Friday, November 30, 2012

राजीव दीक्षित जी की पुण्य तिथि 30नवम्बर पर उनको एक भावभीनी श्रद्धाञ्जलि

 
                           
जला अस्थियां बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल।
                          कलम, आज उनकी जय बोल.
आज 30 नवम्वर है।आज ये पक्तियां याद दिलाती हैं उस सख्स को जो आज हमारे बीच नही है जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने देश के लिए समाज के लिए व भारतीयता के लिए होम कर दिया ।आज जवकि हर तरफ पैसे के पीछे भागदौड़ इतनी ज्यादा हो रही है कि लोग अच्छे बुरे,सही गलत,पाप अत्याचार आदि सभी कुछ कर रहै हैं तब एक पुण्य विभूति का अपने बीच होना कितना आश्चर्य जनक सा लगता है किन्तु इस जीवट आत्मा ने कभी भी इस चीज का कभी गौर ही नही किया।यह व्यक्ति प्रखर वक्ता ही नही एक वैज्ञानिक भी था जिसने आजादी बचाओ आन्दोलन का सूत्रपात भी किया।तथा स्वदेशी क्रार्यकम को आज तक जीवन प्रदान करते रहै।30 नवम्वर 1967 को पैदा हुआ यह माँ का महान सपूत आज के ही दिन या कहैं कि जिस दिन पैदा हुआ था ठीक 43 वर्षो तक माँ की सेबा करता हुआ मात्रभूमि की गोद में विलीन हो गया।प्रभो एसे अमर सपूत तथा महान सेवा भावियो को हमारे समाज को जाग्रत करने के लिए पुनः हमारी भारत माँ की सेवा के लिए पुनः भेजे।क्योंकि हमे अभी भी भारत को एसे समाज सेवियों की जरुरत है।मुझे जो जानकारी थी सो आपके सामने रख दी है वाकी जानकारी आपको भाई श्री राहुल जैन जी के फेसबुक एकाउण्ट से साभार ली है जिससे उनके द्वारा दी गयी श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में दी गयी जानकारी से आप लोग लाभान्वित हो सकें ।  
                                                          ----ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
३० नवम्बर को भाई राजीव दीक्षित जी की पुण्यतिथि है... अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी से स्नेह करने वाले भाई - बहन से मैं आग्रह करता हूँ की कम से कम एक दिन के भाई राजीव दीक्षित जी का फोटो अपने प्रोफाइल फोटो में लगायें .... वन्दे मातरम्


राजीव दीक्षित (३० नवम्बर १९६७ - ३० नवम्बर २०१०) एक भारतीय वैज्ञानिक,प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे वे भारत के विभिन्न भागों में विगत बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विरुद्ध जन जागरण का अभियान चलाते रहे। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता हैे। बाबा रामदेव ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी म्रित्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक लोकप्रिय थे।


राजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ हुआ। इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा फिरोजाबाद से प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी. टेक. तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम. टेक. प्राप्त की। राजीव के माता-पिता उन्हें एक वैज्ञानिक बनाना चाहते थे।[कृपया उद्धरण जोड़ें] पिता की इच्छा को पूर्ण करने हेतु कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये जो उन्हें एक श्रेष्ठ वैग्यानिक के साँचे में ढालने ही वाले थे किन्तु राजीव भाई ने जब पं० राम प्रसाद 'बिस्मिल' की आत्मकथा का अध्ययन किया तो अपना पूरा जीवन ही राष्ट्र-सेवा में अर्पित कर दिया। उनका अधिकांश समय महाराष्ट्र के वर्धा जिले में प्रो० धर्मपाल के कार्य को आगे बढाने में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और विनम्रता कूट-कूट कर भरी थी। वे संयमी, सदाचारी, ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। उन्होंने निरन्तर साधना की जिन्दगी जी । सन् १९९९ में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने समूचे देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जागृति पैदा कर रहे थे। राजीव भाई बिस्मिल की आत्मकथा से इतने अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने बच्चन सिंह से आग्रह कर-करके फाँसी से पूर्व उपन्यास लिखवा ही लिया। लेखक ने यह उपन्यास राजीव भाई को ही समर्पित किया था। राजीव पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे।
                                                        द्वारा-Rahul Jain Jai Hind

जानो मीडिया घोषित जन हत्यारे मोदी को जो बचाता है महिने मे हजारों जाने

हर महीने हजारों जानें बचाता है ये 'हत्यारा हिटलर'
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
# www.ibtl.in/news/exclusive/1719/this--mass-murderer--saves-a-thousand-lives-every-month
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
जो लोग मोदी को जानते हैं, उन्हें मसीहा कहते हैं, वही एक वर्ग ऐसा भी है जो मोदी को मास मर्डरर अर्थात जन-हत्यारा कहता है | १० वर
्ष तक देश का मीडिया एक व्यक्ति को चिल्ला चिल्ला कर हत्यारा बताता रहा जबकि उसके विरुद्ध एक एफआईआर तक दर्ज नहीं है | पर इस बीच मोदी चुप चाप अपने गुजरात का विकास करते रहे और जनता के दिलों पर राज करने लगे | मोदी का विकास केवल शहरों तक सीमित नहीं रहा, पानी की कमी वाले गुजरात में ९.६% की कृषि विकास दर अर्जित कर के मोदी ने असंभव को संभव कर दिखाया | २००४-०५ में प्रसूति के केवल ५४% मामले ऐसे होते थे जहाँ अस्पताल में बच्चे का जन्म होता था | उसी संख्या को २०११ में मोदी ने ९०% तक पहुंचा दिया | ये चमत्कार संभव हुआ .
   उधर आप देख सकते है आजादी के समय से ही कोई न कोई नया झूठ वोलने वाली कांग्रेस पार्टी आज भी कैसे कैसे झूठो का सहारा ले रही है।नीचे जो तस्वीर है ये है श्री लंका के किसी कुपोषण ग्रस्त बच्चे की और दिखाया जा रहा था गुजरात का नाम लेकर जव पोल खुली तो भागे कांग्रेसी दुम दवाकर मिट्टी पलीद करायी सो अलग  ..

ज्ञानेश की कुण्डलियाँ 1- कांग्रेस राज 2- गुजरातका कांग्रेसी प्रचार

                               कांग्रेस राज 
पंजे के प्रपंच से दूर रहो नर नारि क्योकि खूनी पंजे ने करवाया चीत्कार।
करवाया चीत्कार सदा जनता पर भारी पंजा करता रहा सदा तुमपर सवारी
दक्षिण से कश्मीर मुकट भारत का रोता पाला क्यों कांग्रेस ने मुझको तोता
दिल्ली की दिलजली बात जनता पर भारी उतरेगी कब सत्ता से कांग्रेस हत्यारी
लूट लिया सब माल अब भारत खाली है जन के नंगे हाथ औऱ जनता खाली है
नेताओं पर माल और जनता को ठेंगा ये काग्रेसी राज आज जनता को महँगा।  

        
              गुजरात का कांग्रेसी प्रचार
गुजरात के चुनाव में काग्रेस करे प्रचार मोदी ने हमको दिया धक्का बारम्बार
धक्का बारम्बार सदा ही है जुतियाया फिर भी देखो हमने बाबा राहुल भिजवाया
दंगे के अधिकार से तुमको हीन कि्या है दैखो मु्स्लिम भाई कैसा खून पिया है
हमने यह अधिकार तुम्हारा ऱख रख्खा था हमारा वह शाशन देखो कितना अच्छा था। 
 मोदी अत्याचार से गर जो बचना चाहे,तो कांग्रेस काग्रेस के सुर से भर दे राहैं
दंगे का अधिकार तुम्हैं तब मिल पाएगा मुस्लिम ससम्मान तभी तो जी पाएगा
  

Thursday, November 29, 2012

मेरा पुराने समय का गाँव -कविता

भाई रतन सिहं शेखावत जी राजस्थान के एक वड़े ही अच्छे व्यक्तित्व के धनी ब्लागर हैं मैं उनसे वहुत प्रभावित हूँ आज में उनके ब्लाग पर गया तो उनके ब्लाग पर एक कवि बन्धु श्री मान जी गजेन्द्र सिंह जी की कविता ने मुझे प्रभावित किया यह कविता राजस्थानी भाषा में थी मै राजस्थानी तो नही जानता किन्तु उनके ब्लाग पर कुछ शब्दों का अर्थ लिखा हुआ था सो मैने इस कविता का जो आशय लगाया है वह बहुत ही अच्छा लग रहा है तो शायद आपकी कविता का वास्तविक अर्थ तो बड़ा ही अच्छा होगा वैसे हमारी भाषा व आपकी भाषा में शायद बहुत ज्यादा अन्तर नही है।आपका ऐसे काव्य शेयर करने के लिए धन्यबाद
मैने जो आशय लगाया है वह यह है
   कहाँ गया वो गाँव आपना कहाँ गयी वो रीति।
   कहाँ गया वो मिलना जुलना गया जमाना वीत।।
दुःख दर्द के बुरे समय में सदा काम जो आता।
मानव मानव जुड़ा रहता जिय मे होता नाता ।।
त्यौहारों पर गाया जाता कहाँ गया वो गीत।
कहाँ गया वो मिलना जुलना गया जमाना वीत।।
     घर आँगन में वैठा करते,सुख दुःख की बतियाने।
     इक थाली में खाया करते,मिल बाँट कर खाने ।।
     महफिल जो रंगीन बनाता ,कहाँ गया वो मीत।
     कहाँ गया वो मिलना जुलना गया जमाना वीत।।
उन बातों में सुख ज्यादा था,यह जीवन का सार था।
छल कपट औऱ धोकेबाजी,नही एसा व्यवहार था।।
     परदेशी को चिठ्ठी लिखता कहाँ गया वो प्रीत।
     कहाँ गया वो मिलना जुलना गया जमाना बीत।।

                               अनुवाद- ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
               कविता का मूल वड़े भाई सहाव श्री रतन सिंह शेखावत जी के
                    राजस्थानी भाषा में ब्लाग ज्ञान दर्पण पर है।

खोखली हैं मुसलमानों की धर्म निरपेक्षता की बाते

क्या यह सच नही है सोचो और फिर ध्यान रखो इस बात का

काग्रेस के झूठ खुद उसी की फजीहत करा रहे हैं

पुराने समय से ही झूठ के ऊपर आधारित पार्टी कांग्रेस अब अपने अन्त समय पर भी झूठ को छोड़ना ही नही चाहती।चाहैं झूठ उसकी कितनी ही फजीहत क्यो न करादें।
आजकल गुजरात में चुनाब का माहौल है।और पिछले दस वर्षों से मोदी के रुप में भाजपा का वर्चस्व वहाँ कायम है पिछले आम चुनावों में भी कांग्रेस ने अपने मीडिया के सहयोगियों का साथ लेकर भरपूर दुस्प्रचार कराया था किन्तु कोई फल नही निकला उल्टे पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।कांग्रेस को मोदी के उन बुरे पलों का दुस्प्रचार महेगा पडा़ था जो वास्तव में तो काग्रेस के ही कुछ सिपहसलार जैसे गोधरा के नगरपालिका पार्षद कलौटा आदि के कारनामों से पैदा हुआ था तो अब नये नये  प्रचारों का सहयोग लिया जा रहा है जो बास्तव में गुजरात से न होकर कोई फोटो श्री लंका की कुपोषण से ग्रस्त महिला का है तो कोई राजस्थान के तंगहाली से ग्रसित किसान का है।जहाँ कांग्रेस की ही सरकारे हैं।लैकिन यह जनता है सब कुछ जानती है वैसे ही जनता उन्हैं विकास पुरुष नही कहती है।उनका विकास का दावा खोखला नही है।लो यह दैखो कांग्रेस के दु्श्प्रचार की घटना जो साभार 
दो और विज्ञापनों ने कराई कांग्रेस की फजीहत
Gujarat  Congress faced much embarrassment for two more ads based on fake facts
दो और विज्ञापनों ने कराई कांग्रेस की फजीहत
अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। विभिन्न सर्वेक्षणों में भाजपा से पीछे चल रही कांग्रेस बढ़त हासिल करने के फेर में एक के बाद एक ऐसी गलतियां कर रही है, जिससे उसे कोई लाभ मिलने के बजाय फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी के शासन में कुपोषण की स्थिति बताने के लिए एक विज्ञापन में श्रीलंका की बाढ़ पीड़ित महिला और उसके शिशु का फोटो छापकर शर्मसार हुई कांग्रेस ने नया कारनामा बिजली की समस्या से जुड़े विज्ञापन में राजस्थान के बदहाल किसान की फोटो छापकर किया है। इतना ही नहीं पीने के पानी की किल्लत दर्शाने वाले एक और विज्ञापन में अगरतला के बच्चे का फोटो इस्तेमाल किया गया है। ये फोटो अखबारों को दिए गए विज्ञापनों और होर्डिग्स में भी इस्तेमाल किए गए हैं।
श्रीलंका के बाढ़ पीड़ित बच्चे को गुजरात का कुपोषित शिशु प्रचारित करने के दांव में मात खाई कांग्रेस ने पहले तो यह समझाने की कोशिश की थी कि असल मुद्दा कुपोषण है, न कि फोटो, लेकिन दो और विज्ञापनों में फर्जी फोटो इस्तेमाल होने के बाद उसे जवाब देते नहीं बन रहा है। कांग्रेस की फजीहत के पीछे ंवह एजेंसी है, जिसने कांग्रेस के विज्ञापन तैयार किए हैं। अपने विज्ञापनों में फर्जी फोटो इस्तेमाल करने के कारण चौतरफा आलोचनाओं से घिरने के बाद कांग्रेस ने अब बिना फोटो वाले विज्ञापन जारी करने शुरू किए हैं। उसने कहा है कि अब वह तथ्यों के आधार पर नरेंद्र मोदी का मुकाबला करेगी। बुधवार को जारी ऐसे ही एक विज्ञापन में कांग्रेस ने मोदी के सीने पर निशाने पर साधा है। बिना फोटो विज्ञापन जारी कर काग्रेस ने पूछा है कि 56 इंच सीना होने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में बच्चे भूखे क्यों हैं?
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस की ओर से तैयार किए गए विज्ञापन उसके लिए मुसीबत बने हों। कुछ समय पहले केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय ने एक ऐसा विज्ञापन जारी कर प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष असहज स्थिति पैदा कर दी थी, जिसमें भारतीय सैन्य अधिकारी की जगह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी का फोटो इस्तेमाल किया गया था। वैसे गुजरात कांग्रेस ने अपने फ्लॉप विज्ञापनों से जनता का ध्यान बंटाने के लिए भाजपा के प्रचार अभियान पर निशाना साधा है। भाजपा की ओर से महिलाओं को मंगलसूत्र बांटने पर काग्रेस ने पूछा है कि भारतीय संस्कृति में जो काम केवल पति ही कर सकता है वह भाजपा कैसे कर रही है?

इण्टरनेट की आजादी बहुत जरुरी है

आजकल जिस तरीके से फेसवुक,व अन्य इण्टर नेट पर किये लिखे गये वक्तव्यों पर सरकारे जिस तरीके से लोगों को कैद किया जा रहा है वह बहुत शोचनीय है।क्या व्यक्ति को दिये गये मूल अधिकारों को सरकारे दवाना चाह रही हैं।यह ठीक है कि कुछ लोग आजादी का गलत मतलब निकाल लेते हैं लैकिन इस प्रकार से तो कोई व्यक्ति विरोध प्रदर्शित ही नही कर सकेगा तथा सरकारे मनमाने काम करने लग जाऐंगी।और समाज में अस्तव्यस्तता पैदा हो जाएगी।हाँ अगर कोई व्यक्ति किसी आतंकबादी घटना को अंजाम देना चाहता हो तो समाज सुरक्षा के लिए यह एक जरुरी कदम होगा किन्तु किसी व्यक्ति ने किसी पार्टी की आलोचना कर दी तो उसे गिरफ्तार करलिया जाए यह तो ठीक बात नही लगती है औऱ उस व्यक्ति को संविधान प्रदत्त अधिकारों की सरकारों द्वारा  खुली धज्जियाँ उडा़ना ही कहा जा सकता है या यह कहा जाए कि सरकार अघोषित आपातकाल लाना चाहती है वरना तुम तो राम नही हो आलोचना तो राम की भी होती थी फिर तुम क्या चीज हो।इण्टर नेट यूजर भी इस बात को समझे तथा कमेण्ट ज्यादा से ज्यादा दें ।देखो दुनिया में इस आजादी के लिए क्या हो रहा है।

इंटरनेट की आजादी

लंदन में इक्वाडोर दूतावास के बाहर रविवार को विकिलीक्स संस्थापक जूलियन अंसाजे के समर्थन में एथिकल हैकर्स के संगठन एनॉनिमस का एक सदस्य मॉस्क पहन कर पहुंचा। यह संगठन दुनिया भर में इंटरनेट की आजादी के लिए लड़ता है।

ये तीन बाते,बनाऐं महान



इन तीनों से बचे रहो- काम,क्रोध व लोभ
सदा तीन परित्याग करो- झूठ,बेइमानी व द्वेष
इन तीनों पर अटल रहो- ईश्वर,विवेक व सदबुद्धि
तीन गुणों को धारण कर- शक्ति,धैर्य व गुण की खान
तीन अवगुणों को ना राखो- मोह,मद व दम्भ
भक्ति तीन इन्है पाओ- देश,गुरु व ईश्वर भक्ति
तीन प्रेम को धरिये साथ-देश,मात्र व ईश्वर प्रेम
सदा तीन को आदर दो- विद्या सज्जन व धर्म
सदा करो तीन की सेवा- अथिति,धर्म व परमेश्वर
सदा तीन होते हैं रोग- वात ,पित्त व कफ
तीन जगह ही है परमेश्वर – जल,थल व नभ
तीन वफा के हैं अधिकारी- देश,गुरु व अपना स्वामी
तीन दवाते हैं अशक्त को- राजा,पातक व रोग
सदा तीन तुम काम करो- परोपकार,आज्ञापालन व बड़ो की सेवा
तीन आदते करो समाप्त –गाली,क्रोध,व चुगली करना

Wednesday, November 28, 2012

सतिगुरु नानक प्रगटिआ मिटी धुंधु जगि चानणु होआ।' ः-प्रकाश पर्व पर विशेषकाश पर्

गुरु नानक देव एक ऐसे महापुरुष थे जिन्हौने तत्कालीन समाज की विकृतियों को समझा और उसे नयी दि़शा प्रदान की औऱ उस काम को अंजाम दिया जो विरले ही कर पाते हैं गुरु नानक देव जी ने युग की धारा को मोड़कर सदियों से ज्ञान का वह स्थान मानव को दिखलाया जो उसके आचरण से नदारद था।गुरुजी ने आध्यात्म को एक नयी दिशा प्रदान की और दुनिया को बताया कि धर्म केवल दिखावे की या केवल चर्चा की वस्तु नही है यह तो आचरण में ढालने की वस्तु है।इतने दिनो की मुस्लिम गुलामी के बाद तथा इतने दिनो तक किसी भी योग्य गुरु के अभाव में समाज मे यह भावना पनप गयी थी कि धर्म तो केवल सन्यासियों के मतलब की वस्तु है इसे धारण करना केवल सन्यासियों का काम है ।एसे समय में गुरु नानक देव का पदार्पण निश्चय ही एक दैवीय घटना थी।इन्हौने मानव को समझाया कि धर्म तो विना संन्यासी बने व विना वन गमन किये सामान्य गृहस्थ रहते हुये भी पाया जा सकता है प्रभु तो मन के प्रेम भाव से मिलते हैं न कि तणाम पाखण्डों से।जो प्रभु को पाने की चाह रखता हो वह परमात्मा के प्रेम के लिए केवल सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार हो प्रभु तो मिल ही जाएगा।
आज प्रकाश पर्व पर भाई प्रीतम सिंह छावड़ा जी के माई वेव दुनिया डाट काम से लेकर साभार यह लेख मैं अपने पाठको के लिए डाल रहा हूँ। 
सर्वधर्म समभाव के पैरोकार
gurunanak dev


आज से 540 वर्ष पूर्व भारत की पावन धरती पर एक युगांतकारी युगदृष्टा, महान दार्शनिक, चिंतक, क्रांतिकारी समाज सुधारक, धर्म एवं नैतिकता के सत्य शाश्वत मूल्यों के प्रखर उपदेशक, निरंकारी ज्योति का सन्‌ 1469 में दिव्य प्रकाश हुआ। इस दिव्य प्रकाश पुंज का नाम रखा नानक।

नानकजी के भीतर अल्लाह का नूर, ईश्वर की ज्योति को सबसे पहले दायी दौलता, बहन नानकीजी एवं नवाब रायबुलार ने पहचाना। पुरोहित पंडित हरदयाल ने जब उनके दर्शन किए, उसी क्षण भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बालक ईश्वरीय ज्योति का साक्षात अलौकिक स्वरूप है। भाई गुरदासजी ने भी बड़े सुंदर शब्दों में उच्चारित किया 'सतिगुरु नानक प्रगटिआ मिटी धुंधु जगि चानणु होआ।'

नानकजी बाल्यकाल से संत प्रवृत्ति के थे। उनका मन आध्यात्मिक ज्ञान, साधना एवं लोक कल्याण के चिंतन में डूबा रहता। उन्होंने संसार के कल्याण के लिए ज्ञान साधना द्वारा झूठे धार्मिक उन्माद एवं आडंबरों का विरोध किया। मन की पवित्रता, सदाचार एवं आचरण पर विशेष बल देते हुए एक परमेश्वर की भक्ति का सहज मार्ग सभी प्राणियों के लिए प्रशस्त किया।
  दुनिया में सभी स्वार्थ के लिए झुकते हैं, परोपकार के लिए नहीं। गुरुदेव स्पष्ट ऐलान करते हैं कि मात्र सिर झुकाने से क्या होगा, जब हृदय अशुद्ध हो, मन में विकार हो, चित में प्रतिशोध हो। 


गुरुनानकजी की सिद्धों से मुलाकात हुई तो सिद्धों ने सवाल किया कि हमारी जाति 'आई' है, तुम्हारी जाति कौन-सी है? गुरुदेव ने फरमाया- 'आई पंथी सगल जमाती मनि जीतै जगु जीतु।' अर्थात सारे संसार के लोगों को अपनी जमात का समझना, किसी को छोटा या बड़ा न समझना ही हमारा पंथ (जाति) है। श्री गुरुजी ने संस्कारों एवं रूढ़ियों को नए सुसंस्कारित अर्थों में ग्रहण कर उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना की और 'मनि जीतै जगु जीतु' का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

यह सिद्धांत था मन पर कंट्रोल करने का, क्योंकि मन पर विजय पाकर ही सारी दुनिया पर विजय प्राप्त की जा सकती है। यह जीत तीर-तलवार या बम के गोलों की न होकर सिद्धांतों की जीत होती है और इस जीत के पश्चात मनुष्य जीवनरूपी बाजी जीतकर ही जाता है।                                                    - प्रीतमसिंह छाबड़ा

     

Tuesday, November 27, 2012

गाय चोरी के विरोध में गई थी हेडकांस्टेबल की जान

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : बाबा हरिदास नगर इलाके में अगस्त में हुई हेडकांस्टेबल यशपाल सिंह की हत्या मेवाती गैंग ने गाय चोरी का विरोध करने पर की थी। महरौली थाने से अपनी ड्यूटी समाप्त कर घर लौट रहे हेडकांस्टेबल ने टाटा 407 लेकर गायों के समीप खड़े मेवात के कुख्यात मुग्गा गिरोह को ललकाराथा।
जिसके बाद उन्हें गोली मार दी गई। क्राइम ब्रांच और दक्षिण पश्
चिम जिला पुलिस ने इस मामले में मुग्गा गैंग के सरगना मुबारक उर्फ मुग्गा , रहीस उर्फ टोटी, जमशेद उर्फ जम्मास और आरिफउर्फ बुग्गा को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से चोरी की एक मोटरसाइकिल बरामद हुई है।
दक्षिण पश्चिम जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अनिल कुमार ओझा के अनुसार स्पेशल स्टाफ इंस्पेक्टर रंजीत ढाका की टीम ने रहीस को कापसहेड़ा इलाके से धर दबोचा। उसकी निशानदेही पर गैंग सरगना मुबारक उर्फ मुग्गा को नजफगढ़ से दबोचा गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह रात में मवेशी(गाय) चोरी करता है।
इस काम के लिए गिरोह के बदमाश रात में टाटा407 लेकर निकलते हैं। जहां भी उन्हें कोई गाय-भैंस मिल जाती है उसे गाड़ी में लादकर फरार हो जाते हैं। वारदात वाली रात 23 अगस्त को गिरोह के 9 सदस्य टेंपो लेकर झडौदा गांव पहुंचे थे। वहां खड़ी गायों को वह लोग टाटा 407 में लादने की कोशिश कर ही रहे थे कि मोटरसाइकिल पर घर लौट रहे यशपाल सिंह ने उन्हें देखा तो वह रुककर पूछताछ करने लगे।
इससे घबराए बदमाशों ने उनके सिर में सटाकर गोली मार दी और फरार हो गए।
क्राइम ब्रांच उपायुक्त संजय जैन के अनुसार यह गिरोह गाड़ी में पत्थर भरकर चलता है। जब भी कोई ग्रामीण या पुलिस उनका विरोध करती है तो बदमाश गाड़ी में से उन पर पत्थर बरसा देते हैं। इंस्पेक्टर सुनील कुमार की देखरेख में सब इंस्पेक्टर एनएस राना, रविंद्र तेवतिया व कांस्टेबल असलूप तथा राकेश की टीम ने गिरोह के दो सदस्य जमशेद उर्फ जम्मास तथा आरिफ उर्फ बुग्गा नामक मेवाती बदमाशों को गिरफ्तार किया। गिरोह के अन्य सदस्य फरार हैं। सभी आरोपी मेवात इलाके के रहने वाले हैं।

तनोट माता का मंदिर - जिस मंदिर में पाकिस्तान के छक्के छूट गये


जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर स्थि‍त माता तनोट राय (आवड़ माता) का मंदिर है। तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का एक रूप माना जाता है। हिंगलाज माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है।

भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने तनोट को अपनी राजधानी बनाया था। उन्होंने विक्रम संवत 828
में माता तनोट राय का मंदिर बनाकर मूर्ति को स्थापित किया था। भाटी राजवंशी और जैसलमेर के आस-पास के इलाके के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी तनोट माता की अगाध श्रद्धा के साथ उपासना करते रहे। कालांतर में भाटी राजपूतों ने अपनी राजधानी तनोट से हटाकर जैसलमेर ले गए परंतु मंदिर तनोट में ही रहा।
तनोट माता का य‍ह मंदिर यहाँ के स्थानीय निवासियों का एक पूज्यनीय स्थान हमेशा से रहा परंतु 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान जो चमत्कार देवी ने दिखाए उसके बाद तो भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की श्रद्धा का विशेष केन्द्र बन गई।
सितम्बर 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ। तनोट पर आक्रमण से पहले श‍त्रु (पाक) पूर्व में किशनगढ़ से 74 किमी दूर बुइली तक पश्चिम में साधेवाला से शाहगढ़ और उत्तर में अछरी टीबा से 6 किमी दूर तक कब्जा कर चुका था। तनोट तीन दिशाओं से घिरा हुआ था। यदि श‍त्रु तनोट पर कब्जा कर लेता तो वह रामगढ़ से लेकर शाहगढ़ तक के इलाके पर अपना दावा कर सकता था। अत: तनोट पर अधिकार जमाना दोनों सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण बन गया था।
17 से 19 नवंबर 1965 को श‍त्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया। दुश्मन के तोपखाने जबर्दस्त आग उगलते रहे।तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियाँ दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी। शत्रु ने जैसलमेर से तनोट जाने वाले मार्ग को घंटाली देवी के मंदिर के समीप एंटी पर्सनल और एंटी टैंक माइन्स लगाकर सप्लाई चैन को काट दिया था।
दुश्मन ने तनोट माता के मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में करीब 3 हजार गोले बरसाएँ पंरतु अधिकांश गोले अपना लक्ष्य चूक गए। अकेले मंदिर को निशाना बनाकर करीब 450गोले दागे गए परंतु चमत्कारी रूप से एक भी गोला अपने निशाने पर नहीं लगा और मंदिर परिसर में गिरे गोलों में से एक भी नहीं फटा और मंदिर को खरोंच तक नहीं आई।
सैनिकों ने यह मानकर कि माता अपने साथ है, कम संख्या में होने के बावजूद पूरे आत्मविश्वास के साथ दुश्मन के हमलों का करारा जवाब दिया और उसके सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया। दुश्मन सेना भागने को मजबूर हो गई। कहते हैं सैनिकों को माता ने स्वप्न में आकर कहा था कि जब तक तुम मेरे मंदिर के परिसर में हो मैं तुम्हारी रक्षा करूँगी।
सैनिकों की तनोट की इस शानदार विजय को देश के तमाम अखबारों ने अपनी हेडलाइन बनाया।
एक बार फिर 4 दिसम्बर 1971 की रात को पंजाब रेजीमेंट की एक कंपनी और सीसुब की एक कंपनी ने माँ के आशीर्वाद से लोंगेवाला में विश्व की महानतम लड़ाइयों में से एक में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजीमेंट को धूल चटा दी थी।लोंगेवाला को पाकिस्तान टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया था।
1965 के युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल ने यहाँ अपनी चौकी स्थापित कर इस मंदिर की पूजा-अर्चना व व्यवस्था का कार्यभार संभाला तथा वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन और संचालन सीसुब की एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। मंदिर में एक छोटा संग्रहालय भी है जहाँ पाकिस्तान सेना द्वारा मंदिर परिसर में गिराए गए वे बम रखे हैं जो नहीं फटे थे।
सीसुब पुराने मंदिर के स्थान पर अब एक भव्य मंदिर निर्माण करा रही है।
लोंगेवाला विजय के बाद माता तनोट राय के परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण किया, जहाँ हर वर्ष 16 दिसम्बर को महान सैनिकों की याद में उत्सव मनाया जाता है।
हर वर्ष आश्विन और चै‍त्र नवरात्र में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
अपनी दिनों दिन बढ़ती प्रसिद्धि के कारण तनोट एक पर्यटन स्थल के रूपमें भी प्रसिद्ध होता जा रहा है।
मन्दिर का  इतिहास: मंदिर के वर्तमान पुजारी सीसुब में हेड काँस्टेबल कमलेश्वर मिश्रा ने मंदिर के इतिहास के बारे में बताया कि बहुत पहले मामडिया नाम के एक चारण थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्त करने की लालसा में उन्होंने हिंगलाज शक्तिपीठ की सात बार पैदल यात्रा की। एक बार माता ने स्वप्न में आकर उनकी इच्छा पूछी तो चारण ने कहा कि आप मेरे यहाँ जन्म लें।
माता कि कृपा से चारण के यहाँ 7 पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया। उन्हीं सात पुत्रियों में से एक आवड़ ने विक्रम संवत 808 में चारण के यहाँ जन्म लिया और अपने चमत्कार दिखाना शुरू किया।सातों पुत्रियाँ देवीय चमत्कारों से युक्त थी। उन्होंने हूणों के आक्रमण से माड़ प्रदेश की रक्षा की।
काँस्टेबल कालिकांत सिन्हा जो तनोट चौकी पर पिछले चार साल से पदस्थ हैं कहते हैं कि माता बहुत शक्तिशाली है और मेरी हर मनोकामना पूर्ण करती है। हमारे सिर पर हमेशा माता की कृपा बनी रहती है। दुश्मन हमारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता है।
माड़ प्रदेश में आवड़ माता की कृपा से भाटी राजपूतों का सुदृढ़ राज्य स्थापित हो गया। राजा तणुराव भाटी ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया और आवड़ माता को स्वर्ण सिंहासन भेंट किया। विक्रम संवत 828 ईस्वी में आवड़ माता ने अपने भौतिक शरीर के रहते हुए यहाँ अपनी स्थापना की।
विक्रम संवत 999 में सातों बहनों ने तणुराव के पौत्र सिद्ध देवराज, भक्तों, ब्राह्मणों, चारणों, राजपूतों और माड़ प्रदेश के अन्य लोगों को बुलाकर कहा कि आप सभी लोग सुख शांति से आनंद पूर्वक अपना जीवन बिता रहे हैं अत: हमारे अवतार लेने का उद्देश्य पूर्ण हुआ। इतना कहकर सभी बहनों ने पश्चिम में हिंगलाज माता की ओर देखते हुए अदृश्य हो गईं। पहले माता की पूजा साकल दीपी ब्राह्मण किया करते थे। 1965 से माता की पूजा सीसुब द्वारा नियुक्त पुजारी करता है।
जय तनोट माता तुम्हारी जय हमेशा यो ही होती रहे - ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय

सफलता का मूलमंत्र....प्रिन्स कुमावत भारतीय

सफलता कौन व्यक्ति ऐसा है जो सफल होना नही चाहता औऱ सफल व्यक्ति का जीवन भी सफल माना जाता है आजकल लोग सामान्य कार्य व्यवहारों को ही सफलता मान लेते है हाँ यह सही है कि यह भी सफलता का ही एक रुप है किन्तु फिर भी जीवन की सम्पूर्ण सफलता हमारे आध्यात्म के अनुसार तब मानी जाती है जवकि व्यक्ति जन्म मरण के बन्धन से दूर होकर मोक्ष प्राप्त कर ले।ये बात हम आध्यात्म में जाकर कह रहे हैं लेकिन हमारा धर्म व्यक्ति को इस लोक व परलोक दोनो में सफल बनाना चाहता है तो हमारा भारतीय चितंन इन दोनो प्रकार की सफलताओं के लिए व्यक्ति को कैसे दर्पण दिखात है देखिये मेरे फेसवुक के मित्र श्री प्रिंस कुमावत की यह पोस्ट - ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
 
विदुरजी(विदुर जो कौरवो और पांडवो के काका तथा धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।) द्वारा बताये इस मूलमंत्र को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हमारे परम सौभाग्य का मार्ग खुलते देर नहीं लगेगी।

उत्थानं संयमो दाक्ष्यमप्रमादो धृतिः स्मृतिः।
समीक्ष्य च समारम्भो विद्धि मूलं भवस्य तु।।

' उद्योग, संयम, दक्षता, सावधानी, धैर्य, स्मृति और सोच-विचारकर कार्यारम्भ करना-इन्हें मूलमंत्र समझिये। '

(महाभारतः उद्योग पर्वः 39.38)
उद्योग का स्थूल अर्थ है उत्तम। अपने कार्य में तत्पर रहना चाहिए। व्यक्ति को कर्तव्यपरायण अर्थात् कर्मठ होना चाहिए। जो काम जिस समय करना है उसे उसी समय कर डालना चाहिए, चाहे कार्य छोटा ही क्यों न हो।

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब।।

व्यक्ति को मानसिक परिश्रम के साथ शारीरिक परिश्रम भी करना चाहिए।

प्रायः मानसिक परिश्रम करने वाले व्यक्ति शारीरिक परिश्रम करना छोड़ देते हैं, जिससे कई बीमारियाँ उन्हें आ घेरती हैं। अतः शारीरिक परिश्रम करना ही चाहिए, फिर वह चाहे व्यवसाय, दौड़ सेवा आदि कोई भी माध्यम क्योंन हो।

आलसी प्रमादी न होकर कर्तव्यपरायण होना चाहिए।

जो सांसारिक सफलता पाने को ही उद्योग मानते हैं, वे अति तुच्छ मति के होते हैं। वास्तविक उद्योग क्या है ?

शरीर से दूसरों की सेवा, कानों से सत्संग-श्रवण, आँखों से संत-भगवंत के दर्शन, मन से परहित चिंतन, बुद्धि से भगवान को पाने का दृढ़ निश्चय और हृदय में भगवत्प्रेम की अविरत धारा यही वास्तविक उद्योग है।

दूसरा गुण है संयम। जिसमें इन्द्रियों का संयम, वाणी का संयम, संकल्प-विकल्पों का संयम मुख्य है।

इसमें दीर्घ ॐकार का जप बड़ा लाभदायी है, श्वासोच्छ्वास की गिनती बड़ी हितकारी है।

जिसके जीवन में संयम नहीं है वह पशु से भी गया बीता है। उसका मनुष्य-जीवन सफल नहीं होता। पशुओं के लिए चाबुक होता है परंतु मनुष्य को बुद्धि की लगाम है। सरिता भी दो किनारों से बँधी हुई संयमित होकर बहती है तो वह गाँवों को लहलहाती हुई अंत में अपने परम लक्ष्य समुद्र को प्राप्त हो जाती है।

ऐसे ही मनुष्य-जीवन में संयम के किनारे हों तो जीवन-सरिता की यात्रा परमात्मारूपी सागर में परिसमाप्त हो सकती है।

दक्षता जीवन का अहम पहलू है। जितना आप कार्य को दक्षता से करते हैं, उतनी आपकी योग्यता निखरती है।

यदि आप कोई कार्य कर रहे हैं तो उसमें पूरी कुशलता से लग जाईये। लेकिन व्यावहारिक दक्षता के साथ-साथ आध्यात्मिक दक्षता भी जीवन में आवश्यक है। दो कार्यों के बीच में थोड़ी देर शांत होना चाहिए।

सावधान यह सबसे महत्त्वपूर्ण सदगुण है। जीवन में दक्षता आने पर सावधानी सहज रूप से बनी रहती है।

कहावत है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी और सावधानी बढ़ी तो दुर्घटना टली। कार्य में लापरवाही सर्वनाश ही लाती है। जिस प्रकार यदि जहाज कापायलट सावधान है तो यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचा देगा और यदि उसने असावधानी दिखायी तो उसकी लापरवाही यात्रियों की मृत्यु का कारण बन जायेगी।

किसी बाँध के निर्माण में यदि इंजीनियर ने लापरवाही की तो हजारों-लाखों लोगों के जान-माल और लाखों-करोड़ों रूपयों की हानि होगी। जीवन में लापरवाही जैसा और कोई दुश्मन नहीं है।

किसी भी कार्य को करते समय धैर्य रखो। उतावलेपन से बने बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं।

मन को समझाना चाहिएः
बहुत गयी थोड़ी रही, व्याकुल मन मत हो।
धीरज सबका मित्र है, करी कमाई मत खो।।


कोई भी कार्य सोच-समझकर करना ही बुद्धिमानी है।

कहा गया हैः
बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताय।
काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हँसाय।।

कार्य के प्रारम्भ और अंत में आत्मविचार भी करना चाहिए।

हर इच्छापूर्ति के बाद जो अपने-आपसे ही प्रश्न करे कि ' आखिर इच्छापूर्ति से क्या मिला ?

' वह दक्ष है। ऐसा करने से वह इच्छानिवृत्ति के उच्च सिंहासन पर आसीन होने वाले दक्ष महापुरुष की नाईं निर्वासनिक नारायण में प्रतिष्ठित हो जायेगा।

साथ ही यह स्मृति हमेशा बनाये रखनी चाहिए कि ' जीवन में जो भी सुख-दुःख आते हैं वे सब बीत रहे हैं, इन सबको जानने वाला मैं साक्षी चैतन्य आत्मा सदैव हूँ। '

उपरोक्त सात सदगुणों को जीवन में अपनाना ही सफलता का मूलमंत्र है।

!!=--..__..-=-. _;
!!=--..@ ..-=-._;
!!=--..__..- =-._;
!!
!!
!!
!!
॥॥सत्यमेव जयते॥॥

जय महाकाल!
जय हिन्दू!
जय हिन्दूस्तान!
साभार :- प्रिन्स कुमावत.
(एस. एस. जैन सुबोध महाविद्यालय, जयपुर,राजस्थान। )

अरविन्द जी की आम आदमी पार्टी या अदृष्य अवाम पार्टी आम पार्टी


आज 26 तारीख को भारत के समाज सेवी से राज नेता बने श्री केजरीबाल जी ने एक राजनैतिक  पार्टी की घोषणा कर  दी  जिसका लोग बहुत समय से इन्तजार कर रहै थे।इस पार्टी को नाम दिया गया है आम आदमी पार्टी लैकिन आम आदमी की इस पार्टी के खास नेता हैं श्री अरविन्द केजरीबाल,प्रसांत भूषण,योगेन्द्र यादव,संजय सिंह,कुमार विश्वास,गोपाल राय व अन्य 23 लोग ।सुबह को 320 लोगों की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुयी पार्टी का नाम तय हुआ,साथ ही साथ लगे हाथों पार्टी का संविधान भी तुरत फुरत में बना लिय़ा गया।और देश को करिश्मा करके देने बाली पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारणी भी आज ही घोषित कर दी।शाम को कार्यकारणी अपने संयोजक का चुनाव करेगी और इस पद पर शायद केजरीबाल ही बैठे इसकी उम्मीद ही अधिक है।
तो कुल मिलाकर भारत में एक नयी पार्टी का उदय आज 26-11 की चौथी वर्सी पर हो ही गया।
अपने जन्म से पहले ही सुर्खियों में रही यह पार्टी व इसके सर्वे सर्वा केजरी वाल जी अभी जल्दी ही प्रतिष्ठा की ऊचाईयाँ एक दम अचानक कुछ ही दिनों में पाये हुये ही नही परम कीर्ति पर पहुचे हुये अपने गुरु जी श्री अन्ना जी महाराज से विद्रोह करके अपना अलग रास्ता अख्तियार करके सत्ता में पहुँचने की ख्वाहिस लिए हुये एक नयी पार्टी का गठन कर आगे बढ़ रहे हैं।पार्टी की विचारधारा भी सबसे अलग वताई जा रही है।और खासकर यह पार्टी अपनी विचार धारा जन लोकपाल विल के ऊपर बनाए चलने का एलान कर रही है।पार्टी के विशेष नेता श्री केजरी वाल जी के बारे में वैसे इनके पुराने साथियों व खुद अन्ना ने भी कई आरोप व अन्ना व उनकी टीम पर कई बार केजरी वाल जी भी आरोप लगा चुके हैं।
देश में सुधार की बात करने बाली यह पार्टी अपने एक छोटे से आन्दोलन का ही हिसाव किताब नही रख पायी और खुद इनके अपने बीच से ही  किरण वेदी जी ने इनके एन जी औ पब्लिक काउन रिसर्च फाउंडेशन में फंड की अनीयमितता या हैरा फैरी का आरोप लगाया था । और अगर किसी नई पार्टी पर इस तरह के जन्म से पहले ही आरोप लगे हैं वो भी उनकी खुद की टीम के मेंम्वरो द्वारा तो यह कहीं न कहीं गंभीर बात है।और जो व्यक्ति अपने गुरु को ही संतुष्ट नही कर पाया हो वह किसी देश को किसी समस्या से मुक्त कर सकेगा इसमें संदेह ही है।
वैसे समझने के लिए यह देश के लिए भी कठिन परीक्षा की घड़ी ही है।कि जबकि एक पार्टी पूरी तरह भ्रष्टाचार में घिरी हुयी है। और जब एक सामूहिक आन्दोलन बाबा रामदेव के नेत्रत्व में चल रहा था। तो उस आन्दोलन को सहयोग देने की अपेक्षा अचानक एक नया आन्दोलन खड़ा करके उस आन्दोलन की हवा निकालने का उपक्रम किया गया और आन्दोलन एक की जगह दो जगह केन्द्रित हो गया।हो सकता है कि यह कांग्रेस की कोई साजिश हो लैकिन यह बात खुलना अभी तक तो भविष्य के गर्त में ही है।तत्काल उसी आन्दोलन में सहयोग देने की वजाय एक नया आन्दोलन खड़ा किया गया लेकिन उस बाबा ने वड़ी ही महेनत से जो भूमि तैयार की थी सो उसके कार्यक्रम में लगातार संख्या बढ़ रही थी इससे घवड़ा कर सरकार कुछ भी करके बाबा के आन्दो लन को समाप्त करने के हथकंडे अपनाना चाह रही थी किन्तु बाबा का कार्यक्रम था कि आगे बढ़ता ही जाता था ।बाबा ने कई बार अपने आप को गिरफ्तार करने को बोला कि�����्तु सरकार उसकी भीड़ को देखकर गिरफ्तार करने को तैयार न थी क्योंकि इससे तो आन्दोलन और बढ़ जाता सो रणनीतियों पर रणनीति चली गयी ।एक तो आन्दोलन को एक जगह केन्द्रित न करके अन्ना जी के द्वारा नया व इसी प्रकार का आन्दोलन खड़ा करके इसे दो जगह केन्द्रित कर दिया गया ।दूसरे रात को आतंकियों की तरह दिल्ली पुलिस के द्वारा बाबा पर अमानवीय अत्याचार ही नही किये गये अपितु उन्हैं मार डालने की योजना भी बनाई गयी कुछ लोग बाबा के एक स्त्री के रुप में भाग जाने को गलत कह रहे थे जबकि एक राक्षसी सरकार के हाथो मारे जाना कहाँ का बढ़िया कृत्य होता फिर आन्दोलन तो समाप्त ही हो जाता और सरकार यही चाहती थी।फिर अन्ना का आन्दोलन चला सभी जानते है बताने की कोई जरुरत नही कि एक आन्दो लन हमेशा तभी सफल होता है जबकि समाज के सभी अंग सहयोग करे तो अन्ना के आन्दोलन में बाबा ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति ही झोंक दी क्योंकि उस व्यक्ति का उद्देश्य शायद समाज सेवा करना ही था और उसने सहयोग लेने में कभी किसी भी समाज को लांक्षित नही किया जबकि अन्ना के आन्दोलन में कोई ही एसा व्यक्ति रहा हो जिसे यह न पता हो कि संघ ने अपनी सम्पूर्ण ताकत लगाकर सहयोग किया था जवकि अन्य वर्ग के लोगों का कितना सहयोग मिला यह दुनिया जानती है किन्तु बार बार अन्ना यह ही कहते रहै कि मुझे हिन्दु बादियों का कोई सहयोग नही चाहिये लैकिन क्योकि संघ ने तो समाज सेबा करना ही सीखा है राष्ट्र परेशानी में है तब माता की सेबा के लिए चल देना चाहिये चाहै कोई नाम दे या न दे।संघ काम करता रहता है।श्यामाप्रसाद मुखर्जी का नाम दुनिया जानती है वह बंगाल का रहने बाला क्या मतलब था उसका कश्मीर से लैकिन यह मेरा देश है एसी भावना ने उसे बलिदान होने पर मजबूर कर दिया ।
तो जैसे क्रान्तिकारियों का किया धरा वरवाद करके अपने नाम लिखा लिय़ा कांग्रेस ने वैसे ही रामदेव बाबा का किया धरा अन्ना ने लिखा कर उस आन्दोलन को समाप्त कर दिया है।आज न जन लोकपाल बचा है और न जन बचा है। जनता महगाई की मार से त्राहि त्राहि कर रही है जो चीजें पिछली साल 10 रुपये की थी वही चीज आज 20 की है ।मूंगफली के रेट ,आटा के रेट दाल के रेट सभी के सभी दोगुने हो चुके हैं।बाबा का आन्दोलन था भारत का पैसा भारत में आये इन्हौने आन्दोलन की दिशा बदल कर कर दी जन लोकपाल की तरफ जैसे जन लोकपाल प्रभु के यहाँ से भेजा गया कोई दूत होगा जो सोना खाता होगा जो न तो कभी झूठ बोलेगा और कभी भ्रष्ट भी नही होगा।कांग्रेस यही चाहती थी कि दिशा बदल जाए सो हो गया आज न रामदेव रहा न अन्ना न पैसा बापस आने की बात न ही जन और जब जन ही नही तो जन लोकपाल कैसा ।सोचो जब कभी चुनी हुयी सरकार की परिकल्पना करते समय यह बात क्या किसी ने सोची होगी कि जनता द्वारा चुने लोग भी इतने भ्रष्ट होंगे तो जन लोकपाल हो या लोकपाल कोई भी भ्रष्ट हो सकता है क्योकि व्यक्ति का चरित्र पतन शील है ।यह एसी सच्चाई है जो हमेशा सच थी है व सच ही रहेगी।
अब बात करते है कि आम आदमी की पार्टी तो जो पार्टी अपने जन्म समय से ही अनेकों एसी बाते कर रही है जो खोखले दावे करके किसी भी भ्रष्टाचारी को जेल तक न पहुँचा सकी वो एक दिन कोई सिगूफा छोड़ती है दूसरे दिन उसे छोड़ तीसरे को भी लपेट लेती है ।तीसरे दिन चौथे को लैकिन किसी के भी खिलाफ दृणता से खड़ी नही रहती अपितु केवल शिगूफे छोड़ शान्त हो जाती है उससे क्या आशा की जाए।
यहाँ तो बात ही दूसरी दिखाई देती है कि किसी कम्पनी की मार्केट में साख पर वट्टा आने पर जब प्रतिद्वंदी के आगे आने की संभाबना वढ़ जाती हैं तो वह पुरानी कम्पनी मरता क्या न करता की तर्ज पर एक नयी कम्पनी के नाम से अपने प्रोडक्ट बेचने का फैसला करती है या फिर कोई चलती हुयी कम्पनी खरीद लेती है।और इस नयी कम्पनी द्वारा एक नया प्रचार कराया जाता है कि पहले वाली दोनो ��म��पनियाँ खराब है लोग दूसरी की तारीफ बताते हैं तो बह नयी कम्पनी दूसरी को भी भिन्न भिन्न तरीकों से खराब बताने का प्रयास करती है।वैसे भी मार्केटिंग का फण्डा यह है कि ग्राहक आपसे सन्तुष्ट न हो तो न सही किसी भी तरीके से इसके दिमाग में दूसरे के बारे में भ्रम पैदा कर दो।और तीसरे नये नाम से माल बैचने लगो।
अब अनेकों लोग कह रहै होगे भई ज्ञानेश ये क्या बाजीगरी है कि तुम अभी राजनीति की बाते करते करते दुकान दारी या मार्केटिंग पर आ गये सो भइया जी बात यह है कि बात समझने के लिये कई बाते बतानी पढ़ती हैं तो आप ही समझिये बाबा राम देव के आन्दोलन से परेशान कांग्रेस जल्दी से बाबा को ठिकाने लगाने व जनता में उनकी वेकदरी कराने के लिए कभी  उनके जमीन के फर्जीवाड़े की बात कहती है कभी बाबा से कहती है तुम दबाओं में मिलाबट करते हो कभी ट्रष्टो का हिसाब माँगती है लगातार बाबा को कोई न कोई परेशानी खड़ी कर रही है बाबा का दाहिना हाथ बैद्य वालकृष्ण अभी तक कैद में है अब आप लोग ही समझिये कि क्या बाबा ने ट्रष्ट आज या कल ही बनाया है क्या ,उसने दबाए आज से ही बनाना शुरु की है और जो जमीने दी वो कांग्रेस की ही तिवारी जी की सरकार ने दी थी तब क्या बाबा विल्कुल सही था आज जब बाबा ने पोल खोलना शुरु किया तो बाबा वेइमान, चोर, मिलाबटी,चरित्रगिरा सभी कुछ हो गया ।
दूसरी ओर  केजरीवाल सहाव सरेआम कानून की धज्जियाँ उडांकर विजली के खम्वो पर चढ़ कर,बैखोफ जबरिया तरीके से काटी गयी बिजली के तार जोड़ रहैं हैं और इसके अलाबा पत्रकारों को इण्टरव्यू भी दे रहे हैं लैकिन इनके ऊपर कोई न तो केस ही लग रहा है न कोई एफ आई आर दर्ज हो रही है।
क्या आपको एसा लगता है कि सामान्य परिस्थितियों मे एसा होता लेकिन एसा तब ही हो पा रहा है जबकि इस व्यक्ति को कांग्रेस का फुल प्रूफ समर्थन प्राप्त हो।
अब आप सिक्के का दूसरा पहलू समझिये कांग्रेस के कारनामों को समझ कर कि क्या बात क्या हो सकती है ।तो बन्धु मनसे महाराष्ट्र में किसके बूते पर किसी के भी साथ कुछ भी कर सकता है जबकि सत्ता किसकी है सभी लोग जानते हैं लगातार वद्तमीजी करने के बावजूद भी आज तक एक बार भी कांग्रेस ने न तो उसे जेल भैजा न ही इसे किसी प्रकार की हिदायत ही दी क्यों क्या कारण हो सकता है ।इसका कारण है कि वहाँ भाजपा के शिव सेना के वोटों में सेध लगाकर महाराष्ट्र की सत्ता कैसे मिलेगी ये राज ही है जो शिव सेना के या भाजपा के वोट काट सकता है इसी लिए उसे बरगला कर नया महाराष्ट्री भिण्डरावाले पैदा किया गया जिससे भाजपा शिवसेना गठबंधन की ताकत कम हो सके।

ठीक यही चाल यहाँ दिल्ली में चली गयी है ।कांग्रेस का परम लक्ष्य है किसी भी प्रकार दिल्ली की कुर्सी लगातार चौथी बार भी हासिल की जाए एसा करने का कारण क्या है कारण यह है कि सारे भारत की  जनता को फिर कहा जाएगा कि कांग्रेस कितनी अच्छी पार्टी है जो दिल्ली के लोगों ने लगातार चौथी बार चुनी है सो सम्पूर्ण भारत में 1 या 2 प्रतिशत पर तो यह असर पढ़ ही जाएगा।अब इसका विरोधी कौन सो भाजपा तो भाजपा का तोड़ क्या भाजपा का तोड़ वह पार्टी हो सकती है जो भाजपा के मुद्दों को सटक सके और क्योकि राम देव से भ्रष्टाचार का आन्दोलन छीन कर केजरी बाल विना कुछ किये ही हीरो बाली स्थिति में आ ही गये हैं तो भैया इन्है ही आगे बढ़ाऔ यही भाजपा के वोट बैंक को झीन सकते है या ये कहै कि कांग्रेस के सबसे वड़े संकट मोचक बन सकतै हैं। वैसै भी यह सभी जानते है कि भाजपा व काग्रेस का परम्परागत वोट में दिल्ली के अन्दर अन्तर बहुत ज्यादा नही है जो अन्तर है वह कुल मिलाकर 1-2 प्रतिशत ही है सो काग्रेस को एसे संकट मोचक की जरुरत है जो भाजपा के मध्यम वर्गीय मतदाताओ को रिझा सके और भाजपा की सामान्य इमानदार बाली इमेज के सामने विल्कुल राजा हरीश्च्नद्र वाली इमेज रखता हो सो ये गुण धीमेंधीमें या कहैं आन्दोलन के जरिये केजरीवाल कांग्रेस की नजर में बना ही चुके हैं।सो किसी भी सूरत में भाजपा को 2 से 3 प्रतिशत का नुकसान तो पहुँचा ही देगें ।
अब फिर एक बार रुख करना पड़ेगा श्री मान केजरी वाल सहाब की तरफ तो देखो जब आन्दोलन शुरु हुआ तभी से सब लोग देख रहै है कि केजरीवाल की किसी से नही पट पायी है ।अभी थोडे़ दिनो पहले ही किसी व्यक्ति ने जब केजरी बाल का साथ छोडा़ तो उसने कहा कि केजरी बाल का रवैया हमेशा तानाशाही वाला  होता है।इसी कारण टीम की ताकत बाले सभी लोग धीमे धीमे टीम केजरी बाल से दूर हो कर नयी टीम अन्ना बन गयी ।वैसे भी केजरी वाल सहाव सैकुलर व वामपंथी विचार धारा के साथ एन जी ओ  से जुड़े रहै हो तो इनके पास मित्रों की कमी कभी हो ही नही सकती है यह तो एसा वृछ है जिसपर पानी विना ही पत्ते लग जाते है सो पानी पैड़ो को नही सीधे पत्तो को ही लगता रहता है ।लैकिन केजरीबाल का साथ छूटने बाले कारणो में सबसे मह्त्वपूर्ण कारण है कि केजरी बाल का नेता बनने का सपना जिसमें वे जब भाजपा व कांग्रेस को एक जैसा बताने के लिए उपक्रम करने लगे तो सभी अपनी अपनी राह चलने लगे या बहुतो ने इसका विरोध किया ।और कई इस समुन्दर में आते ही भ्रष्ट हो गये ।लैकिन केजरी वाल सहाव ने दुनिया के कहने के बाबजूद अपने आपको श्रेष्ठतम ईमानदार घोषित करने का हमेशा प्रयास किया इसी से पुराने जाते रहै नये चहरे जगह लेते रहै।बात ज्यादा लम्वी हो गयी है आगे की पोस्ट में दी जाए यही वहेतर है ।लैकिन यही कहना ज्यादा श्रेयष्कर है कि बार बार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात करके सत्ता की सीढियों तक पहुचने की चाहत में श्री केजरीबाल ने आजकल तुष्टीकरण की नीतियों पर खुले रुप में आकर यह सावित कर दिया है कि वे भी कांग्रेस की ही या तो वाई प्रोडक्ट हैं या फिर नहेरु की ही तरह भारत पर राज्य करने की इच्छा पाले हुये कुछ सही करने के नाम पर कुछ भी कहने या करने से पीछे नही हटेगे अर्थात काँग्रेस के ही नक्से कदम पर चलकर बस राज ठाकरे  की तरह भाजपा का वोट काटू प्यादा ही बनेगें ।इन्है न तो आम आदमी की समस्याओ से कोई मतलब होगा ।उन्है तो वस किसी भी प्रकारसत्ता का लाभ ही दिखाई देता रहैगा। मेरे अन्य ब्लागो को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे RASTRADHARM
व आयुर्वेदिक ब्लाग्स को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें THE LIGHT OF AYURVEDA

Monday, November 26, 2012

असम के बढ़ते कदम मुगलिस्तान की ओर....प्रिन्स कुमावत भारतीय

वैसे तो असम मेँ हर रोज किसी हिन्दू का धर्मपरिवर्तन मार पीट और पुलिस वालोँ की लाशेँ मिलना आम बात है।लेकिन अभी असम के लखीमपुर के हाल चाल बताते हैँ 
जहाँ मुस्लिमोँ की आबादी ज्यादा है और हिन्दुओँ के सिर्फ 20 से 25 घर वहाँ पर वर्षोँ से हिन्दुओँ
को धर्मपरिवर्तन के लिये मजबूर किया जा रहा कुछ लोगोँ ने तो डरकर इस्लाम स्वीकार भी लिया और जो विरोध करते हैँ। उनको एक एक करके मार दिया जाता है।इसी के खिलाफ राहुल भुँवन नामक एक हिन्दू युवक ने आवाज उठाई और हिन्दुओँ को एकजुट करने का प्रयास
किया तो मुस्लिमोँ ने पहले तो उसकी मारपीट की फिर किसी तरह आर एस एस वालोँ की मदद से उसे बचाकर बाहर निकाला गया तो मुस्लिमोँ ने पुलिस पर दबाव बनाकर उस पर दंगा भड़काने
का आरोप लगा दिया और उसके माँ बाप को बंधक बनाकर ऊसे सरैँडर करने को मजबूर
किया जा रहा है। वहाँ पर कोई भी संगठन हिन्दूओँ की मदद नहीँ कर पाता क्योँकि असम मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और उन मुस्लिमोँ मेँ अधिकतर नाजायज बाँग्लादेशी हैँ जो आये तो कम संख्या मेँ थे लेकिन दस बीस बच्चे पैदा कर करके आज बहुसंख्यक हो गये और पूरे असम को अपने अधिकार मेँ ले लिया और इनका विरोध करना एक तरह से गृहयुद्ध की स्थिति बना देगा क्योँकि काँग्रेस
की धर्मनिरपेक्ष सरकार बाप दादाओँ के जमाने से मुस्लिम तुष्टीकरण करती आई है
असम की कोई भी न्यूज मीडिया मेँ नहीँ दिखाई जाती जबकि वहाँ हर रोज पुलिस और सेना के जवान मारे जाते और इसी कारण पुलिस वाले भी डरे सहमे रहते हैं।वहाँ मुस्लिमोँ के खिलाफ नहीँ बोलते काँग्रेस की मदद से कश्मीर असम पश्चिम बंगाल केरल जैसे कई राज्य धीरे धीरे मुस्लिम -स्तान बनते जा रहे हैँ अगर वक्त रहते इनका उपचान नहीँ किया गया तो येबीमारी सारे भारत मेँ फैल जायेगी.....
 ज्यादे से ज्यादा इस खबर पर ध्यान दें क्योकि देश का रखबाला केवल हिन्दु है औऱ हिन्दु में भी वह जो अपने आप को भारत माँ का बेटा मानता है।
आप यहाँ से भी COPY/PASTE करेँ और फैला देँ क्योँकि ये न्यूज MEDIA तो दिखायेगी नहीँ..!!
_________________>प्रिन्स कुमावत भारतीय

जनसंख्या का असंतुलन बदल सकता है उत्तर प्रदेश का नक्सा

भारत देश जो कि पहले भी कई विभाजनों की त्रासदी झेल चुका है, वह अगर हम हिन्दु सोते रहै तो जल्दी ही प्रदेशों के भी इसी प्रकार के साम्प्रदायिक विभाजनो की त्रासदी झेलने के लिए तैयार खड़ा है।पहले जब सिमी संगठन चर्चा में था तब भी कई बार यह सूचनाऐं लीक हुयी थी जिसमें सिमी ने अपना भारत का नक्सा इस्लामिस्तान के नाम से जारी किया था जिसमें इस्लामी आबादी बाले इलाको कों उन्हौने हरे रंग से दर्शाया था तब भी श्री अजीत सिंह जी द्वारा माँगे गये हरित प्रदेश बाले हिस्से को उन्हौने अपने नक्से में हरे रंग से दिखा कर उसका नाम हरित प्रदेश रखा हुआ था। सो ज्यादा सोच विचार से यह बात सामने आती है कि यह श्री अजीत सिंह को राय भी किसी मुस्लिम द्वारा ही दी गयी होगी कि तुम यहाँ यहाँ जाट बाहुल्य एरिया है तुम इसकी माँग करो तो तुम ही इसके मालिक बने रह सकते हो। लैकिन श्री मान चौधरी सहाव ने यह नही सोचा कि इन इलाकों में जहाँ जहाँ जाट बाहुल्य की बात कही गयी है वहाँ वहाँ दूसरी बाहुल्य जाति इस्लाम है जो पिछले समय में आजादी से लेकर आज तक केवल 60-65व वर्षों में लगभग सात गुने हो गये हैं जवकि खुद जाटों ने कितन वृद्धि की है कृपया इस माँग को करने से पहले यह भी नही सोचा।जहाँ जहां इस्लाम अल्पसंख्यक था वहाँ -2 आज वह बाहुल्य में आ गये हैं।इसलिये हमारे हिन्दु बन्धु भी जो जो इस माँग का अब तक सहयोग करते रहैं है कृपया सोचे समझें तब इन हरित प्रदेश के मांग करने बालों का सहयोग करें।- ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
मेरी एक फेसबुक मित्र मोनिका शाह के फेसबुक एकाउण्ट पर डा. भूपेन्द्र की पोस्ट पढ़े तथा विचार करें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलो में जिस तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है उसे देखते हुए वहाँ के कम से कम ७-८ जिलो में अगले २ - ३ वर्षो में एक अलग मुस्लिम राज्य की मांग जोर पकड़ने वाली है. वैसे
मुस्लिम राष्ट्र की मांग तो तभी शुरू हो जाती है जब मुसलमानों की आबादी लगभग २०% तक पहुच जाती है. पर अलग राज्य की मांग के मामले में मुस्लिम संयम का परिचय दे रहे हैं. वो जल्दबाजी में नहीं हैं. वो इन सभी ७ जिलो में आबादी को ५०% से ऊपर पहुचने पर ही मांग शुरू करने वाले है।
एक वरिष्ठ पत्रकार से बात करने पर पता चला की ज़मीनी स्तर पर इस आन्दोलन की तैयारी भी शुरू कर दी गयी है , पर अभी केवल रामपुर जिले की ही मुस्लिम आबादी (एक महिना पहले) ५०% से ऊपर पहुची है।बाकी जिलो में भी ५०% आबादी पहुचने का इंतज़ार किया जा रहा है और पशुओ की तरह हर साल बच्चा पैदा कर के इस स्तर को तेज़ी से पाने की कोशिश की जा रही है. इन जिलो की मुस्लिम आबादी निम्नवत है-
१ - रामपुर - ५०%
२ - मुरादाबाद - ४६%
३ - बिजनौर - ४२%
४ - ज्योतिबाफुले नगर - ४०%
५ - सहारनपुर - ४०%
६ - मुजफ्फरनगर - ३९%
७ - मेरठ - ३४%
८ - बरेली - ३५%
ये सभी जिले भौगोलिक दृष्टिकोण से एक दुसरे से बिलकुल जुड़े हुए है। इस आन्दोलन का नेत्रत्व संभवतः समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े मुस्लिम नेता करे जो का उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने के अपने सपने को कभी पूरा नहीं कर पायेंगे. इस कारण एक अलग मुस्लिम राज्य बनाकर उसमे अपने सपनो को पूरा करेंगे. और अपने राष्ट्र एवं हिन्दूविरोधी मंसूबो को पूरा करने का प्रयत्न करेंगे.
                                                            डॉ भूपेंद्र

मोदी के खिलाफ झूठे विज्ञापन से कांग्रेस की भद्द और पिटी

है कांग्रेस तुम पर सदा ही कोई न कोई षडयंत्र ही बाकी रहा कभी दिल्ली के लोगों को ड्राप्सी से पीड़ित दिखा कर कभी नमक की कमी जवरजस्त तरीके से  अपने स्टाकिस्टों से तैयार करवाकर तो कभी प्याज की कमी का वहाना करवा कर आपने सत्ता की चाभी अपने पास रखने की कोशिश ही नही की है अपितु कई बार तो हथिया ही ली है भारत की जनता कभी तुम्हारी चालाकी समझ नही आयी।अगर समझ आ जाए तो तुम्हारी वखिया गुजरात व उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश की तरह पूरे भारत से ही उधड़ जाए।तुमने वीर शहीदों की सारी कमाई उन महात्मा जी व मुसलमान नहेरु के नाम करा दी वास्तव में कांग्रेस तुम वेईमानो में वेईमान व महान वेईमान हो।
 
गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान के तहत एक विज्ञापन में एक कुपोषित बच्चे को उसकी मां के गोद में बैठे हुए दिखाया था। विज्ञापन का मकसद यह बताना था कि गुजरात में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। लेकिन पता चला कि विज्ञापन दिखाई गई तस्वीर एक ईसाई संगठन की वेबसाइट से ली गई थी। बताया जा रहा है कि यह तस्वीर श्रीलंका में बाढ़ से पीड़ित एक महिला और उसके बच्चे की है। लेकिन इस विवाद से कांग्रेस की भद पिट गई है।
गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चुनाव अभियान प्रभारी सिद्धार्थ पटेल ने इस विवाद पर कहा, 'तस्वीर पर फोकस करने की जगह मैं मुद्दे की बात करूंगा। विज्ञापन में दिखाए गए आंकड़े सही हैं, लोगों को उन्हीं पर गौर करना चाहिए।' वहीं, बीजेपी की गुजरात ईकाई के उपाध्यक्ष आईके जडेजा ने इस बारे में कहा, 'गुजरात में हो रहे विकास का कांग्रेस शासित इलाके मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस झूठे प्रचार का सहारा ले रही है।'
कुपोषण के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था।

आज से ठीक चार वर्ष पूर्व का 26-11-2008 का वह दुखःद दिन

 आज 26-11 है वह दुखःद दिन जबकि हमारे ही  देश के एक टुकड़े नालायक पाकिस्तान के वहसी आतंकियों ने मेरे भारत के बहुत से बेगुनाह बहिनों भाईयों को मार डाला था।
 26/11 हमारे देश के नागरिकों पर हुये अमानवीय हमलों में से सबसे क्रूरतम हमला जिसमें हम तो हम हमारे साथ बैचारे कई विदेशियों ने भी इसे झेला।इस हमले को आज सोमवार को चार वर्ष पूरे हो गए। इसको याद कर आज फिर लोगों की आंखें नम हो गई। 
वैसे तो यह एक ऐसी क्रूरतम घटना है जिसे याद न किया जाए तो ही ठीक है किन्तु इतिहास तभी बनता है जब कि आप किसी घटना को याद रखें तथा इससे सीख लेते हुय़े अपना आगामी जीवन
सुखी बनाऐं सो याद अवश्य ही आऐगी और इस अमानवीय कुकर्म में मारे गये भाईयों व बहिनों को मैं ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय अपनी अश्रु पूरित श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ।

यह मुंबई की सबसे काली रात थी ः-
  उस दिन बुधवार था जब 26 नवंबर 2008 की रात भाड़े के दस आतंकियों ने इस खूनी खेल को अंजाम दिया। मुंबई की सड़कों पर उस वक्त मानों मौत मंडरा रही थी।और हिन्दु धर्म में जिन्हैं राक्षस कहा गया है वै लोग आतंकी के रुप में अपने राक्षसी कृत्यों को अंजाम दे रहै थे। आतंकी जहां से निकल रहे थे वहीं से लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी। मुंबई की कई सड़कें खून से लथपथ दिखाई दे रही थीं।

आतंकियों ने घात लगाकर मशहूर होटलों के समीप और कई अन्य प्रमुख जगहों पर कुछ समय के अंतराल में हुए दर्जन भर श्रृंखलाबद्ध विस्फोट और गोलीबारी की।
आतंकियों ने उस दिन की अधाधुंध फायरिंग थी ः-
यह घटना इतने तावड़तोड़ तरीके से हुयी कि हमारे नेता लोग व  सम्पूर्ण देश की  जनता आवाक रह गयी किन्तु अलग-अलग जगह हुई इस गोलीबारी को आतंकी हमला समझने में मुंबई पुलिस को देर नहीं लगी। इस हमले में अकेले मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर हुई अधाधुंध गोलीबारी में ही दस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के अतिरिक्त ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल तथा दक्षिण मुंबई के अन्य अनेक महत्व पूर्ण स्थानों पर आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया।

आतंकियों ने ताज में लोगों को बंधक भी बनाया था ः-
ताज होटल मे दो राक्षस आतंकबादियों  ने 15 लोगो को बंधक बना लिया, जिनमे 7 विदेशी शामिल थे। होटल ओबेरॉय में 40 लोगों को आतंकियों ने बंधक बना लिया। आतंकियों ने ताज होटल के हेरीटेज विंग में आग लगा दी। ताज होटल में घुसे आतंकियों को खत्म कर करने के लिए पहले सेना फिर मरीन कमांडो को बुलाया गया। अगले दिन तक मुठभेड़ चलती रही। बाद में केंद्र सरकार ने इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एनएसजी कमांडो की एक टुकड़ी मुंबई के लिए रवाना की। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन टोरनेडो नाम दिया गया।
सेना ने बिना हथियार आतंकियों से लिया लोहा ः-
केंद्र की ओर से दो सौ एनएसजी कमाडो और सेना के 50 कमाडो ने नारीमन हाउस और ताज होटल में आतंकियों से सीधी टक्कर ली। इसके अलावा सेना की पांच और टुकड़ियों को वहां भेजा गया साथ ही नौसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। मुंबई हमले के दौरान ओंबले गिरगाव चौपाटी में तैनात थे। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने मुंबई पुलिस ज्वाइन की थी। आतंकी हमले के दौरान उनके पास केवल एक लाठी ही थी, लेकिन वह इससे घबराए नहीं और आतंकियों को रोककर उनका सामना किया। उन्होंने आतंकियों की सारी गोलिया अपने सीने पर लीं और एक आतंकी को अंत तक नहीं छोड़ा। यह आतंकी था अजमल कसाब जिसको 21-11 को फासी दी गई। 26 जनवरी 2009 को उन्हें अशोक चक्रसे सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन टोरनेडो की शुरुआत ः-
26 नवंबर की रात होटल ताज में छुपे हुए आतंकवादियों से मुठभेड़ प्रारंभ हुई। 27 नवंबर की सुबह होटल ओबेरॉय तथा 28 नवंबर की सुबह राष्ट्रीय सुरक्षाबल के कमाडो नरीमन हाउस में आतंकवादियों का सामना करने पहुंच चुके थे। सबसे पहले होटल ओबेरॉय का आपरेशन 28 नवंबर की दोपहर को खत्म हुआ। शाम तक नरीमन हाउस के आतंकवादी भी मारे जा चुके थे। लेकिन होटल ताज में चल रहा आपरेशन 29 नवंबर की सुबह तक चला।
आखिरी दिन कमाडो कार्यवाही में तेजी आई और कई धमाकों की आवाजें सुनी गईं। भीषण गोलीबारी भी हुई। इमारत के चारो ओर विशेष तौर पर ग्राउंड फ्लोर के आसपास काला धुंआ फैल गया और चारों और कमाडो नजर आने लगे। कमांडो कार्यवाही में एक आतंकी के शव को खिड़की से बाहर गिरते हुए पूरी दुनिया ने देखा। 58 घटे बाद शनिवार सुबह ऑपरेशन टोरनेडो खत्म हो गया। इसमें एनएसजी कमांडो दस्ते के मेजर उन्नीकृष्णन की मौत हो गई।
वीर सपूतों ने गंवाई जान
इसके अलावा इस अभियान में आतंकविरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुठभेड़ विशेषज्ञ उप निरीक्षक विजय सालस्कर, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सदानंद दाते, निरीक्षक सुशात शिदे, सहायक उप निरीक्षक-नानासाहब भोंसले, सहायक उप निरीक्षक-तुकाराम ओंबले, उप निरीक्षक- प्रकाश मोरे, उप निरीक्षक-दुदगुड़े, कास्टेबल-विजय खाडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार तथा एम.सी. चौधरी भी शहीद हो गए।
  आज कसाब को फाँसी लग चुकी है शायद इससे न्याय मिलने में जिन लोगों के परिवार बाले इस घटना के भुक्त भोगी रहैं है कुछ न कुछ शान्ति मिली होगी मैं उन लोगों को जिन लोगों का इस दुखःद घटना को होते देखा है या जिन लोगों के परिवारी जन या मिलने बाले इसमें पीड़ित रहैं है उन सबको कोई कुछ दे तो नही सकता है कैवल उनकी शोक संवेदना में हम शामिल होकर दर्द महुसस ही कर सकते हैं।तथा अपने सैनिकों को भी सच्ची श्रद्धा़ञ्जलि जिन्हौने खुद को मिटा कर देश पर आयी इस गंभीर विपत्ती को दूर कर दिया।और राक्षसों में से कुछ को जिन्दा पकड़ लिया।
लैकिन मैं इस देश की सत्ता व आगामी जो भी सत्ता धीश बनें उनसे केवल यही कह सकता हूँ कि भाई कम से कम देश के दुश्मनों की सही से पहिचान करें क्योकि लालची हमेशा मारा जाता है
हमें देश के सैनिकों पर जितना गर्व है उतना ही हमारा सत्ता केन्द्र भारत को कमजोर कर रहा है।जो देश के दुश्मनों को रोटी ही नही विरयानी भी खिला रहा है अकेले कसाव पर हमारा पैसा पानी की तरह नही कवाड़े की तरह बहाया गया।जो इतना दुखःद हैं।