Friday, November 30, 2012

राजीव दीक्षित जी की पुण्य तिथि 30नवम्बर पर उनको एक भावभीनी श्रद्धाञ्जलि

 
                           
जला अस्थियां बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल।
                          कलम, आज उनकी जय बोल.
आज 30 नवम्वर है।आज ये पक्तियां याद दिलाती हैं उस सख्स को जो आज हमारे बीच नही है जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने देश के लिए समाज के लिए व भारतीयता के लिए होम कर दिया ।आज जवकि हर तरफ पैसे के पीछे भागदौड़ इतनी ज्यादा हो रही है कि लोग अच्छे बुरे,सही गलत,पाप अत्याचार आदि सभी कुछ कर रहै हैं तब एक पुण्य विभूति का अपने बीच होना कितना आश्चर्य जनक सा लगता है किन्तु इस जीवट आत्मा ने कभी भी इस चीज का कभी गौर ही नही किया।यह व्यक्ति प्रखर वक्ता ही नही एक वैज्ञानिक भी था जिसने आजादी बचाओ आन्दोलन का सूत्रपात भी किया।तथा स्वदेशी क्रार्यकम को आज तक जीवन प्रदान करते रहै।30 नवम्वर 1967 को पैदा हुआ यह माँ का महान सपूत आज के ही दिन या कहैं कि जिस दिन पैदा हुआ था ठीक 43 वर्षो तक माँ की सेबा करता हुआ मात्रभूमि की गोद में विलीन हो गया।प्रभो एसे अमर सपूत तथा महान सेवा भावियो को हमारे समाज को जाग्रत करने के लिए पुनः हमारी भारत माँ की सेवा के लिए पुनः भेजे।क्योंकि हमे अभी भी भारत को एसे समाज सेवियों की जरुरत है।मुझे जो जानकारी थी सो आपके सामने रख दी है वाकी जानकारी आपको भाई श्री राहुल जैन जी के फेसबुक एकाउण्ट से साभार ली है जिससे उनके द्वारा दी गयी श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में दी गयी जानकारी से आप लोग लाभान्वित हो सकें ।  
                                                          ----ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
३० नवम्बर को भाई राजीव दीक्षित जी की पुण्यतिथि है... अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी से स्नेह करने वाले भाई - बहन से मैं आग्रह करता हूँ की कम से कम एक दिन के भाई राजीव दीक्षित जी का फोटो अपने प्रोफाइल फोटो में लगायें .... वन्दे मातरम्


राजीव दीक्षित (३० नवम्बर १९६७ - ३० नवम्बर २०१०) एक भारतीय वैज्ञानिक,प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे वे भारत के विभिन्न भागों में विगत बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विरुद्ध जन जागरण का अभियान चलाते रहे। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता हैे। बाबा रामदेव ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी म्रित्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक लोकप्रिय थे।


राजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ हुआ। इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा फिरोजाबाद से प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी. टेक. तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम. टेक. प्राप्त की। राजीव के माता-पिता उन्हें एक वैज्ञानिक बनाना चाहते थे।[कृपया उद्धरण जोड़ें] पिता की इच्छा को पूर्ण करने हेतु कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये जो उन्हें एक श्रेष्ठ वैग्यानिक के साँचे में ढालने ही वाले थे किन्तु राजीव भाई ने जब पं० राम प्रसाद 'बिस्मिल' की आत्मकथा का अध्ययन किया तो अपना पूरा जीवन ही राष्ट्र-सेवा में अर्पित कर दिया। उनका अधिकांश समय महाराष्ट्र के वर्धा जिले में प्रो० धर्मपाल के कार्य को आगे बढाने में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और विनम्रता कूट-कूट कर भरी थी। वे संयमी, सदाचारी, ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। उन्होंने निरन्तर साधना की जिन्दगी जी । सन् १९९९ में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने समूचे देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जागृति पैदा कर रहे थे। राजीव भाई बिस्मिल की आत्मकथा से इतने अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने बच्चन सिंह से आग्रह कर-करके फाँसी से पूर्व उपन्यास लिखवा ही लिया। लेखक ने यह उपन्यास राजीव भाई को ही समर्पित किया था। राजीव पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे।
                                                        द्वारा-Rahul Jain Jai Hind

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