणता से खड़ी नही रहती अपितु केवल शिगूफे छोड़ शान्त हो जाती है उससे क्या आशा की जाए।
यहाँ तो बात ही दूसरी दिखाई देती है कि किसी कम्पनी की मार्केट में साख पर वट्टा आने पर जब प्रतिद्वंदी के आगे आने की संभाबना वढ़ जाती हैं तो वह पुरानी कम्पनी मरता क्या न करता की तर्ज पर एक नयी कम्पनी के नाम से अपने प्रोडक्ट बेचने का फैसला करती है या फिर कोई चलती हुयी कम्पनी खरीद लेती है।और इस नयी कम्पनी द्वारा एक नया प्रचार कराया जाता है कि पहले वाली दोनो ��म��पनियाँ खराब है लोग दूसरी की तारीफ बताते हैं तो बह नयी कम्पनी दूसरी को भी भिन्न भिन्न तरीकों से खराब बताने का प्रयास करती है।वैसे भी मार्केटिंग का फण्डा यह है कि ग्राहक आपसे सन्तुष्ट न हो तो न सही किसी भी तरीके से इसके दिमाग में दूसरे के बारे में भ्रम पैदा कर दो।और तीसरे नये नाम से माल बैचने लगो।
अब अनेकों लोग कह रहै होगे भई ज्ञानेश ये क्या बाजीगरी है कि तुम अभी राजनीति की बाते करते करते दुकान दारी या मार्केटिंग पर आ गये सो भइया जी बात यह है कि बात समझने के लिये कई बाते बतानी पढ़ती हैं तो आप ही समझिये बाबा राम देव के आन्दोलन से परेशान कांग्रेस जल्दी से बाबा को ठिकाने लगाने व जनता में उनकी वेकदरी कराने के लिए कभी  उनके जमीन के फर्जीवाड़े की बात कहती है कभी बाबा से कहती है तुम दबाओं में मिलाबट करते हो कभी ट्रष्टो का हिसाब माँगती है लगातार बाबा को कोई न कोई परेशानी खड़ी कर रही है बाबा का दाहिना हाथ बैद्य वालकृष्ण अभी तक कैद में है अब आप लोग ही समझिये कि क्या बाबा ने ट्रष्ट आज या कल ही बनाया है क्या ,उसने दबाए आज से ही बनाना शुरु की है और जो जमीने दी वो कांग्रेस की ही तिवारी जी की सरकार ने दी थी तब क्या बाबा विल्कुल सही था आज जब बाबा ने पोल खोलना शुरु किया तो बाबा वेइमान, चोर, मिलाबटी,चरित्रगिरा सभी कुछ हो गया ।
दूसरी ओर  केजरीवाल सहाव सरेआम कानून की धज्जियाँ उडांकर विजली के खम्वो पर चढ़ कर,बैखोफ जबरिया तरीके से काटी गयी बिजली के तार जोड़ रहैं हैं और इसके अलाबा पत्रकारों को इण्टरव्यू भी दे रहे हैं लैकिन इनके ऊपर कोई न तो केस ही लग रहा है न कोई एफ आई आर दर्ज हो रही है।
क्या आपको एसा लगता है कि सामान्य परिस्थितियों मे एसा होता लेकिन एसा तब ही हो पा रहा है जबकि इस व्यक्ति को कांग्रेस का फुल प्रूफ समर्थन प्राप्त हो।
अब आप सिक्के का दूसरा पहलू समझिये कांग्रेस के कारनामों को समझ कर कि क्या बात क्या हो सकती है ।तो बन्धु मनसे महाराष्ट्र में किसके बूते पर किसी के भी साथ कुछ भी कर सकता है जबकि सत्ता किसकी है सभी लोग जानते हैं लगातार वद्तमीजी करने के बावजूद भी आज तक एक बार भी कांग्रेस ने न तो उसे जेल भैजा न ही इसे किसी प्रकार की हिदायत ही दी क्यों क्या कारण हो सकता है ।इसका कारण है कि वहाँ भाजपा के शिव सेना के वोटों में सेध लगाकर महाराष्ट्र की सत्ता कैसे मिलेगी ये राज ही है जो शिव सेना के या भाजपा के वोट काट सकता है इसी लिए उसे बरगला कर नया महाराष्ट्री भिण्डरावाले पैदा किया गया जिससे भाजपा शिवसेना गठबंधन की ताकत कम हो सके।

ठीक यही चाल यहाँ दिल्ली में चली गयी है ।कांग्रेस का परम लक्ष्य है किसी भी प्रकार दिल्ली की कुर्सी लगातार चौथी बार भी हासिल की जाए एसा करने का कारण क्या है कारण यह है कि सारे भारत की  जनता को फिर कहा जाएगा कि कांग्रेस कितनी अच्छी पार्टी है जो दिल्ली के लोगों ने लगातार चौथी बार चुनी है सो सम्पूर्ण भारत में 1 या 2 प्रतिशत पर तो यह असर पढ़ ही जाएगा।अब इसका विरोधी कौन सो भाजपा तो भाजपा का तोड़ क्या भाजपा का तोड़ वह पार्टी हो सकती है जो भाजपा के मुद्दों को सटक सके और क्योकि राम देव से भ्रष्टाचार का आन्दोलन छीन कर केजरी बाल विना कुछ किये ही हीरो बाली स्थिति में आ ही गये हैं तो भैया इन्है ही आगे बढ़ाऔ यही भाजपा के वोट बैंक को झीन सकते है या ये कहै कि कांग्रेस के सबसे वड़े संकट मोचक बन सकतै हैं। वैसै भी यह सभी जानते है कि भाजपा व काग्रेस का परम्परागत वोट में दिल्ली के अन्दर अन्तर बहुत ज्यादा नही है जो अन्तर है वह कुल मिलाकर 1-2 प्रतिशत ही है सो काग्रेस को एसे संकट मोचक की जरुरत है जो भाजपा के मध्यम वर्गीय मतदाताओ को रिझा सके और भाजपा की सामान्य इमानदार बाली इमेज के सामने विल्कुल राजा हरीश्च्नद्र वाली इमेज रखता हो सो ये गुण धीमेंधीमें या कहैं आन्दोलन के जरिये केजरीवाल कांग्रेस की नजर में बना ही चुके हैं।सो किसी भी सूरत में भाजपा को 2 से 3 प्रतिशत का नुकसान तो पहुँचा ही देगें ।
अब फिर एक बार रुख करना पड़ेगा श्री मान केजरी वाल सहाब की तरफ तो देखो जब आन्दोलन शुरु हुआ तभी से सब लोग देख रहै है कि केजरीवाल की किसी से नही पट पायी है ।अभी थोडे़ दिनो पहले ही किसी व्यक्ति ने जब केजरी बाल का साथ छोडा़ तो उसने कहा कि केजरी बाल का रवैया हमेशा तानाशाही वाला  होता है।इसी कारण टीम की ताकत बाले सभी लोग धीमे धीमे टीम केजरी बाल से दूर हो कर नयी टीम अन्ना बन गयी ।वैसे भी केजरी वाल सहाव सैकुलर व वामपंथी विचार धारा के साथ एन जी ओ  से जुड़े रहै हो तो इनके पास मित्रों की कमी कभी हो ही नही सकती है यह तो एसा वृछ है जिसपर पानी विना ही पत्ते लग जाते है सो पानी पैड़ो को नही सीधे पत्तो को ही लगता रहता है ।लैकिन केजरीबाल का साथ छूटने बाले कारणो में सबसे मह्त्वपूर्ण कारण है कि केजरी बाल का नेता बनने का सपना जिसमें वे जब भाजपा व कांग्रेस को एक जैसा बताने के लिए उपक्रम करने लगे तो सभी अपनी अपनी राह चलने लगे या बहुतो ने इसका विरोध किया ।और कई इस समुन्दर में आते ही भ्रष्ट हो गये ।लैकिन केजरी वाल सहाव ने दुनिया के कहने के बाबजूद अपने आपको श्रेष्ठतम ईमानदार घोषित करने का हमेशा प्रयास किया इसी से पुराने जाते रहै नये चहरे जगह लेते रहै।बात ज्यादा लम्वी हो गयी है आगे की पोस्ट में दी जाए यही वहेतर है ।लैकिन यही कहना ज्यादा श्रेयष्कर है कि बार बार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात करके सत्ता की सीढियों तक पहुचने की चाहत में श्री केजरीबाल ने आजकल तुष्टीकरण की नीतियों पर खुले रुप में आकर यह सावित कर दिया है कि वे भी कांग्रेस की ही या तो वाई प्रोडक्ट हैं या फिर नहेरु की ही तरह भारत पर राज्य करने की इच्छा पाले हुये कुछ सही करने के नाम पर कुछ भी कहने या करने से पीछे नही हटेगे अर्थात काँग्रेस के ही नक्से कदम पर चलकर बस राज ठाकरे  की तरह भाजपा का वोट काटू प्यादा ही बनेगें ।इन्है न तो आम आदमी की समस्याओ से कोई मतलब होगा ।उन्है तो वस किसी भी प्रकारसत्ता का लाभ ही दिखाई देता रहैगा। मेरे अन्य ब्लागो को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे RASTRADHARM
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