Friday, November 23, 2012

भारत सरकार अपना विश्वास खो चुकी है।कांग्रेस जबाव दे कि तुमने अचानक फांसी क्यो दी किसका डर था तुम्है ये डर था या तुष्टीकरण

फेसबुक मयूर के सभी '' मयूरपंखो '' को अमित तेवतिया '' निःशब्द '' की तरफ से वन्देमातरम
क्या कपड़े बदल लेने से इंसान की सीरत बदल जाती हैं ?
क्या रोटी बदल लेने से पेट की भूख बदल जाती हैं ?
क्या गुल को गुलशन से बदल लेने पर गुल की महक बदल जाती हैं ?
क्या बारिश की बूंद बदल लेने से प्यास बदल जाती हैं ?
सवाल कई हैं जिनमे अपवाद भी कई मिल जायेंगे मगर जो खरा हैं वों खरा ही रहता हैं,,सोने चांदी की तरह हीरा भी जितना ही पुराना हो ,उतना ही कीमती होता हैं,, मगर यदि पत्थर पुराना हो तो उसमे काई लग जाती हैं,,कहने को तो हीरा स्वयं एक पत्थर हैं मगर कुछ पत्थर चमकदार होते हैं..जो गले से लग जाए तो आपकी शान बढा दे और गले से नीचे उतर जाए तो आपको '' निःशब्द '' कर दे ...सदा के लिए .....
आजकल न्यूज चैनल पर कोई भी डिबेट चल रही हो ,,एड टाइम में कोई कांग्रेस की एजेन्ट '' चूसलिका '' आती हैं और मोदी जी के किये गए विकास कार्य की और ऊँगली क्या पूरी टांग उठाती हुयी नजर आती हैं (माता बहिने माफ करे) और भाड़े के टटुओ की जेब में अट्ठन्नी चवन्नी डालकर उनसे मोदी जी के विकास कार्यों की बुराई करवाती हैं,,अपना बाया हाथ नचा नचा कर गुजरात की दशा को ऐसे प्रदर्शित करती हैं जैसे गुजरात ना जाने कब से पिछड़ा हुआ हैं,,तो मेरा उस चुसलिका से अहम सवाल यह हैं कि वों अब तक क्यों सो रही थी ? क्या अब तक गुजरात के रास्ते बंद थे या बस - ट्रेन की हड़ताल थी जो यह अब चुनाव के वक्त वहाँ अपनी सहानुभूति प्रकट करने गयी ?
कल चपरासी से ग्रहमंत्री बना शिंदे मोदी जी को हर बात में राजनीति करने वाला कह रहा था ? तो मैं बताना चाहूँगा कि यह सभी नीच मीडिया एक एक ठलुए मंत्री के पास ..एक एक रेहडी खोमचे वाले के पास ,, गली के हर सूअर के पास कसाब की फाँसी की प्रतिक्रिया जानने पहुची मगर कोई भी मोदी जी के पास नही पहुचा ? जबकि मोदी जी ने सिर्फ ट्विटर पर इतना ट्विट किया था कि '' वाट एबाउट अफजल गुरु '' ... और इसी को सभी कांग्रेसी राजनीति कहने लगे .. जो रायबरेली सोनिया गाँधी का सिंघगढ़ कहा जाता था ,,इस बार वहाँ की जनता ने खुद सोनिया गाँधी के खिलाफ नारेबाजी की और पत्थर बरसाए ...
कल कल कसाब कसाब हो रहा है और सभी जानते हैं कि कसाब डेंगू से मरा हैं,,और कांग्रेस अपनी फजीहत से बचने के लिए उसे फाँसी की बात कर रही हैं..शिंदे कह रहा हैं कि सोनिया और प्रधानमंत्री को इस विषय में नही मालूम ..तो शिंदे साहब आप जरूर चपड़ासी से ग्रहमंत्री अपने पिछवाडा रगड़वाते हुए पहुच गए मगर यहाँ भारत की शिक्षित जनता आपकी तरह इतनी बेवकूफ नही कि आपकी चाल भी ना समज सके ..बिना सोनिया गाँधी की इजाजत के बगैर तो कोई भी कांग्रेसी मूत भी नही सकता और यह तो सीधे सीधे दामाद बाबू की फाँसी का सवाल हैं..कम से कम दिग्विजयसिंह के आँसुओ का ही ख्याल कर लेते ? खैर आपके पास सत्ता भी हैं और अपने मौलिक अधिकार भी ...आप मुझ पर ६६अ के तहत मुकदमा कायम करवाईये ..यकीन मानिए मैंने यह बयान पूरे होशो हवास में और स्वस्थ इन्द्रियों के चलते लिखा हैं जो कोर्ट में मेरे विरुद्ध और भी ज्यादा पक्के सबूत के तौर पर आप दिखा सकेंगे ... थू हैं तुम पर
साथियों २००७ में मोदी जी ११७ सीटे ही जीत पाए थे मगर अब यह आंकड़ा हमे १६० तक का चाहिए ..एक अनुमान के अनुसार छ करोड की आबादी वाले गुजरात में पोने चार करोड से ऊपर मतदाता हैं जिसमे सोलह प्रतिशत आदिवासी ,पन्द्रह प्रतिशत पटेल ,, दस प्रतिशत मुस्लिम ,, सात प्रतिशत दलित ,, ब्राह्मण ,जैन व अन्य आठ प्रतिशत ,, तथा अन्य पिछड़ा वर्ग चौवालीस प्रतिशत हैं..और सबसे बड़ी बात यह हैं कि जब सोनिया गाँधी अपने रायबरेली और अमेठी में ही अपनी भद पिटवा आई ,,वही मोदी जी का डंका पूरा भारत नही ,,अपितु पूरा विश्व बजा रहा हैं.....गुजरात के मुसलमान भाई भी मोदी जी के नेतृत्व को ही अपने हित में मानते हैं ,, ये अलहदा बात हैं कि कांग्रेस का मूठ वाडिया जब तब उन्हें कागजी महात्मागांधी के असर से विचलित करवाता रहता हैं...जो अब वों भी मुमकिन नही
इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि जो कांग्रेस ६५ साल से कुछ ना कर पायी वों मोदी जी के दस साल के शासन ने कर दिखाया , गुजरात में पिछले एक दशक से नौ प्रतिशत वर्द्धि की दर से विकास हुआ इसलिए मोदी जी ने दिशा भी बदली और दशा भी बदली मगर अब हमे पूरा भारत बदलना हैं.....मैंने सरबजीत की फाँसी की आशंका कल ही जाहिर कर दी थी और अब इस बात के संकेत भी मिलने लगे हैं,,सरबजीत २०१४ तक अगर जीवित रह गया तो पाकिस्तान खुद उसे अपनी जालीदार टोपी में रखकर भारत सराकर को सौपेगा ,,ऐसा मेरा विश्वास हैं..मेरी दवाई का वक्त हो गया हैं और आपका आपकी आलोचना का ..तो कॉमंट बोक्स खुला हैं..मैं तो '' निःशब्द '' हूँ ,,इसलिए '' निःशब्द '' ही ठीक . शेयर करने वालो का सदा की तरह आभार और कोई भी कॉपी पेस्ट करे तो धारा ६६अ याद रखे ..मुझे तो मरने और मारने का जूनून सवार हैं,,आप सोच समझकर कदम उठाना ....

वंदेमातरम
अमित तेवतिया '' निःशब्द ''

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